योग की जननी है उत्तराखंड की धरती: श्रीश्री रविशंकर
उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद और गढ़वाल मंडल विकास निगम की ओर से आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के दूसरे दिन आर्ट ऑफ लीविग के प्रणेता व आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर ने योग साधकों का मार्गदर्शन किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की धरती योग की जननी है और प्रत्येक योग साधक उत्तराखंड को अपना घर समझकर योग को आत्मसात करें।
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश :
उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद और गढ़वाल मंडल विकास निगम की ओर से आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के दूसरे दिन आर्ट ऑफ लीविग के प्रणेता व आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर ने योग साधकों का मार्गदर्शन किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की धरती योग की जननी है और प्रत्येक योग साधक उत्तराखंड को अपना घर समझकर योग को आत्मसात करें।
सोमवार को जीएमवीएन के गंगा रिसार्ट के निकट योगा घाट पर अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में आर्ट ऑफ लीविग के प्रणेता श्रीश्री रविशंकर, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज व काबीना मंत्री सुबोध उनियाल ने देश व दुनिया से पहुंचे योग साधकों को संबोधित किया। श्रीश्री रविशंकर ने योग साधकों को गंगा तट पर ध्यान का अभ्यास भी करवाया। उन्होंने कहा कि योग मनुष्य के जीवन के दुखों को दूर करने की क्षमता रखता है। पवित्र चारधाम और गंगा का उद्गम स्थल होने के कारण यह क्षेत्र आध्यात्म का केंद्र रहा है। गंगा की अविरलता की लहर योग की ज्ञान गंगा उत्तराखंड से प्रवाहमान होकर समूचे विश्व को सिचित कर रही है। उन्होंने योग के प्रति युवाओं के बढ़ते रुझान पर खुशी जाहिर की। महोत्सव में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि श्रीश्री रविशंकर आज विश्व में शांति दूत बन गए हैं। जहां वर्षों से अशांति का वातावरण था, वहां शांति का संदेश देकर उन्होंने अमन-चैन का पैगाम दिया है। उन्होंने कहा कि योग आज देश की सीमाओं की बंदिशों को लांघकर समूचे विश्व में लोकप्रियता अर्जित कर रहा है। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि योग मन और तन के शुद्धिकरण का माध्यम है। योग की एकाग्रता से मन की विकृर्तियां दूर होती हैं। योगाभ्यास से हम जीवन को सुखी बना सकते हैं। आज पूरी दुनिया योग के आकर्षण के कारण भारत की ओर देख रही है। महोत्सव को कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व उत्तराखंड प्रभारी श्याम जाजू, गमंविनि के अध्यक्ष महावीर सिंह रांगड़, प्रबंध निदेशक ईवा आशीष श्रीवास्तव, पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर आदि मौजूद थे।