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यूपीआरएनएन ने ब्याज के 32 करोड़ दबाए, महकमें देंगे जवाब

उत्तरप्रदेश राजकीय निर्माण निगम (यूपीआरएनएन) ब्याज की 32.90 करोड़ की धनराशि प्रदेश सरकार को लौटाने के बजाय दबाकर बैठा हुआ है। स्पेशल ऑडिट में इसका खुलासा हुआ।

By Edited By: Published: Wed, 09 Oct 2019 03:01 AM (IST)Updated: Wed, 09 Oct 2019 07:32 AM (IST)
यूपीआरएनएन ने ब्याज के 32 करोड़ दबाए, महकमें देंगे जवाब
यूपीआरएनएन ने ब्याज के 32 करोड़ दबाए, महकमें देंगे जवाब

देहरादून, रविंद्र बड़थ्वाल। उत्तरप्रदेश राजकीय निर्माण निगम (यूपीआरएनएन) ब्याज की 32.90 करोड़ की धनराशि प्रदेश सरकार को लौटाने के बजाय दबाकर बैठा हुआ है। स्पेशल ऑडिट में बीते पांच वर्षो में निगम के स्तर पर बड़े पैमाने पर की गई वित्तीय धांधली का खुलासा हो चुका है। 

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ब्याज की करोड़ों की बकाया धनराशि सरकारी खजाने में अब तक वापस जमा नहीं कराने के मामले में अब संबंधित आठ महकमों को जवाब देना होगा। महकमों को यह भी बताना होगा कि उनकी ओर से निगम के खिलाफ कार्रवाई को क्या कदम उठाए गए। पहले ऑडिट और फिर स्पेशल ऑडिट में यूपीआरएनएन की ओर से प्रदेश के विभिन्न महकमों में कराए गए कार्यो में कई सौ करोड़ की वित्तीय गड़बड़ी पकड़ में आई है। 

स्पेशल ऑडिट में बड़े पैमाने पर निर्माण कार्यो के नाम पर फर्जीवाड़े का खुलासा हो चुका है। राज्य सरकार कार्यदायी एजेंसी यूपीआरएनएन के लिए नए कार्यो का रास्ता बंद कर चुकी है। वहीं निगम की ओर से पिछले पांच वर्षो में राज्य के विभिन्न विभागों में निर्माण परियोजनाओं पर काम किया है। 

ऑडिट में इन परियोजनाओं से संबंधित आपत्तियों पर विभागों को जवाब देना होगा। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह इस संबंध में बुधवार को राज्यस्तरीय संपरीक्षा समिति की बैठक लेंगे। बैठक में ऑडिट की समग्र समीक्षा होगी।

महकमों को ऑडिट में सामने आई आपत्तियों के निस्तारण के साथ ही अनियमितताओं के मामले में कार्रवाई के बारे में भी जानकारी देनी होगी। बैठक में संबंधित महकमों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिव भाग लेंगे।

वित्त सचिव अमित नेगी ने बताया कि अल्पसंख्यक विभाग के अंतर्गत अल्पसंख्यक निदेशालय, अल्पसंख्यक आयोग, अल्पसंख्यक कल्याण और विकास निगम, उत्तराखंड हज समिति, वक्फ बोर्ड, मदरसा बोर्ड के साथ ही जिला सहकारी बैंक उत्तरकाशी और चमोली की ऑडिट आपत्तियों को लेकर संबंधित महकमों को स्थिति स्पष्ट करनी होगी। साथ में उत्तराखंड ऑनलाइन ऑडिट मैनेजमेंट सिस्टम के तहत पहले चरण और द्वितीय चरण के बारे में भी प्रस्तुतीकरण दिया जाएगा। 

इन महकमों में कराए गए कार्यो का हुआ ऑडिट 

-तकनीकी शिक्षा, औद्योगिक विकास, खेल, प्रशिक्षण एवं सेवायोजन, उच्च शिक्षा, अल्पसंख्यक कल्याण, सहकारिता।

अब तक हुए 82 ऑनलाइन ऑडिट, 90 लंबित

देहरादून प्रदेश के तमाम महकमों के पिछले वित्तीय वर्ष 2018-19 तक ऑनलाइन ऑडिट के बकाया कामकाज को तेजी से पूरा किया जाएगा। इस वित्तीय वर्ष में अब तक 82 ऑनलाइन ऑडिट किए जा चुके हैं। शेष 90 कार्यो को दिसंबर माह से पहले पूरा किया जाएगा। 

वित्त सचिव अमित नेगी ने स्पेशल ऑडिट में सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन पर अमल करने की हिदायत दी है। इसके तहत सर्विलांस, लिखित वक्तव्यों और फ्रॉड के कारणों समेत आठ बिंदुओं पर मूल्यांकन किया जाएगा।

प्रदेश में विभिन्न विभागों में जन कल्याण कार्यो, निर्माण कार्यो व सरकारी योजनाओं को मूर्त रूप देने और उन पर होने वाले खर्च में पारदर्शिता लाने के लिए ऑनलाइन ऑडिट का कार्य शुरू किया जा चुका है। ऑनलाइन ऑडिट के लिए लेखा विभाग के परीक्षकों को वित्त की ओर से ट्रेनिंग दी जा चुकी है।

पिछले वित्तीय वर्ष में 31 मार्च, 2019 तक चिह्नित ऑडिट कार्यो को ऑनलाइन पूरा किया जा रहा है। ऑनलाइन ऑडिट के काम को लेकर सरकार की गंभीरता का अंदाजा इससे लग सकता है कि अब तक 82 ऑडिट कार्य पूरे किए जा चुके हैं। शेष कार्यो को जल्द पूरा करने को कहा गया है। 

हालांकि ऑनलाइन ऑडिट का कार्य निर्धारित से कुछ धीमी रफ्तार से चल रहा है। उक्त कार्य 30 अप्रैल, 2019 तक पूरा किया जाना था, लेकिन शुरुआती वर्ष में अब तक हुए कामकाज को वित्त विभाग सही दिशा में उठ रहे कदम की तरह आंक रहा है। 

स्पेशल ऑडिट में बरतें गंभीरता 

वित्त सचिव अमित नेगी के मुताबिक ऑनलाइन ऑडिट के शेष कार्य को जल्द पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि वित्तीय अनियमितता, गबन, धोखाधड़ी, प्रोक्योरमेंट नियमों की अनदेखी समेत विभिन्न मामलों में कराए जाने वाले स्पेशल ऑडिट को गंभीरता से लेने के निर्देश दिए गए हैं। 

इसमें साक्ष्यों को सर्विलांस, साक्षात्कार व अन्य तरीकों से इकट्ठा करने, उन्हें संरक्षित करने, फ्रॉड और अनियमितता की सीमा तय करने के साथ ही उद्देश्य को भी स्पष्ट करने के तरीकों पर खास ध्यान देने के निर्देश विभागीय लेखा परीक्षकों को दिए गए हैं। 

शासन की एक्सपर्ट कमेटी देगी मंजूरी 

उन्होंने यह भी बताया कि उच्च जोखिम वाले ऑडिट की रिपोर्ट को शासन स्तर पर गठित एक्सपर्ट कमेटी मंजूरी देगी। वहीं अपेक्षाकृत कम जोखिम वाले ऑडिट की रिपोर्ट को लेखा परीक्षा निदेशालय स्तर पर गठित कमेटी की सिफारिश के बाद निदेशालय के स्तर से जारी किया जाएगा। 

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इन महकमों में हो रहा है स्पेशल ऑडिट 

-पीटीए शिक्षक व अन्य शिक्षकों की नियम विरुद्ध नियुक्ति और विनियमितीकरण। 

-वीर चंद्र सिंह गढ़वाली उत्तराखंड औद्यानिकी व वानिकी विश्वविद्यालय भरसार। 

-जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी कार्यालय देहरादून व हरिद्वार (2013-19) 

-उत्तराखंड अल्पसंख्यक कल्याण व वक्फ विकास निगम (2018-19) 

-सिंचाई खंड काशीपुर (2012-18) में वित्तीय अनियमितता व टीडीएस कटौती। -नदेही चीनी मिल व चीनी मिल डोईवाला (2016-19) 

-बीएचईएल गृह निर्माण समिति लिमिटेड हरिद्वार। 

-प्रमुख वन संरक्षक उत्तराखंड के अंतर्गत कार्मिकों को त्रुटिपूर्ण अधिक वेतनमान। 

-प्रभारी चिकित्साधिकारी कर्मचारी राज्य बीमा औषधालय, रुद्रपुर (2014-19)

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