बीमा कंपनी को लौटानी होगी प्रीमियम की रकम, जानिए वजह Dehradun News
बीमा बांड निरस्त न करने को उपभोक्ता फोरम ने बीमा कंपनी की सेवा में कमी माना है। फोरम ने कंपनी को 50 हजार रुपये की प्रीमियम राशि उपभोक्ता को वापस लौटाने के आदेश दिए हैं।
देहरादून, जेएनएन। फ्री लॉक पीरियड में आवेदन किए जाने के बावजूद भी बीमा बांड निरस्त न करने को उपभोक्ता फोरम ने बीमा कंपनी की सेवा में कमी माना है। फोरम ने कंपनी को 50 हजार रुपये की प्रीमियम राशि उपभोक्ता को वापस लौटाने के आदेश दिए हैं। इसके अलावा 15 हजार रुपये मानसिक क्षतिपूर्ति और तीन हजार रुपये वाद व्यय के तौर पर देने के आदेश दिए हैं।
केशव विहार, जीएमएस रोड निवासी विवेक कुमार ने बिरला सन लाइफ इंश्योरेंस और इसके ग्रेवांस ऑफिसर को पक्षकार बना उपभोक्ता फोरम में वाद दायर किया। शिकायतकर्ता के अनुसार कंपनी के शाखा प्रमुख ने बीमा लेने के लिए उनसे संपर्क किया। वह इस शर्त पर बीमा कराने के लिए तैयार हुए कि इसमें कोई एजेंट या प्रतिनिधि नहीं होगा। पर बीमा बांड उन्हें प्राप्त हुआ तो पता चला कि इसमें एजेंट बनाया गया है।
इसस पर उन्होंने ग्रेवांस ऑफिसर से बीमा निरस्त कर धनराशि वापस करने का अनुरोध किया। लेकिन इस पर कोई भी कार्रवाई नहीं की गई। जबकि उन्होंने फ्री लॉक पीरियड में पॉलिसी सरेंडर करने को आवेदन कर दिया था। बल्कि उन्हें अगला प्रीमियम जमा करने के लिए नोटिस दिया गया। साक्ष्यों से यह स्पष्ट हुआ कि परिवादी का अनुरोध पत्र बीमा कंपनी को प्राप्त हो गया था। बल्कि मूल बीमा बांड भी कंपनी को प्रेषित कर दिया गया था जो उसे प्राप्त हो चुका है। जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह दुग्ताल व सदस्य विमल प्रकाश नैथानी ने कहा कि परिवादी ने वैधानिक अवधि में बीमा निरस्तीकरण को आवेदन कर दिया था। ऐसे में बीमा कंपनी का दायित्व था कि बीमा बांड को निरस्त कर प्रीमियम की राशि उन्हें अदा करें। अपेक्षित प्रपत्र के अभाव में बीमा निरस्त ना किए जा सकने का जो आधार कंपनी ने दिया है वह कतई सुसंगत नहीं है। क्योंकि प्रपोजल फॉर्म भरते वक्त परिवादी ने अपनी आइडी समेत पूरा विवरण दिया था।
इंश्योरेंस कंपनी पर 1.10 करोड़ का हर्जाना
अप्रैल 2016 में सड़क हादसे में बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य प्रबंधक की मौत के मामले में फैसला सुनाते हुए मोटर दुर्घटना वाहन अधिकरण के विशेष न्यायाधीश अपर जिला जज अष्टम अनिरुद्ध भट्ट की अदालत ने इंश्योरेंस कंपनी को 91.62 लाख रुपये का हर्जाना पीड़ित परिवार को देने का आदेश दिया है। इंश्योरेंस कंपनी को इस धनराशि का भुगतान सात प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ करना होगा। जिसके तहत कुल 1.10 करोड़ रुपये देने होंगे।
अधिवक्ता वीरेंद्र पांडे ने अदालत को बताया कि 14 अप्रैल 2016 को बैंक ऑफ बड़ौदा शाखा डाला जिला मोगा, पंजाब के मुख्य प्रबंधक नरेंद्र पांडे की जीएमएस रोड पर सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। मामले में उनकी पत्नी विपर्णा पांडेय और पुत्री अवंतिका पांडेय की तहरीर पर मुकदमा दर्ज हुआ था। जिसमें नाथीराम गुप्ता ट्रांसपोर्ट नगर सेवलां खुर्द, एसबीआइ जनरल इंश्योरेंस कंपनी और दीपक निवासी खुशहालीपुर सहारनपुर को प्रतिवादी बनाया गया था।
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सुनवाई के दौरान अदालत को बताया कि दुर्घटना के समय नरेंद्र पांडेय की उम्र 52 वर्ष थी और भत्तों को मिलाकर उन्हें करीब एक लाख रुपये महीने वेतन मिलता था। इस आधार पर अदालत से इंश्योरेंस कंपनी को 91 लाख 62 हजार 721 रुपये हर्जाना अदा करने का आदेश दिया। इंश्योरेंस कंपनी को सात प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से तीन साल का ब्याज 19 लाख 24 हजार 171 रुपये भी देना होगा।
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