Uttarakhand Scholarship Scam: मुख्यमंत्री ने नौटियाल प्रकरण में मुख्य सचिव को दिए जांच के आदेश
समाज कल्याण विभाग में करोड़ों के छात्रवृत्ति घोटाले में आरोपित संयुक्त निदेशक गीताराम नौटियाल की बहाली के आदेश जारी करने के मामले की उच्च स्तरीय जाच होगी।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। समाज कल्याण विभाग में करोड़ों के छात्रवृत्ति घोटाले में आरोपित संयुक्त निदेशक गीताराम नौटियाल की बहाली के आदेश जारी करने के मामले की उच्च स्तरीय जाच होगी। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रकरण में विभागीय मंत्री और मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाए बगैर अपने स्तर से कार्यवाही किए जाने की अविलंब जांच सुनिश्चित करते हुए दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश मुख्य सचिव को दे दिए हैं।
उन्होंने कहा कि समाज कल्याण के अफसरों का यह कृत्य खेदजनक और अनुशासनहीनता का परिचायक है। उधर, मुख्यमंत्री के सख्त रुख के बाद शासन ने 18 मई को जारी किए गए नौटियाल की बहाली के आदेश को शुक्रवार को निरस्त कर दिया। इस पूरे प्रकरण ने एक बार फिर अफसरों की निरंकुश कार्यशैली और मनमाने रवैये को भी उजागर कर दिया।
छात्रवृत्ति घोटाले के बहुचर्चित मामले में आरोपित समाज कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक नौटियाल की गत वर्ष 31 अक्टूबर को गिरफ्तारी हुई थी और 19 नवंबर को शासन ने उन्हें निलंबित किया। प्रकरण में नया मोड़ तब आया, जब चार दिन पहले 18 मई को शासन ने नौटियाल की बहाली के आदेश जारी कर दिए।
सचिव समाज कल्याण एल.फैनई की ओर से जारी बहाली आदेश में नौटियाल को समाज कल्याण निदेशालय में तैनाती भी दे दी गई। मामला सुíखया बना तो गुरुवार को यह बात सामने आई कि अफसरों ने यह फैसला लेने से पहले न तो विभागीय मंत्री से अनुमोदन लिया और न इसे मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाया गया।
समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य ने अफसरों के इस कृत्य पर उन्हें फटकार भी लगाई। इस बीच मामला मुख्यमंत्री तक पहुंचा तो उन्होंने समाज कल्याण के अफसरों को तलब कर सख्त नाराजगी जताई और विभागीय सचिव को नौटियाल की बहाली का आदेश तत्काल निरस्त करने के निर्देश दिए।
शुक्रवार को सचिव समाज कल्याण की ओर से नौटियाल की बहाली के आदेश को निरस्त करने के आदेश जारी कर दिए गए। नौटियाल प्रकरण में गुपचुप ढंग से की गई बहाली के आदेश जारी करने से नौकरशाही की निरंकुशता भी उजागर हुई। इससे कई सवाल भी खड़े हुए हैं।
बड़ा प्रश्न यह कि प्रकरण में संयुक्त निदेशक स्तर के अधिकारी गीताराम नौटियाल का निलंबन खत्म कर बहाली के लिए अनुमोदन की प्रक्रिया के दौरान इसे विभागीय मंत्री यशपाल आर्य और मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाने की जहमत क्यों नहीं उठाई गई। यह समझ से परे है कि आखिर ऐसी क्या जल्दी थी कि प्रकरण में नियमों का अनुपालन करने तक से गुरेज किया गया।
हालांकि, सरकार ने मामला संज्ञान में आने के साथ ही कड़ा रुख अपनाया। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के सख्त रुख के बाद जहा नौटियाल की बहाली के आदेश निरस्त हुए, वहीं अब उन्होंने प्रकरण में जाच भी बैठा दी है। मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को दिए आदेश में कहा कि छात्रवृत्ति घपले की न्यायालय के आदेश पर एसआइटी जाच चल रही है। फिर भी बिना विभागीय मंत्री व मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाए निलंबित अधिकारी नौटियाल की बहाली आदेश किए गए।
उन्होंने आदेश दिए कि अपने स्तर से कार्यवाही किए जाने के इस प्रकरण की अविलंब जाच कराकर दोषी अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। मुख्यमंत्री के सख्त तेवरों के बाद अब यह तय माना जा रहा है कि संयुक्त निदेशक की गुपचुप बहाली के मामले में विभाग से लेकर शासन तक कुछ बडे़ अधिकारियों पर गाज गिरेगी।
जानिए क्या है पूरा मामला
इस बहुचर्चित मामले में उत्तराखंड में अब तक 115 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। साथ ही समाज कल्याण विभाग के आधा दर्जन अफसरों समेत 79 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी। अभी एसआइटी इस प्रकरण की जांच में जुटी हुई है। समाज कल्याण विभाग में दशमोत्तर छात्रवृत्ति वितरण में हुआ यह घपला तब सामने आया था, जब कैग ने अपनी रिपोर्ट में छात्रवृत्ति वितरण पर सवाल उठाए। 2012 से 2016 के दरम्यान छात्रवृत्ति का वितरण ऐसे संस्थानों को भी कर दिया गया, जो वजूद में ही नहीं थे।
न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि अन्य राज्यों के शैक्षणिक संस्थानों को भी खुले हाथों से छात्रों को बांटी जाने वाली छात्रवृत्ति दे दी गई। बाद में मामले के तूल पकड़ने पर शासन ने इसकी जांच एसआइटी को सौंप दी। फिर तो राज्यभर में इस मामले में ताबड़तोड़ मुकदमे दर्ज हुए। गढ़वाल मंडल के जिलों में 62 और कुमाऊं मंडल में 53 मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं। इनमें गढ़वाल में 30 और कुमाऊं मंडल में 49 लोगों की गिरफ्तारी हुई। इनमें समाज कल्याण के छह अधिकारी भी शामिल थे। इस मामले में आरोपित समाज कल्याण के संयुक्त निदेशक गीताराम नौटियाल की गिरफ्तारी पिछले वर्ष 31 अक्टूबर को हुई थी। इसके 19 दिन बाद शासन ने उन्हें निलंबित करने के आदेश जारी किए थे।