नई जल संस्कृति को जन्म देंगे भारत और अफ्रीका: चिदानंद
परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती मुनि महाराज ने कहा कि भारत और अफ्रीका की संस्कृतियां मिलकर एक नई जल संस्कृति को जन्म देंगी।
ऋषिकेश, [जेएनएन]: परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती मुनि महाराज ने कहा कि अफ्रीका को मानव सभ्यता की जन्मभूमि माना जाता है, जबकि भारत मानव संस्कारों की भूमि है। इसी तरह अफ्रीकी संस्कृति विविधता की संस्कृति है और भारतीय संस्कृति विविधता में एकता की संस्कृति। आने वाले समय में यह दोनों संस्कृतियां मिलकर एक नई जल संस्कृति को जन्म देंगी, जो दुनिया के लिए मिसाल बनेगी।
गंगा एक्शन परिवार, 'जीवा' संस्था, जल विज्ञान विभाग और आइआइटी (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) रुड़की के तत्वाधान में परमार्थ निकेतन आश्रम में जल प्रबंधन विषय पर आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के समापन पर स्वामी चिदानंद सरस्वती की ओर से भेजे गए संदेश में यह बात कही गई।
संदेश में स्वामी चिदानंद ने कहा कि वर्तमान परिवेश में जल प्रबंधन के साथ जीवन प्रबंधन भी जरूरी है। जल की समस्या एक वैश्विक समस्या है, सो इसका समाधान भी वैश्विक स्तर पर ही होना चाहिए। भारत के साथ अफ्रीकी देश इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
सम्मेलन में केन्या, युगांडा, तंजानिया, लाइबेरिया, नाइजीरिया, जांबिया, नामीबिया, मोजांबिक, मेडागास्कर समेत 13 देशों से आए 25 जल राजदूतों ने विचार एवं अनुभव साझा किए।
अशुद्ध जल मानव निर्मित समस्या
सम्मेलन में आइआईटी रुड़की के जल विज्ञान विभाग के प्रमुख प्रोफेसर डीएस आर्य ने कहा कि जल के संरक्षण के लिए तकनीकी, मार्गदर्शन, सहकारिता और जन सहभागिता नितांत आवश्यक है। जल का अशुद्ध होना प्रकृति प्रदत्त नहीं, बल्कि मानव निर्मित समस्या है। मानव व्यवहार में परिवर्तन लाकर हम काफी हद तक इस समस्या का समाधान कर सकते हैं।
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