हिंसक अपराधों में अपहरण और दुष्कर्म की घटनाएं अधिक, देखें आंकड़े
प्रदेश की शांत फिजाओं में भी अब हिंसा का शोर घुलने लगा है। 2018 में घटित अपराधों में यहां अपहरण के मामले सर्वाधिक प्रकाश में आए।
देहरादून, सुमन सेमवाल। उत्तराखंड की शांत फिजाओं में भी अब हिंसा का शोर घुलने लगा है। 2018 में घटित अपराधों में यहां अपहरण के मामले सर्वाधिक प्रकाश में आए। इसके बाद दुष्कर्म की घटनाएं तो तीसरे स्थान पर दंगे के मामले रहे। राज्य में हिंसक अपराधों की यह तस्वीर नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट में सामने आई है।
एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018 में प्रदेश में 3137 हिंसक अपराध की घटनाएं दर्ज की गईं। इस रिपोर्ट के मुताबिक चौथे स्थान पर हत्या के मामले दर्ज हैं। हत्या के मामले में चिंता की बात यह है कि इसका ग्राफ न सिर्फ सामान्य से अधिक है, बल्कि वर्ष 2016 और 2017 की अपेक्षा इस दफा हत्या के सर्वाधिक मामले दर्ज किए गए हैं।
आमतौर पर शांत रहने वाले उत्तराखंड के लिए यह स्थिति इसलिए भी ज्यादा चिंताजनक है कि 19 राज्य हमसे आगे हैं, जबकि 17 राज्यों में हमारे मुकाबले कम हत्याएं हुई हैं। इसमें पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर भी शामिल हैं। प्रति लाख जनसंख्या पर हत्या में उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्य भी हमसे बेहतर स्थिति में दिख रहे हैं।
हत्या के 61 मामलों का सुराग नहीं
उत्तराखंड में वर्ष 2018 में ब्लाइंड मर्डर (हत्या का सुराग नहीं) के सबसे अधिक 61 प्रकरण सामने आए। इन मामलों को पुलिस ने सुराग नहीं/कारण नहीं की श्रेणी में रखा है। हत्याओं की वजह में दूसरे स्थान पर विभिन्न कारणों से उपजे छोटे-विवाद तो तीसरे स्थान पर पारिवारिक विवाद रहे। 17 लोगों को प्रेम प्रसंग में मौत के घाट उतार दिया गया। व्यक्तिगत रंजिश में भी इतने ही लोग मारे गए हैं।
मारे गए लोगों में सर्वाधिक युवा
जिन लोगों की हत्या की गई, उनमें 18 से 30 वर्ष तक के लोगों की संख्या सबसे अधिक है। इसके बाद 31 से 45 वर्ष तक की उम्र के लोगों की संख्या है।
यह भी पढ़ें: हत्या के बाद भी मासूम से दुष्कर्म करता रहा हैवान, फांसी की सजा पर हाईकोर्ट की मुहर
उत्तराखंड में कुल अपराध का भी ग्राफ बढ़ा
उत्तराखंड में तीन सालों का ट्रेंड (वर्ष 2016 से 2018) देखने पर पता चलता है कि कुल अपराध का ग्राफ भी ऊपर चढ़ रहा है। वर्ष 2018 में इससे पहले के दो सालों की अपेक्षा पांच हजार से अधिक मामले पंजीकृत किए गए। हमारे राज्य में प्रति लाख जनसंख्या पर अपराध के 314 मामले सामने आए। इस लिहाज से 21 राज्य हमसे बेहतर स्थिति में हैं। महिलाओं पर होने वाले अपराध की संख्या में और भी अधिक इजाफा दर्ज किया गया।
यह भी पढ़ें: शादी का झांसा दे किशोरी से दुष्कर्म, वीडियो वायरल करने की धमकी देकर कराया गर्भपात
इन मामलों में स्थिति थोड़ा बेहतर
-चोरी/लूट में संपत्ति बरामदगी में 63.2 फीसद रिकवरी के साथ उत्तराखंड तीसरे स्थान पर है।
-वर्ष 2016 में रिकवरी का ग्राफ 54 फीसद था और 2017 में 52.7 फीसद।
-इस लिहाज से उत्तरी राज्यों में रिकवरी के मामले में उत्तराखंड पहले स्थान पर रहा।
-कुल संज्ञेय अपराधों में उत्तराखंड बेहतर राज्यों में छठे स्थान पर।
-उत्तरी राज्यों में वरिष्ठ नागरिकों के लिए उत्तराखंड सर्वाधिक सुरक्षित माना गया।
-अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति से संबंधित अपराधों में पिछले सालों की अपेक्षा कमी दर्ज की गई।
यह भी पढ़ें: नाबालिग से छेड़छाड़ में शिक्षक को तीन साल का सश्रम कारावास, अर्थदंड भी