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Coronavirus: उत्तराखंड में कोरोना जांच की सैंपलिंग का ग्राफ ऊपर चढ़ा, तो लैब में बैकलॉग भी बढ़ा

उत्तराखंड में कोरोना की जांच के लिए सैंपलिंग की रफ्तार बढ़ी तो प्रयोगशालाओं में बैकलॉग का ग्राफ भी ऊपर की ओर चढ़ने लगा

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 26 May 2020 09:38 AM (IST)Updated: Tue, 26 May 2020 09:38 AM (IST)
Coronavirus: उत्तराखंड में कोरोना जांच की सैंपलिंग का ग्राफ ऊपर चढ़ा, तो लैब में बैकलॉग भी बढ़ा
Coronavirus: उत्तराखंड में कोरोना जांच की सैंपलिंग का ग्राफ ऊपर चढ़ा, तो लैब में बैकलॉग भी बढ़ा

देहरादून, जेएनएन। प्रदेश में कोरोना की जांच के लिए सैंपलिंग की रफ्तार बढ़ी, तो प्रयोगशालाओं में बैकलॉग का ग्राफ भी ऊपर की ओर चढ़ने लगा। सोमवार तक की स्थिति देखें तो तकरीबन साढ़े तीन हजार सैंपल की रिपोर्ट आना अभी बाकी है। ऐसा नहीं है कि यह हालात एक दिन में बने, बल्कि लंबित जांच का दायरा दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है।

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प्रदेश में कोरोना का पहला मामला 15 मार्च को आया था। उसके बाद हर अंतराल पर मरीजों की संख्या बढ़ती गई। लेकिन, राहत की बात यह रही कि पहाड़ी जिले संक्रमण से मुक्त रहे। वहीं, लॉकडाउन के तीसरे चरण में मिली छूट के बाद प्रवासियों का उत्तराखंड लौटना शुरू हुआ तो कोरोना वायरस पहाड़ को भी अपनी जद में लेने लगा। ऐसे में बाहर से आने वाले लोगों की बड़े स्तर पर स्क्रीनिंग शुरू की गई। साथ ही अब बॉर्डर पर रैंडम सैंपलिंग भी की जा रही है। पर्वतीय जनपदों में अभी तक जांच की जो रफ्तार सुस्त पड़ी थी, वह भी बढ़ गई। 10 दिन पहले तक जहां साढ़े पांच सौ के करीब सैंपल हर दिन जांच के लिए भेजे जा रहे थे, अब यह संख्या एक हजार सैंपल तक पहुंच गई है। जांच का दायरा बढ़ाने के लिए सरकार ने पूल टेस्टिंग का भी सहारा लिया है।

72 दिन के सफर में तीन दिन पड़े भारी

प्रदेश में सैंपलिंग का दायरा बढ़ने के साथ उसी अनुपात में कोरोना संक्रमित मरीज भी मिल रहे हैं। पिछले तीन दिन में ही 205 पॉजिटिव मरीज मिल चुके हैं। यानी राज्य में कोरोना की दस्तक के 72 दिन के सफर में ये तीन दिन भारी पड़ गए हैं।

संक्रमण दर दो फीसद पहुंचने के करीब

अन्य राज्यों से वापस लौट रहे प्रवासियों ने उत्तराखंड पर बीमारी का बोझ बढ़ा दिया है। पिछले कुछ दिन से न सिर्फ वायरस तेजी से पैर पसार रहा है बल्कि संक्रमण दर भी लगातार बढ़ती जा रही है। प्रवासियों की वापसी से पहले राज्य में संक्रमण दर एक फीसद से नीचे थी, जो अब बढ़कर 1.97 प्रतिशत हो गई है। इसी तरह मरीजों का रिकवरी रेट भी कम हो गया है। एक पखवाड़े पहले मरीजों के ठीक होने की रफ्तार 70 फीसद के करीब थी, जो अब घटकर 18 प्रतिशत के आसपास तक आ गई है। संक्रमित मरीज दोगुने होने की दर भी चार दिन पर पहुंच गई है।

मैदान की तुलना में पहाड़ में संक्रमण दर अधिक 

लॉकडाउन-3 में ढील दिए जाने के साथ संक्रमण कहीं और न फैल जाए ऐसी आशंकाएं पहले से थीं। वर्तमान स्थिति इसी बात का संकेत है। प्रवासियों की आमद बढ़ने के साथ ही कोरोना वायरस तेजी से पहाड़ी जनपदों को अपनी चपेट में लेता जा रहा है। वर्तमान स्थिति का आकलन करें तो मैदान की तुलना में पहाड़ में संक्रमण दर अधिक है।

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मुम्बई, दिल्ली, गुरुग्राम समेत अन्य रेड जोन वाले क्षेत्रों से लौट रहे प्रवासियों ने एकाएक उत्तराखंड पर बीमारी का बोझ बढ़ा दिया है। पिछले कुछ दिन से न सिर्फ कोरोना का ग्राफ तेजी से बढ़ा है, बल्कि संक्रमण दर भी लगातार बढ़ती जा रही है। प्रदेश में एक बारगी संक्रमण दर एक फीसद से नीचे पहुंच गई थी पर अब यह दो फीसद के करीब पहुंचने को है। संक्रमण दर की गणना कुल जांच में पॉजीटिव पाए गए केस के आधार पर होती है। इस लिहाज से चमोली, टिहरी गढ़वाल व बागेश्वर अभी टॉप जोन में हैं। देहरादून और हरिद्वार फिर भी सुकून में हैं।

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