सल्ट उपचुनाव: भाजपा के लिए साख का सवाल
सरकार और संगठन में नेतृत्व परिवर्तन के बीच बदली परिस्थितियों में हो रहा विधानसभा की सल्ट सीट का उपचुनाव सत्तारूढ़ भाजपा के लिए साख का सवाल जैसा है। हालांकि पिछले दो उपचुनावों की तरह भाजपा ने इस मर्तबा भी सहानुभूति कार्ड खेला है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून: सरकार और संगठन में नेतृत्व परिवर्तन के बीच बदली परिस्थितियों में हो रहा विधानसभा की सल्ट सीट का उपचुनाव सत्तारूढ़ भाजपा के लिए साख का सवाल जैसा है। हालांकि, पिछले दो उपचुनावों की तरह भाजपा ने इस मर्तबा भी सहानुभूति कार्ड खेला है, लेकिन उसे खासी मशक्कत जरूर करनी पड़ेगी। सल्ट में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक के कौशल की परीक्षा होनी है तो यह उपुचनाव अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की रिहर्सल जैसा भी है। इस सबको देखते हुए भाजपा ने सल्ट में पूरी ताकत झोंकने के मद्देनजर मंत्रियों, सांसदों को जिम्मेदारियां सौंपी हैं। साथ ही कार्यकत्र्ताओं को सक्रिय करने को शक्ति केंद्र स्तर तक पार्टी पदाधिकारी भी बैठा दिए हैं।
राज्य में वर्ष 2014 से अब तक सियासी परिदृश्य पर नजर दौड़ाएं तो तब से भाजपा विजय रथ पर सवार है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने राज्य की सभी पांचों सीटों पर परचम फहराया तो वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 70 में से 57 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत हासिल किया। इसके बाद नगर निकाय, पंचायत व सहकारिता चुनावों में उसके जबर्दस्त प्रदर्शन का सिलसिला जारी रहा। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने राज्य की सभी पांचों सीटें अपने पास बरकरार रखीं। इसके अलावा मई 2018 में विधानसभा की थराली सीट और नवंबर 2019 में पिथौरागढ़ सीट के उपचुनाव में पार्टी ने जीत हासिल की।
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इस बीच पिछले साल सल्ट से भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के निधन के कारण यह सीट रिक्त हो गई। 17 अपै्रल को होने जा रहे इस सीट के उपचुनाव में पार्टी थराली व पिथौरागढ़ के फार्मूले को ही अमल में लाई है। पिछले उपचुनावों में पार्टी ने थराली से विधायक रहे स्वर्गीय मगनलाल शाह की पत्नी मुन्नी देवी शाह और पिथौरागढ़ से कैबिनेट मंत्री स्वर्गीय प्रकाश पंत की पत्नी चंद्रा पंत को प्रत्याशी बनाया था। सल्ट उपचुनाव में भी भाजपा ने सहानुभूति कार्ड चलते हुए सल्ट के दिवंगत विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के बड़े भाई महेश जीना को प्रत्याशी बनाया है।
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हालांकि, इस मर्तबा भाजपा के सामने चुनौतियां भी कम नहीं हैं। वजह है बदली परिस्थितियां। सरकार और पार्टी संगठन में बदलाव हो चुका है। सूरतेहाल, मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक के लिए यह उपचुनाव किसी परीक्षा से कम नहीं है। इसमें जीत के लिए उन्हें अपना सियासी कौशल तो दिखाना ही होगा, अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कार्यकत्र्ताओं को बूस्टअप भी करना होगा। यह उपचुनाव एक तरह से 2022 के विस चुनाव के संजीवनी की तरह काम करेगा। इसे देखते हुए पार्टी ने इसी हिसाब से फील्डिंग सजाई है।
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