उत्तराखंड में साल 2013 में आई आपदा के भरे जख्म, अब कोरोना ने थामे कदम
16 जून 2013 की भयावह आपदा के जख्म अब तकरीबन भर चुके हैं। केदारनाथ धाम की तस्वीर भी बदली हुई है। यह बात अलग है कि यात्रियों को इस पवित्र धाम के दर्शन करने में अभी वक्त लगेगा।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश में 16 जून 2013 की भयावह आपदा के जख्म अब तकरीबन भर चुके हैं। केदारनाथ धाम में युद्धस्तर पर किए गए पुनर्निर्माण कार्य के बाद केदारपुरी नए स्वरूप में सामने आई है। बीते वर्ष के मुकाबले इस बार केदारनाथ धाम की तस्वीर भी बदली हुई है। यह बात अलग है कि यात्रियों को इस पवित्र धाम के दर्शन करने में अभी वक्त लगेगा। फिलहाल, कोरोना के कारण सरकार ने प्रदेश के दूसरे जिलों और बाहरी राज्यों के यात्रियों को दर्शन की अनुमति नहीं दी है। बीते वर्ष 16 जून तक केदारनाथ धाम के 6.50 लाख यात्री दर्शन कर चुके थे। इस वर्ष यह संख्या केवल 40 है।
प्रदेश में वर्ष 2013 में आई आपदा ने चारधाम यात्रा को बुरी तरह प्रभावित किया था। आपदा के चलते न केवल इन धामों में नुकसान पहुंचा, बल्कि स्थानीय लोगों की आजीविका पर भी चोट की। केंद्र के सहयोग से इस दिशा में वर्ष 2014 से काम शुरू हुआ। केदारपुरी को केंद्र में रख शुरू हुए पुनर्निर्माण कार्य अब तकरीबन पूरे होने को हैं। सरकार ने भी लगातार देश विदेश के पर्यटकों को लुभाने के लिए चारधाम के साथ ही यहां के पर्यटन स्थलों की ब्रांडिंग की।
इसका आशानुरूप नतीजा बीते वर्ष रिकॉर्ड तोड़ यात्रा के रूप में सामने आया था। बीते वर्ष चारों धाम व हेमकुंड साहिब तक 34.81 लाख यात्रियों ने दर्शन किए। वर्ष 2018 में 25 लाख यात्री इन धामों तक आए थे। इस वर्ष यह संख्या बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही थी। अफसोस, कोरोना के विश्व व्यापी संक्रमण के कारण ऐसा नहीं हो पाया। कोरोना के कारण सरकार ने पूरे देश में लॉकडाउन लगाया हुआ था।
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अनलॉक वन में धार्मिक स्थानों को खोला गया। प्रदेश सरकार ने भी चारधाम यात्रा शुरू करने की बात कही, लेकिन कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के कारण सरकार ने इससे पीछे कदम खींच लिए। यात्रा शुरू करने के लिए उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड को स्थानीय प्रशासन और हकहकूकधारियों के साथ बातचीत कर निर्णय लेने को कहा गया। अभी स्थानीय प्रशासन ने बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के लिए यात्रा खोली हुई है। हालांकि, बहुत ही कम लोग इन धामों के दर्शन को जा रहे हैं।
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