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    IMA POP: जुड़वा बहन के बाद भाई भी बना आर्मी अफसर, हरिद्वार के ट्रैवल एजेंसी संचालक का बेटे ने भी रौशन किया नाम

    Updated: Sat, 14 Jun 2025 06:16 PM (IST)

    देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी से पासआउट होकर दिग्विजय धायल और आदित्य कुमार सेना में अफसर बन गए हैं। दिग्विजय के पिता पहले से ही सेना में हैं जबकि उनकी जुड़वां बहन भी लेफ्टिनेंट हैं। हरिद्वार के आदित्य कुमार परमवीर चक्र विजेता कैप्टन विक्रम बतरा से प्रेरित होकर सेना में शामिल हुए। पौड़ी के सक्षम रावत ने भी एनडीए परीक्षा पास कर परिवार का सपना साकार किया।

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    भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) से शनिवार को पासआउट परेड आयोजित हुई। जागरण

    जागरण संवाददाता, देहरादून। भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) से शनिवार को पासआउट हुए दिग्विजय धायल की कहानी खासा प्रेरणादायी है। हिसार (हरियाणा) के सैन्य परिवार से ताल्लुख रखने वाले दिग्विजय ने बचपन से ही सेना के अनुशासन को करीब से जिया। पिता कर्नल वीएस धायल पहले से ही सेना में हैं। परिवार की परंपरा आगे बढ़ाते हुए अब बेटे ने भी वर्दी पहन ली है।

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    कहानी में दिलचस्प बात यह है कि दिग्विजय जुड़वा हैं। उनकी बहन दिव्या धायल उनसे चार मिनट बड़ी हैं। दोनों ने पुणे के आर्मी पब्लिक स्कूल से पढ़ाई की। कुछ वक्त पहले दिव्या आफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी (ओटीए) चेन्नई से पासआउट होकर लेफ्टिनेंट बनी थीं। उस दिन परिवार की आंखों में जो गर्व था, वही गर्व अब शनिवार को दिग्विजय की परेड के समय भी नजर आया।

    धायल परिवार के लिए यह पल किसी सपने के सच होने जैसा था। पिता, बेटी और अब बेटा, तीनों ही अब सेना में अफसर हैं। दिग्विजय ने कहा कि बहन के सेना में जाने के बाद उन्होंने भी ठान लिया था कि वह भी पिता और बहन की तरह वर्दी पहनकर देश सेवा करेंगे। धायल परिवार की यह कहानी न सिर्फ सेना में जाने वाले युवाओं के लिए प्रेरणा है, बल्कि हर उस परिवार के लिए उदाहरण है, जो अपने बच्चों को अनुशासन, समर्पण और देशभक्ति का पाठ पढ़ाता है।

    हरिद्वार के ट्रैवल एजेंसी संचालक का बेटा बना सेना में अफसर

    देहरादून: कहते हैं परिस्थिति जैसी भी जब लगन और मेहनत हों तो कोई भी काम मुश्किल नहीं होता और बात सेना और देश सेवा की हो तो जज्बा अलग ही रहता है। परमवीर चक्र विजेता कैप्टन विक्रम बतरा से प्रेरित हुए हरिद्वार निवासी आदित्य कुमार को कुछ ऐसा ही जज्बा मिला और सेना में जाने की ठान ली। ट्रैवल एजेंसी संचालक पिता अनुज कुमार ने भी पूरा साथ दिया।

    आज बेटे को कामयाबी देख उनकी आंखें खुशी से भर आई। कहा कि यह उनके परिवार के लिए नहीं बल्कि हरिद्वार के लिए भी गर्व की बात है। हरिद्वार के कनखल निवासी अनुज कुमार श्री पवित्र यात्रा ट्रैवल एजेंसी चलाते हैं जबकि मां रीता देवी गृहिणी हैं। उनके तीन बेटे में आदित्य दूसरे नंबर के हैं। आदित्य की स्कूली पढ़ाई सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कालेज मायापुर में हुई। इसके बाद उन्होंने पंडित ललित मोहन स्नाकोत्तर विद्यालय ऋषिकेश से स्नातक किया। 12वीं में भी और कालेज में बीएससी के दौरान उन्होंने पहला स्थान पाया था।

    आदित्य के पिता अनुज कुमार बताते हैं कि आदित्य परमवीर चक्र विजेता कैप्टन विक्रम बतरा की बारे में बात करता था। उनके बारे में किताबों और इंटरनेट पर पढ़ता और जब भी हम परिवार के लोग साथ होते तो कहता मैँ उनसे बहुत प्रभावित हुआ हूं इसलिए सेना में जाना है। आदित्य ने एनडीए का पेपर दिया लेकिन सेलेक्शन नहीं हो पाया।

    इसके बाद सीडीएस का दिया तो सफलता मिली और यहीं से आइएमए में कड़े प्रशिक्षण के बाद सैन्य अधिकारी बने। पिता अनुज कुमार बताते हैं कि हम कई बार बेटे को कहते थे कि अफसर बनने के लिए काफी मेहनत करनी होती है तो वह कह देता कि मेहनत से डरता कौन है। आज उसके यही शब्द याद आते हैं। हमें गर्व है कि ऐसे बेटे को जन्म दिया जो अफसर बनकर देश सेवा करेगा। क्योंकि हमारी पीढ़ी में सेना से कोई है नहीं और लंबे समय से चाहत थी कि कोई हो जो आदित्य ने कर दिखाया।

    कामयाबी देखकर रोक नहीं पाए आंसू

    देहरादून: अभिभावकों का बच्चों को समय देना जरूरी है जिनके पास समय नहीं होता तो वे बच्चों के बेहतर भविष्य का रास्ता चुनते हैं और बच्चा जब सफल हो जाता है तो यह दिन मां पिता के लिए यादगार बन जाता है। कुछ इसी तरह की कहानी है पौड़ी के कल्जीखाल ब्लाक के दिवाई निवासी सक्षम रावत के घर की कहानी। सक्षम रावत के पिता अशोक रावत राजकीय इंटर कालेज कुल्हाड़ सतपुली में विज्ञान के शिक्षक जबकि मां सुमन रावत राजकीय जूनियर हाईस्कूल डुंक में शिक्षिका हैं।

    अशोक रावत बताते हैं कि उनके दो बेटे सक्षम रावत लक्ष्य रावत हैं। हम दोनों कामकाजी थे इसलिए बाहर कहीं और जगह पढ़ाना संभव नहीं था इसलिए हास्टल वाले स्कूल तलाशना शुरू किया। पहली से पांचवीं तक ग्रीनलैंड पब्लिक स्कूल जबकि छठी से आठवीं तक नवोदय विद्यालय खैरासैंण पौड़ी में हुई। इसके बाद नौंवी से 12वीं सैनिक स्कूल घोड़ाखाल से पढ़ाई की।

    इसके बाद पहली बार एनडीए की परीक्षा निकालकर आइएमए के लिए चयनित हुए। अशोक रावत ने बताया कि हम दोनों का सपना था कि एक बेटा सेना में अधिकारी बने क्यों कि परिवार में अबतक कोई भी सेना में नही था। इसलिए बेटा सक्षम ने यह कर दिखाया। यह उनके लिए गर्व की बात है। दूसरा बेटा लक्ष्य रावत स्वामी राम हिमालयन यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस कर रहा है। बताया कि वह दोनों शिक्षक जरूर हैं लेकिन स्कूली शिक्षा के दौरान दूर रहने के कारण बेटा उनकी उम्मीदों पर खरा उतरा और आज नाम रोशन किया।