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IMA POP 2023: भारतीय सेना को मिली 331 युवा अफसरों टोली, कड़ा प्रशिक्षण लेकर देश सेवा में होंगे तैनात

IMA POP 2023 भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) में आज होने वाली पासिंग आउट परेड के बाद भारतीय सेना को 331 युवा अफसरों की टोली मिल गई। सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने बतौर निरीक्षण अधिकारी परेड की सलामी ली।

By Sukant mamgainEdited By: Nirmala BohraPublished: Sat, 10 Jun 2023 07:15 AM (IST)Updated: Sat, 10 Jun 2023 08:41 AM (IST)
IMA POP 2023: भारतीय सेना को मिली 331 युवा अफसरों टोली, कड़ा प्रशिक्षण लेकर देश सेवा में होंगे तैनात
IMA POP 2023: सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने बतौर निरीक्षण अधिकारी परेड की सलामी ली।

जागरण संवाददाता, देहरादून: IMA POP 2023: देश के भावी सैन्य अफसर सरहद की निगाहबानी को तैयार हैं। भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) में आज होने वाली पासिंग आउट परेड के बाद भारतीय सेना को 331 युवा अफसरों की टोली मिल गई है। इसके अलावा सात मित्र देशों के 42 कैडेट भी आइएमए से कड़ा प्रशिक्षण लेकर अपनी-अपनी सेना का हिस्सा बने हैं। सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने बतौर निरीक्षण अधिकारी परेड की सलामी ली।

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अपनी योग्यता को लगातार बेहतर बनाते रहें: सेना प्रमुख

सेना प्रमुख ने कैडेटों को संबोधित करते कहा कि वह युद्ध के तेजी से बदलते स्वरूप से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए अपने कौशल को अद्यतन करते रहें। प्रौद्योगिकी के तेज विकास के कारण युद्ध की गतिशीलता तेजी से बदल रही है और युद्ध लड़ना अधिक जटिल हो गया है। ऐसे परिदृश्य में, तकनीकी कौशल, मानसिक चपलता, महत्वपूर्ण मुद्दों पर सोचना और त्वरित प्रतिक्रिया सफलता की कुंजी होगी।

उन्होंने नए अधिकारियों से कहा कि वे अपनी योग्यता को लगातार बेहतर बनाते रहें। आपकी यात्रा सेना में शामिल होने के साथ समाप्त नहीं होती है। इसके विपरीत, यह आत्म-सुधार के प्रति प्रतिबद्धता की शुरुआत है। जनरल पांडे ने कहा कि सैनिक का पेशा सभी पेशों में सबसे अच्छा है, क्योंकि यह वर्दी पहनने और निःस्वार्थ भक्ति के साथ अपनी मातृभूमि की सेवा करने का अवसर देता है।

इससे पहले भारतीय सैन्य अकादमी के एतिहासिक चेटवुड भवन के सामने ड्रिल स्क्वायर पर सुबह परेड हुई। 6 बजकर 47 मिनट एडवास कॉल के साथ ही छाती ताने देश के भावी कर्णधार असीम हिम्मत और हौसले के साथ कदम बढ़ाते परेड के लिए पहुंचे। परेड कमांडर मेहर बनर्जी ने ड्रिल स्क्वायर पर जगह ली।

कैडेट्स ने शानदार मार्चपास्ट से दर्शक दीर्घा में बैठे हर शख्स को मंत्रमुग्ध किया। इधर, युवा सैन्य अधिकारी अंतिम पग भर रहे थे, तो आसमान से हेलीकाप्टरों के जरिए उन पर पुष्प वर्षा हो रही थी। परेड के बाद आयोजित होने वाली पीपिंग व ओथ सेरेमनी के बाद पासिंग आउट बैच के 373 जेंटलमैन कैडेट देश-विदेश की सेना में बतौर अफसर शामिल हो गए। इनमें 331 युवा सैन्य अधिकारी भारतीय थलसेना को मिले।

भूटान के 19, तजाकिस्तान के 17, श्रीलंका के दो और मालदीव, सुडान, सेशेल्स व वियतमान का एक-एक कैडेट भी पासआउट हुए। कुल मिलाकर शनिवार को सैन्य अकादमी के नाम देश-विदेश की सेना को 64 हजार 862 युवा सैन्य अधिकारी देने का गौरव जुड़ गया इनमें मित्र देशों को 2885 सैन्य अधिकारी भी शामिल हैं। पासिंग आउट परेड के मद्देनजर अकादमी के आसपास सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद की गई थी।

इन्हें मिला अवार्ड

  • स्वार्ड आफ आनर- मेहर बनर्जी
  • स्वर्ण पदक - अभिमन्यु सिंह
  • रजत पदक- मेहर बनर्जी
  • रजत पदक टीजी - सूर्यभान सिंह
  • कांस्य पदक - कमलप्रीत सिंह
  • चीफ आफ आर्मी स्टाफ बैनर-कैसिनो कंपनी
  • सर्वश्रेष्ठ विदेशी कैडेट- किंगा लहेंडूप भूटान

किस राज्य से कितने कैडेट

  • उत्तर प्रदेश- 63
  • बिहार- 33
  • हरियाणा -32
  • महाराष्ट्र-26
  • उत्तराखंड -25
  • पंजाब-23
  • हिमाचल प्रदेश-17
  • राजस्थान -19
  • मध्यप्रदेश-19
  • दिल्ली-12
  • कर्नाटक-11
  • झारखंड-08
  • तमिलनाडु-08
  • जम्मू-कश्मीर-06
  • छत्तीसगढ़-05
  • केरल-05
  • तेलंगाना-03
  • पश्चिम बंगाल-03
  • गुजरात-02
  • नेपाली मूल के भारतीय कैडेट -02 (त्रिपुरा, आंध्र प्रदेश, असम, चंडीगढ़, गोवा, मणिपुर, ओडिशा व पांडिचेरी से एक-एक कैडेट हैं)

विदेशी कैडेटे बोले- भारतीय सेना हमसे जुदा नहीं

भारतीय सेना के प्रति विदेश में भी लोगों में अथाह प्रेम और सम्मान है। शनिवार को आइएमए की पासिंग आउट परेड के बाद विदेशी कैडेट भी यह कहते हुए खुद को नहीं रोक पाए कि वह अपने देश में भारतीय सेना को अलग नहीं मानते। इस बार आइएमए में भूटान के किंगा लहेंडुप को सर्वश्रेष्ठ विदेशी कैडेट चुना गया।

उनका कहना है कि यहां पहुंचने के बाद व्यवहार में बदलाव आता है और परिवार व समाज में सम्मान बढ़ता है। कहा कि भारत और भूटान दोनों देश एक दूसरे को भाई की तरह मानते हैं। भारत से मदद भी मिलती है। भाषा में जरूर फर्क है, लेकिन भूटान सेना भी भारतीय सेना की तरह ही कार्य करती है। ऐसे में उन्हें प्रशिक्षण के दौरान किसी भी तरह की परेशानी नहीं हुई। वह अब रायल भूटान आर्मी ज्वाइन करेंगे।

तजाकिस्तान के कैडेट सैमुमिन ने बताया कि उनके देश के भारत से अच्छे संबंध हैं। ऐसे में वह भारतीय सेना को अलग नहीं मानते। दोनों देशों की सेना में ज्यादा अंतर नहीं है। इसकी वजह यह भी है कि ज्यादातर अधिकारी यहीं से प्रशिक्षण लेकर गए हैं। जो सिस्टम यहां काम करता है, वहां भी उसी प्रोटोकाल में कार्य होता है। सैमुमिन ने बताया कि भारत में उन्हें छोले-भटूरे बेहद पसंद हैं, जो आइएमए में हर रविवार को बनते हैं।

पासिंग आउट परेड से घोड़ा-बग्घी की विदाई

भारतीय सैन्य अकादमी की पासिंग आउट परेड में अब घोड़ा-बग्घी नहीं दिखाई देगी। बता दें, अभी तक निरीक्षण अधिकारी चार घोड़ों वाली बग्घी (पटियाला कोच) में परेड मैदान में पहुंचते थे। पटियाला के पूर्व महाराज ने यह बग्घी 1969 में आइएमए को भेंट की थी।

पटियाला कोच (घोड़ा-बग्गी) के अलावा आइएमए में जयपुर के पूर्व महाराज की ओर से उपहार स्वरूप दी गई जयपुर कोच, विक्टोरिया कोच व कमान्डेंट्स फ्लैग कोच भी चलन में रही है।

दरअसल, भारतीय सेना ने औपनिवेशिक या पुरानी प्रथाओं जैसे बग्घी, पाइप बैैंड आदि को समाप्त कर दिया है। रक्षा मंत्रालय के आदेश के तहत इस बार आइएमए पासिंग आउट परेड से भी घोड़ा-बग्घी की विदाई हो गई है।


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