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राजधानी में कोरोना सैंपलों की जांच कर रही निजी लैब के खिलाफ जांच से प्राइवेट डॉक्टरों में रोष

राजधानी में कोरोना सैंपलों की जांच कर रही निजी लैब के खिलाफ जांच से प्राइवेट डॉक्टरों में रोष व्याप्त है। इसे लेकर उन्होंने शासन-प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कोविड जांच बंद करने का भी संकेत दिया है। साथ ही जिलाधिकारी पर भी भेदभाव का आरोप लगाया है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Wed, 23 Sep 2020 02:40 PM (IST)Updated: Wed, 23 Sep 2020 02:40 PM (IST)
राजधानी में कोरोना सैंपलों की जांच कर रही निजी लैब के खिलाफ जांच से प्राइवेट डॉक्टरों में रोष
पत्रकारों से वार्ता करते इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पदाधिकारी।

देहरादून, जेएनएन। राजधानी में कोरोना सैंपलों की जांच कर रही निजी लैब के खिलाफ जांच से प्राइवेट डॉक्टरों में रोष व्याप्त है। इसे लेकर उन्होंने शासन-प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कोविड जांच बंद करने का भी संकेत दिया है। साथ ही जिलाधिकारी डॉ. आशीष कुमार श्रीवास्तव पर भी उन्होंने निजी चिकित्सकों व पैथोलॉजी लैब संचालकों के साथ भेदभाव का आरोप लगाया है। डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत व स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है।

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मंगलवार को चकराता रोड स्थित कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में आइएमए के प्रांतीय महासचिव डॉ. डीडी चौधरी ने कहा कि आहूजा पैथ लैब राज्य की पहली प्राइवेट लैब है, जिसे आइसीएमआर से कोविड जांच की मंजूरी मिली। यह लैब पिछले पांच माह से सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही है। पर जांच कराने वालों की संख्या और पॉजिटिविटी रेट को लेकर बिना वजह का भ्रम पैदा किया जा रहा है। जबकि दून मेडिकल कॉलेज में की जा रही कोविड जांच से निजी लैब की जांच ज्यादा सुरक्षित व फुलप्रूफ है। दून मेडिकल कॉलेज को अब तक एनएबीएल की मंजूरी भी नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि सीएम व स्वास्थ्य सचिव को निजी लैबों के साथ किए जा रहे भेदभाव पर हस्तक्षेप करना चाहिए।

एसोसिएशन पदाधिकारियों ने कहा कि निजी चिकित्सक हर तरह से सहयोग को तैयार है। बशर्ते, जिला प्रशासन उन्हें लेकर गलत अवधारणा बनाने से बचे। दून में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और मरीजों के लिए उचित इलाज की व्यवस्था जरूरी है। पर जिस तरह जिलाधिकारी द्वारा व्यवहार किया जा रहा है, वह अनुचित है। उन्होंने कहा कि मामले बढ़ने पर सारा ठीकरा निजी लैब पर फोड़ना सिस्टम की हताशा को दर्शाता है। टिहरी व अन्य जिलों में जिलाधिकारियों ने बेहतर प्रबंधन कर कोरोना संक्रमण की रोकथाम की है।

सीएमओ कार्यालय को सौंपा जवाब

देहरादून: कोरोना की जांच में अनियमितता के आरोप में निलंबन ङोल रही पैथकाइंड लैब ने मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) कार्यालय को अपना जवाब भेज दिया है। उन्होंने नोटिस में उठाए गए सवालों का बिंदुवार जवाब दिया है। पैथकाइंड लैब के रीजनल बिजनेस हेड निशांत जौहरी ने बताया कि एक बिंदु में 17 सितंबर को लिए गए सैंपल की रिपोर्ट उसी दिन देने का जिक्र किया गया है। यह सैंपल एक दिन पहले लिया गया था, मगर डाटा एंट्री में विलंब होने पर ऐसा लग रहा है कि उसी दिन रिपोर्ट आई है। जिस महिला का सैंपल लिया गया था, उससे वाट्सएप पर जानकारी मांगी गई। इसका स्क्रीनशॉट भी जवाब के साथ लगाया गया है। एक सैंपल में अत्यधिक विलंब की बात की गई है। इस मामले में भी डाटा इंट्री में अंतर के चलते यह स्थिति पैदा हुई है। रीजनल बिजनेस हेड जौहरी ने कहा कि उनकी ओर से किसी भी तरह की अनियमितता नहीं की गई है। लैब के 20 सैंपल की जांच सोनीपत स्थित वायरोलॉजी लैब से बादृय जांच भी कराई गई। रिपोर्ट में लैब के सैंपल के साथ समानता पाई गई है। इसकी रिपोर्ट भी जवाब के साथ लगाई गई है।

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अधिक पॉजिटिविटी रेट का कारण

  • परिवार के एक शख्स के पॉजिटिव आने पर अन्य लोग भी जांच करा रहे हैं।
  • निजी लैब में हाई सेंसिटिविटी किट इस्तेमाल की जा रही हैं।
  • मानकों के अनुरूप ज्यादा सटीक सैंपलिंग की जा रही है।
  • निजी लैब सैंपल लेने के तुरंत बाद जांच करते हैं।

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