दून से नेपाल और बिहार के दरभंगा तक दौड़ रही अवैध बसें Dehradun News
यूपी में लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर हुए बस हादसे के बाद देहरादून से धड़ल्ले से दौड़ रहीं निजी डग्गामार बसों के मामले ने भी तूल पकड़ लिया है।
देहरादून, अंकुर अग्रवाल। यूपी में लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर हुए बस हादसे के बाद देहरादून से धड़ल्ले से दौड़ रहीं निजी डग्गामार बसों के मामले ने भी तूल पकड़ लिया है। हालात ये हैं कि अधिकारियों की नाक के नीचे दून से केवल दिल्ली, गुरुग्राम जयपुर और आगरा ही नहीं, बल्कि नेपाल, दरभंगा व लखीमपुर तक इन अवैध बसों का बेरोकटोक संचालन हो रहा है।
एसी और स्लीपर कोच ये बसें न केवल टैक्स चोरी कर दौड़ रहीं बल्कि मोटर वाहन अधिनियम की धज्जियां भी उड़ा रहीं। इनमें सीटों की संख्या भी मानक से अधिक रहती है और इनकी लंबाई भी। हद तो यह है कि अब डबल स्लीपर बसें तक दौड़ रहीं हैं जो अधिकृत ही नहीं। इस मामले में रोडवेज के अधिकारियों की ओर से कई दफा शासन व परिवहन विभाग को पत्र भेज कार्रवाई करने की दरख्वास्त की गई मगर कोई कदम नहीं उठाए जा रहे।
मोटर वाहन अधिनियम के तहत राष्ट्रीय राजमार्गों पर बसों के संचालन का सर्वोच्च अधिकार राज्य परिवहन निगम की बसों को है। उसके बाद परिवहन विभाग की मंजूरी व संबंधित परिवहन निगम से अनापत्ति होने के बाद निजी बसों केसंचालन को अनुमति दी जा सकती है। निगम से अनापत्ति लेने में बस संचालकों को एकमुश्त भुगतान करना होगा।
साथ ही निगम के बस अड्डों के 500 मीटर की परिधि में किसी भी निजी वाहन को बतौर सार्वजनिक वाहन संचालन करने की अनुमति नहीं होती। इसके बावजूद दून में आइएसबीटी समेत रोडवेज के अन्य बस अड्डों के बाहर से धड़ल्ले से अवैध बसों या टैक्सी-मैक्सी का संचालन चल रहा है।
पिछले साल जब कभी रोडवेज की ओर से दबाव डालकर परिवहन विभाग द्वारा चेकिंग कराई गई तो एक दर्जन से अधिक बसों को हर रोज सीज किया गया। ...लेकिन, ऊपरी दबाव के चलते हर बार अगले ही दिन यह बसें छूट जातीं।
मौजूदा समय में यूपी, राजस्थान, गुजरात के कई ऐसे टूर आपरेटर्स हैं जो बिना किसी अनुमति के ही आइएसबीटी के पास से ही वातानुकूलित, सुपर डीलक्स बसें संचालित कर रहे हैं। बस संचालक आनलाइन बुकिंग कर आइएसबीटी के ठीक पास से सवारियां लेकर धड़ल्ले से चल रहे हैं।
निजी बसों के इस अवैध संचालन से परिवहन निगम को प्रतिदिन लाखों रुपये की चपत लग रही है। वहीं, उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन के प्रदेश महामंत्री अशोक चौधरी ने शासन को पत्र भेजकर डग्गामार बसों पर कार्रवाई की मांग की है।
सीटें भी ज्यादा, लंबाई ने तोड़े मानक
रोडवेज महाप्रबंधक दीपक जैन ने बताया कि नियमानुसार बस की लंबाई 12 मीटर तक होती है। पिछले दिनों चेकिंग में अवैध रूप से पकड़ी गई बसों की लंबाई 15 मीटर मिली थी। बसें दून में कैसे चल रही, सबसे बड़ी बात यही है। जो बस नियमों के तहत 38 सीट में पास होनी चाहिए, उन बसों में 48 सीटें मिलीं थीं।
किसके संरक्षण में चल रहीं से बसें
डग्गामार बसें खुलेआम आइएसबीटी के बाहर से संचालित होती हैं। इंटरनेट पर इन बसों के टिकट ऑनलाइन बुक होते हैं मगर न इनके विरुद्ध परिवहन विभाग कोई कदम उठाता, न पुलिस-प्रशासन। रोडवेज प्रबंधन की ओर से शासन स्तर तक यह शिकायत भेजी जा चुकी है। एक दफा मुख्य सचिव ने अवैध संचालन रोकने को आइएसबीटी चौकी पुलिस की जिम्मेदारी तय की थी पर पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। सवाल ये उठ रहा कि खुलेआम ये बसें आखिर कैसे और किसके संरक्षण में दौड़ रहीं।
नहीं मिलेगा बीमा क्लेम
स्थिति ये है कि अगर ये बसें हादसे का शिकार हो जाएं तो यात्रियों को बीमा क्लेम तक नहीं मिलेगा। दरअसल, ये बसें बगैर रजिस्ट्रेशन, फिटनेस या बीमे के दौड़ रही हैं। ऊपर से फर्जीवाड़ा अलग।
अभियान चलाकर होगी कार्रवाई
एआरटीओ प्रवर्तन अरविंद पांडेय के अनुसार, निजी बसों के अवैध संचालन की सूचना पर प्रवर्तन की कार्रवाई की जाती है। पिछले दिनों भी ऐसी कुछ बसें सीज की जा चुकी हैं। परिवहन विभाग और निगम की संयुक्त टीम के जरिए जल्द अभियान चलाकर ऐसी बसों पर व्यापक कार्रवाई की जाएगी।
फर्जी बीमा प्रमाणपत्र पर दौड़ रहे वाहन
दून शहर में फर्जी बीमा प्रमाणपत्र पर गाड़ियां दौड़ाने के मामले थम नहीं रहे। परिवहन उपायुक्त सुधांशु गर्ग ने औचक चेकिंग में ऐसी ही डिलीवरी वैन पकड़ी, जिसका बीमा फर्जी पाया गया। इसी बीमे पर वाहन को आरटीओ से फिटनेस प्रमाणपत्र भी जारी था। ऐसे में परिवहन मुख्यालय ने आरटीओ देहरादून को कड़े निर्देश जारी किए हैं।
बता दें कि आरटीओ आफिस के बाहर से वाहनों के बीमे का रैकेट संचालित हो रहा है। यह मामला तब सामने आया था जब ट्रैक्टर के कागज ट्रांसफर कराने के नाम पर आरटीओ के मुख्य सहायक के खिलाफ रिश्वत मांगने की शिकायत करने वाले शिकायतकर्ता के ट्रैक्टर का बीमा फर्जी पाया गया। जिस पर आरटीओ ने पुलिस में शिकायत की।
पुलिस की जांच में यह पता चला कि बीमा आरटीओ आफिस के बाहर ही एक एजेंट ने किया था। जिस पर पुलिस ने बुधवार को आरटीओ के बाहर से एजेंट को हिरासत में ले लिया था।बीती 21 नवंबर को एक व्यक्ति की ओर से विजिलेंस में शिकायत कराई गई थी कि उसने अपना ट्रैक्टर कृषि से व्यवसायिक में बदलने के लिए आरटीओ में आवेदन किया था।
आरोप था कि वहां पर मुख्य सहायक इस कार्य के लिए घूस मांग रहा। जिस पर विजिलेंस ने कार्रवाई कर आरटीओ आफिस में छापा मार दलाल संदीप कुमार उर्फ मोनू और प्रदीप सिंह को रिश्वत लेते हुए पकड़ा था। विजिलेंस का दावा था कि यह रिश्वत मुख्य सहायक यशबीर सिंह बिष्ट की कुर्सी के समक्ष ली जा रही थी और दलाल संदीप उस वक्त कुर्सी पर बैठा हुआ था।
विजिलेंस ने बाद में यशबीर को भी गिरफ्तार किया था। इस मामले में विभागीय जांच में मालूम चला कि शिकायतकर्ता केके ट्रैक्टर का बीमा फर्जी निकला। आरटीओ दिनेश चंद्र पठोई की ओर से की शिकायत पर बुधवार को डालनवाला पुलिस ने एक बीमा एजेंट को हिरासत में लिया था।
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इसी बीच परिवहन उपायुक्त गर्ग ने सहस्त्रधारा रोड पर चेकिंग में एक डिलीवरी वैन को रोका। उसके चालक के पास से मिले दस्तावेजों में वाहन का बीमा फर्जी निकला। खुद बीमा कंपनी ने कन्फर्म किया कि उसने ऐसा कोई प्रमाणपत्र जारी नहीं किया। ये प्रमाणपत्र आरटीओ के बाहर से जारी हुआ था। माना जा रहा कि आरटीओ के बाहर से ही बड़ा रैकेट संचालित हो रहा।
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