कचरा अलग-अलग न किया तो देना होगा टैक्स, पढ़िए पूरी खबर
पर्यावरण संरक्षण के मद्देनजर जैविक-अजैविक कचरा प्रबंधन को लेकर पर्यावरण मंत्रालय ने अब कमर कसी है। कचरा अलग-अलग करके न देने वालों से इसके लिए टैक्स वसूला जा सकता है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। पर्यावरण संरक्षण के मद्देनजर जैविक-अजैविक कचरा प्रबंधन को लेकर पर्यावरण मंत्रालय ने अब कमर कसी है। इस कड़ी में पर्यावरण मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने स्थानीय निकायों को पर्यावरण एक्ट के उस प्रावधान का कड़ाई से अनुपालन कराने को कहा है, जिसमें साफ है कि जैविक-अजैविक कचरा अलग-अलग करके न देने वालों से इसके लिए टैक्स वसूला जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रथम चरण में राजभवन, मुख्यमंत्री आवास, मंत्री-अधिकारी आवास और सरकारी-गैर सरकारी कॉलोनियों से इसकी शुरुआत की जाए।
अजैविक कचरा विशेषकर प्लास्टिक व पॉलीथिन के बेतहाशा प्रयोग से तमाम दिक्कतें सामने आ रही हैं। हालांकि, राज्य में प्लास्टिक-पॉलीथिन बैन है, मगर इसका धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है। रही-सही कसर घरों, प्रतिष्ठानों से निकलने वाले जैविक-अजैविक कचरे को अलग-अलग करके न दिए जाने से स्थानीय निकायों का सांस फूल रहा है। जैविक-अजैविक कचरे के प्रबंधन के संबंध में पर्यावरण मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने सोमवार को आइटी पार्क स्थित पर्यावरण भवन में नगर निगम, नगर पालिका व नगर पंचायतों के अफसरों से विमर्श किया।
बैठक के बाद पर्यावरण मंत्री डॉ.रावत ने बताया कि पर्यावरण एक्ट में निकायों को अधिकार है कि वे कचरा प्रबंधन के लिए टैक्स ले सकते हैं। एक्ट में साफ है कि घरों, प्रतिष्ठानों से जैविक-अजैविक कचरे को अलग-अलग करके दिया जाए और ऐसा न करने पर संबंधित निकायों को इसके लिए पैसा लेने का अधिकार होगा।
डॉ.रावत ने कहा कि सभी निकायों को इसका कड़ाई से अनुपालन कराने के लिए कहा गया है। प्रथम चरण में राजभवन, मुख्यमंत्री आवास, मंत्री-अधिकारी आवास, सरकारी-गैर सरकारी कॉलोनियों से इसकी शुरुआत की जाएगी। सभी से कहा जाएगा कि वे जैविक-अजैविक कचरा अलग-अलग करके दें, अन्यथा इसके लिए निकाय को टैक्स दें।
पर्यावरण मंत्री के अनुसार राज्य में बड़ी संख्या में आने वाले पर्यटक यहां होटल, आश्रम व धर्मशालाओं में ठहरते हैं। उन पर भी यही नियम लागू होता है और निकाय उनसे भी टैक्स वसूलेंगे। उन्होंने कहा कि पर्यावरण एक्ट के अनुरूप कचरा प्रबंधन के लिए जाने वाले टैक्स से निकायों की आय भी बढ़ेगी।
कंपनियों को भी निकायवार जिम्मेदारी
पर्यावरण मंत्री ने बताया कि प्रदेशभर में तमाम कंपनियों के उत्पाद बिक रहे हैं, जिनकी पैकिंग में प्लास्टिक-पॉलीथिन का प्रयोग हो रहा है। अब इन कंपनियों को भी जवाबदेह बनाया जा रहा है। इस क्रम में प्रत्येक कंपनी को एक-एक निकाय का जिम्मा दिया जाएगा, जहां से वे विभिन्न उत्पादों से निकलने वाले पॉलीथिन- प्लास्टिक कचरे के उठान की जिम्मेदारी दी जाएगी।
एक करोड़ की राशि सौंपी
कचरा प्रबंधन के लिए संसाधन जुटाने के उद्देश्य से पर्यावरण मंत्री ने एक करोड़ की राशि का चेक शहरी विकास विभाग को सौंपा है। उन्होंने बताया कि यह राशि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से दी गई है।
यह भी पढ़ें: निर्मल गंगा अभियान: हर-हर गंगे के जयकारों के साथ ली गई गंगा स्वच्छता की शपथ