सीएम रावत बोले, लोकसेवकों के आचरण से होती है राज्य की पहचान
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि लोकसेवक उत्तराखंड के आवरण हैं। हम सभी से राज्य की पहचान होती है।
देहरादून, जेएनएन। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि आम जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरना सबसे बड़ा दायित्व है। जिम्मेदारियों से अनजान या लापरवाह बने रहना भी पूरी तरह अनैतिक है। उन्होंने कहा, लोकसेवक उत्तराखंड के आवरण हैं। हम सभी से राज्य की पहचान होती है। कार्मिकों से उनके विभाग की पहचान भी स्थापित होती है। शासन और सरकार में शामिल लोगों के आचरण से सरकार की छवि बनती है। अगर अच्छी छवि है तो जनता के बीच सकारात्मक संदेश जाता है और बुरी छवि होने से नकारात्मक संदेश जाता है।
दरअसल, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत 'लोक सेवा में नैतिकता' विषय पर सचिवालय में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान सीएम ने कहा कि हम सभी चाहे सामान्य आदमी हों, कर्मचारी हों या बड़े अधिकारी हों, नियम कायदे सभी के लिए एक समान हैं। अगर हम अपनी जिम्मेदारियों के प्रति न्याय करते हैं तो हम नैतिक हैं। इसके विपरीत अपनी जिम्मेदारियों से अनजान बने रहना या लापरवाह रहना अनैतिक आचरण की श्रेणी में आता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा आचरण ही हमें महान बनाता है। अच्छी शिक्षा या उच्च पद पाने पर भी अगर हमारा व्यवहार सही नहीं है तो उच्च शिक्षा या पद का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने रावण का उदाहरण देते हुए कहा कि रावण बहुत ज्ञानी था, लेकिन आचरण अनैतिक था।
जनता की उम्मीदों पर उतरना है खरा
सीएम ने कहा, प्रदेश के दूरदराज क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की हमसे बहुत अपेक्षाएं हैं। जितना ऊंचा पद होता है उतनी ही बड़ी जिम्मेदारी होती है। समाज विशेष तौर पर युवा पीढ़ी की हमसे बहुत उम्मीदें हैं। ये हम पर है कि हम इन उम्मीदों को कितना पूरा कर पाते हैं।
निर्णय लेने या समस्याओं के निस्तारण में न करें देर
मुख्यमंत्री ने कहा कि हर मनुष्य का अंतिम लक्ष्य सुख प्राप्ति है और सच्चा सुख नैतिकतापूर्ण आचरण से ही सम्भव है। सचिवालय बहुत महत्वपूर्ण संस्था है। यहां लिए जाने वाले निर्णय हजारों-लाखों के जीवन पर प्रभाव डालते हैं। निर्णय लेने या फाइलों के निस्तारण में देर की प्रवृत्ति से बचना चाहिए। हमारे राज्य का भला होगा तो हमारा स्वतः ही भला होगा।
फैसला लेने में हो दुविधा, तो करें गरीब व्यक्ति का ध्यान
वहीं, अधिकारियों को संबोधित करते हुए मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने कहा कि हमें कोई भी निर्णय लेते समय सही और गलत का ज्ञान होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि अगर निर्णय लेने में दुविधा है तो सबसे गरीब व्यक्ति का ध्यान रखते हुए यह विचार करें कि क्या हम अपने फैसले से उसके लिए कुछ अच्छा कर पा रहे हैं।
राज्य ने दिया है बहुत कुछ, अब है लौटाने की बारी
मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य ने हमें बहुत कुछ दिया है, हमें राज्य को इससे अधिक लौटाना होगा। लक्ष्य 2020 का निर्धारण नैतिकता के आधार पर किया गया है। हमें इन लक्ष्यों की पूर्ति के लिए हर सम्भव कोशिश करनी चाहिए। अपने सामान्य जीवन में नैतिकता का पालन करते हुए अपनी टेबल से समयबद्धता के साथ फाईलों का निस्तारण करना चाहिए। लोग हम पर भरोसा करके अपनी समस्याओं को लेकर व्यक्तिगत या फोन पर सम्पर्क करते हैं। हमारा दायित्व है कि हम उनकी बात को ध्यान से सुनें और यथासम्भव राहत देने की कोशिश करें।
डीजीपी अनिल कुमार रतूड़ी ने कहा कि सभी अधिकारियों को नियमों की पूरी जानकारी होती है। इन नियमों का पालन करते हुए लोक सेवा में नैतिक आचरण बनाया रखा जा सकता है। दक्षता, ज्ञान व मनोवृत्ति सबसे महत्वपूर्ण हैं। कार्यशाला को आत्मचिंतन का महत्वपूर्ण अवसर बताते हुए कहा कि सही व गलत की पहचान जरूरी है। जनसामान्य के जीवन-गुणवत्ता में सुधार, शासन का सबसे बड़ा उद्देश्य है। हम अधिकारियों को अच्छा वेतन और अन्य सुविधाएं मिलती हैं जबकि एक बहुत बड़ा वर्ग ऐसा है जिसे कि अपनी सामान्य जरूरतों को पूरा करने के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ती है। सामान्य जन के लिए अधिकारियों का उपलब्ध रहना सबसे महत्वपूर्ण है।
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