आपका दुख समझता हूं, मैंने भी पिता को खोया है
देहरादून पहुंचे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने पुलवामा हमले व इसके बाद की आतंकी घटनाओं में शहीद हुए जांबाजों के परिजनों से मुलाकात की। उन्होंने शहीदों के परिजनों को ढांढस बंधाया और शिद्दत के साथ इस बात का एहसास भी कराया कि वह उनका दुख समझते हैं।
जागरण संवाददाता, देहरादून: देहरादून पहुंचे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने पुलवामा हमले व इसके बाद की आतंकी घटनाओं में शहीद हुए जांबाजों के परिजनों से मुलाकात की। उन्होंने शहीदों के परिजनों को ढांढस बंधाया और शिद्दत के साथ इस बात का एहसास भी कराया कि वह उनका दुख समझते हैं। राहुल गांधी ने कहा कि आतंकी हमले में उन्होंने भी अपने पिता को खोया है और अपनों को खोने की पीड़ा क्या होती है, इस बात को वह भली-भांति महसूस कर सकते हैं।
शनिवार दोपहर को परेड ग्राउंड में चुनावी रैली को संबोधित करने के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष सबसे पहले नेहरू कॉलोनी स्थित शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट के यहां पहुंचे। इसके बाद वह सीआरपीएफ के एएसआइ शहीद मोहन लाल रतूड़ी के परिजनों से मिले और फिर डंगवाल मार्ग पर शहीद मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल के परिजनों से मुलाकात की। राहुल गांधी ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उन्हें देश के वीरों पर गर्व है और उनके सर्वोच्च बलिदान के बूते ही हम सब खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं। उन्होंने शहीदों के परिजनों को ढांढस बंधाते हुए यह भी कहा कि वह उनके साथ खड़े हैं और मातृ भूमि की खातिर अपनी शहादत देने वाले वीर उनके ही बच्चे नहीं हैं, बल्कि वह पूरे देश के सपूत हैं।
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आपका बेटा और मेरे पिता देश के लिए हुए शहीद: राहुल
शहीद होने का दर्द मैं समझ सकता हूं। आपका बेटा और मेरे पिता आइईडी ब्लास्ट में देश के लिए शहीद हुए हैं। चित्रेश ने आइईडी को डिफ्यूज कर देश के सैकड़ों सैनिकों की जान बचाई है। ऐसे वीर शहीद पर पूरे देश को नाज है। पूरा देश आपके साथ है। कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी शनिवार को 2:38 बजे शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट के नेहरू कॉलोनी घर पहुंचे। यहां उनके साथ राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रीतम सिंह, पूर्व सीएम हरीश रावत, प्रदेश प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह आदि नेता भी शामिल थे। यहां परिजनों से परिचय करने के कुछ देर बाद राहुल ने अकेले में बात करने को कहा। इस पर कांग्रेस के सभी बड़े नेता घर से बाहर आ गए। यहां राहुल ने 12 मिनट तक शहीद चित्रेश के पिता सेवानिवृत्त इंस्पेक्टर एसएस बिष्ट, माता रेखा बिष्ट और भाई नीरज बिष्ट से बातचीत की। राहुल गांधी शहीद चित्रेश के पिता का हाथ थामते हुए भावुक हो गए। कहा कि दुश्मनों ने मेरे पिता को भी आइईडी ब्लास्ट से मारा था। शहीद होने का दर्द उनसे ज्यादा कौन जान सकता है। राहुल ने कहा कि उत्तराखंड के युवा जाबांजी में हमेशा आगे रहे हैं। इस दौरान शहीद चित्रेश के पिता एसएस बिष्ट ने राहुल गांधी को अपने बेटे की कम उम्र में हासिल की गई उपलब्धियों से भी अवगत कराया। परिजनों को सांत्वना देते हुए राहुल ने कहा कि आपके बेटे ने देश का मान बढ़ाया है। करीब 2:55 बजे राहुल का काफिला नेहरू कॉलोनी से रवाना हुआ।
चित्रेश की तस्वीर को निहारते रहे राहुल
शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट के घर में रखी तस्वीर, वर्दी और तिरंगे को देख राहुल ने हाथ जोड़कर श्रद्धांजलि दी। इसके बाद राहुल सेवानिवृत्त इंस्पेक्टर एसएस बिष्ट के सामने बैठे रहे और बार-बार मेजर चित्रेश की तस्वीर को निहारते रहे। इस दौरान मेज पर रखी पेटिंग और घर में लगी चित्रेश की हाल में बनाई गई पेटिंग को देखकर राहुल भावुक हो उठे। राहुल गांधी ने शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट के बड़े भाई नीरज बिष्ट से भी बातचीत की। नीरज ने जब राहुल को बताया कि वह यूके में रहते हैं तो राहुल ने नीरज को परिजनों का ख्याल रखने को कहा।
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हमें आप पर नाज है, पूरा देश आपके साथ है
शहीद चित्रेश के घर से निकलकर राहुल गांधी पुलवामा में शहीद सीआरपीएफ के एएसआइ मोहन लाल रतूड़ी के घर पहुंचे। यहां राहुल तकरीबन 20 मिनट रहे। इस दौरान उन्होंने राजनीति पर कोई बात नहीं की। बस परिवार को ढांढस बंधाया। कहा कि पूरा देश उनके साथ खड़ा है। दोपहर करीब तीन बजकर 14 मिनट पर राहुल गांधी कांवली रोड स्थित शहीद मोहन लाल रतूड़ी के आवास पर पहुंचे। इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह समेत तमाम कांग्रेसी नेता उनके साथ थे। पर शहीद के परिजनों से राहुल अकेले ही मिले। घर के भीतर दाखिल होते ही सबसे पहले उन्होंने शहीद मोहन लाल रतूड़ी को श्रद्धांजलि दी। उनके चित्र के सामने शीश नवाया। फिर वह घर के प्रवेश द्वार के पास लगी कुर्सी पर आकर बैठ गए। शहीद के छोटे भाई मनमोहन रतूड़ी से हालचाल जाना। मोहन लाल कहां तैनात थे, आखिरी बार कब घर आए थे, उनका रिटायरमेंट कब था और तमाम बिंदुओं पर जानकारी ली। शहीद के बेटे श्रीराम व बेटी गंगा से उनकी पढ़ाई के विषय में जानकारी ली। परिवार को ढांढस बंधाते हुए कहा कि अपनों को खोने का दर्द वह अच्छी तरह जानते हैं। इस दुख से उबर पाना कितना मुश्किल, इस बात से वह वाकिफ हैं। शहीद की पत्नी सरिता देवी को सांत्वना दिया और बोले की अब आप ही को हिम्मत दिखानी है। बच्चों के भविष्य की जिम्मेदारी आप पर है। चिंता मत कीजिए पूरा देश आपके साथ है। इस दौरान शहीद मोहन लाल के दामाद सर्वेश कुमार नौटियाल, बड़ी बेटी अनुसूया, बेटा शंकर, बेटी वैष्णवी समेत परिवार के तमाम लोग मौजूद रहे।
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राहुल ने शहीद विभूति की मां को गले लगाया
शहीद मोहन लाल रतूड़ी के परिजनों से मिलने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी दोपहर बाद करीब तीन बजकर 55 मिनट पर शहीद मेजर विभूति ढौंडियाल के डंगवाल मार्ग स्थित आवास पर पहुंचे। पहुंचते ही उन्होंने परिजनों का हालचाल पूछा और शहीद विभूति के चित्र को नमन करते हुए श्रद्धांजलि दी। राहुल गांधी ने शहीद की मां सरोज ढौंडियाल के गले लगकर उन्हें ढांढस बंधाया।
इस दौरान सरोज ढौंडियाल से बातचीत करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि शहीद विभूति उनके ही बेटे नहीं थे, बल्कि वह पूरे देश के सपूत थे और हमेशा उनके दिलों में रहेंगे। उन्होंने देश की खातिर अपना बलिदान दिया है। ऐसे सपूत के घर पर आकर खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। दुख की इस घड़ी में वह उनके साथ खड़े हैं। मगर, हम सबको इस बात को नहीं भूलना चाहिए कि देश की खातिर ही हमारे वीर हंसते हुए अपने प्राण न्योछावर कर देते हैं, लिहाजा हर एक व्यक्ति को इस देश की बेहतरी के लिए काम करना चाहिए। राहुल गांधी करीब 25 मिनट शहीद विभूति के आवास पर रहे और अधिकांश समय उनकी मां सरोज से बातचीत करते रहे। इस दौरान शहीद की दादी, चाचा जगदीश ढौंडियाल, सतीश ढौंडियाल, जीजा मेजर विकास नौटियाल, बहन पूजा नौटियाल व वैष्णवी ढौंडियाल आदि मौजूद थे।