'मैं एक गांव हूं' को मनरेगा से जोड़ने की तैयारी, जानिए क्या है इस योजना में खास
मैं एक गांव हूं (आइ एम ए विलेज) योजना को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) से जोड़ने की तैयारी है।
By Edited By: Published: Tue, 09 Jun 2020 08:02 PM (IST)Updated: Wed, 10 Jun 2020 07:19 PM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। अब जबकि बदली परिस्थितियों में बड़ी तादाद में प्रवासियों ने वापसी की है तो उन्हें कृषि और उससे जुड़ी गतिविधियों से जोड़ने की कसरत भी तेज होने लगी है। इसी कड़ी में 'मैं एक गांव हूं' (आइ एम ए विलेज) योजना को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) से जोड़ने की तैयारी है। कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने अफसरों को इस बारे में खाका तैयार करने के निर्देश दिए हैं। सरकार की कोशिश है कि अगले माह तक इस योजना को लॉन्च कर दिया जाए।
पलायन के कारण खाली होते गांव और खेती-किसानी की बिगड़ती सेहत में सुधार के मकसद से कृषि मंत्री की पहल पर 'मैं एक गांव हूं' योजना का खाका खींचा गया। इसके तहत हर साल राज्य के सभी 95 विकासखंडों में एक-एक गांव को कृषि और उससे जुड़ी गतिविधियों के दृष्टिगत मॉडल के रूप में विकसित किया जाना है। योजना में चयनित होने वाले गांवों को निर्धारित बजट के अतिरिक्त एक से डेढ़ करोड़ की अतिरिक्त राशि देने का प्रविधान प्रस्तावित है। इस वित्तीय वर्ष में यह योजना लांच होनी थी, मगर कोरोना संकट के चलते ऐसा नहीं हो पाया। अब जब दो लाख से ज्यादा प्रवासी गांव लौट चुके हैं तो इस योजना में भी थोड़ी तब्दीली की जा रही है। पूर्व में प्रस्तावित गतिविधियों के साथ ही मनरेगा को भी इससे जोड़ा जा रहा।
असल में, 20 अप्रैल से मनरेगा के कार्यों को लेकर लोगों ने जिस तरह रुचि दिखाई और प्रवासी भी इसमें सक्रिय भागीदारी कर रहे हैं। इसी के मद्देनजर यह कदम उठाया जा रहा है। सरकार का मानना है कि मनरेगा से जुड़ने पर ग्रामीणों के सामने विकल्प और अधिक खुल जाएंगे। वे अपने खेतों को दुरुस्त कर सकेंगे तो कृषि, बागवानी समेत अन्य गतिविधियों को तेजी से बढ़ावा दे सकेंगे। खेती को जंगली जानवरों से बचाने के लिए मनरेगा में वन्यजीवरोधी बाड़ लग सकेगी। साथ ही संवेदनशील स्थलों में सोलर पावर फैंसिंग लगेगी। इसके अलावा अन्य कार्य भी हो सकेंगे।
कृषि मंत्री सुबोध उनियाल का कहना है कि मैं एक गांव हूं योजना का मनरेगा से जुड़ाव होने पर चयनित गांवों के लोग लाभान्वित होंगे। इसके अलावा योजना में फार्मर्स मशीनरी बैंक, कलेक्शन सेंटर, शर्टिग-ग्रेडिंग सिस्टम, पशुपालन, मुर्गी, मछली पालन जैसी गतिविधियों पर जोर दिया जाएगा। कृषि उत्पादों के विपणन की व्यवस्था की जाएगी। ऐसे में प्रवासियों को भी इससे जोड़ने में मदद मिलेगी।
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