आयुष्मान में बेहतर करने वाले अस्पतालों को मिलेगा प्रोत्साहन, पढ़िए पूरी खबर
अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना में जो अस्पताल उच्च स्तर का उपचार मरीजों को देंगे उन्हें अतिरिक्त प्रोत्साहन दिया जाएगा।
देहरादून, जेएनएन। अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के तहत राज्य के लोगों को निश्शुल्क उपचार मुहैया किए जाने की योजना अध्यक्ष डीके कोटिया ने समीक्षा की। उन्होंने कहा कि जो अस्पताल उच्च स्तर का उपचार मरीजों को देंगे उन्हें अतिरिक्त प्रोत्साहन दिया जाएगा।
स्वास्थ्य महानिदेशालय में समीक्षा के दौरान बताया गया कि अभी तक प्रदेशभर में लगभग 32 लाख लोगों के गोल्डन कार्ड बना दिए गए हैं। विभिन्न अस्पतालों के माध्यम से राज्य के 38177 मरीजों को सूचीबद्ध निजी एवं सरकारी अस्पतालों में उपचार दिया गया है। इन मरीजों के संबंध में विभिन्न पैकेज की लगभग 37 करोड़ रुपये की धनराशि अनुमोदित की गई है।
यह भी बताया गया कि योजना के अंतर्गत सूचीबद्ध अधिकांश चिकित्सालयों में मरीजों की संख्या निरंतर बढ़ रही है, जिसके अंतर्गत राज्य के सर्वाधिक उपचार करने वाले 10 निजी एवं सरकारी चिकित्सालयों में मरीजों की संख्या का विवरण प्रस्तुत किया गया। बताया गया कि इन चिकित्सालयों में मरीजों को उत्तम स्तर का उपचार दिया जा रहा है। प्रमुख चिकित्सालयों में स्वामी राम हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट ने सबसे अधिक 6992 मरीजों को उपचार दिया। जिस पर योजना के तहत लगभग छह करोड़ 72 लाख रुपये अनुमोदित किए गए।
दूसरे नंबर पर एम्स ऋषिकेश है। जिसमें 3700 मरीजों को उपचार दिया गया। जबकि श्री महंत इंदिरेश अस्पताल 3635 मरीजों को उपचारित कर तीसरे नंबर पर रहा। इसके अतिरिक्त राजकीय दून मेडिकल कॉलेज कॉलेज में 1172, राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी में 2060 और बेस अस्पताल हल्द्वानी में 1057 मरीजों को उपचार दिया गया। अभी तक सर्जरी के लिए सबसे अधिक 14536 मरीजों ने योजना का लाभ लिया। हृदय रोग संबंधित सर्जरी के लिए 802 मरीज उपचारित हुए हैं, 1374 कैंसर रोगियों का उपचार हुआ है। इसके अतिरिक्त हड्डी रोग से संबंधित और मल्टीपल फ्रैक्चर के 1614 मरीजों को योजना के तहत उपचार दिया गया।
पहाड़ों में भी लोकप्रिय हो रही योजना
योजना के अध्यक्ष डीके कोटिया ने कहा कि यह योजना राज्य के मैदानी जनपदों में लोकप्रिय है और अब राज्य के पर्वतीय जनपदों में भी निरंतर इसका लाभ लिया जाने लगा है। कोटिया के अनुसार चमोली जनपद से 1252, पौड़ी जनपद से 2175, पिथौरागढ जनपद से 1017, टिहरी गढ़वाल जनपद से 2310 और उत्तरकाशी से 1223 मरीजों को योजना के तहत उपचार मिला है।
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र केलाखेड़ा पर कसा शिकंजा
अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के तहत उपचार के दौरान अनियमितता बरतने वाले अस्पतालों की निगरानी और जांच का कार्य किया जा रहा है। इसी क्रम में योजना के राज्य स्तरीय कार्यालय द्वारा मुख्य चिकित्सा अधिकारी उधमसिंह नगर को निर्देशित किया है कि वह जनपद में संचालित एवं योजना में सूचीबद्ध उन सभी निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम की सूची उपलब्ध कराएं, जिन अस्पतालों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र केलाखेड़ा से मरीजों को रेफर किया गया है।
बता दें, योजना के तहत गत दिनों ऊधमसिंह नगर और हरिद्वार जनपद के छह अस्पतालों में अनियमितता बरतने के साथ ही गलत उपचार के लिए भुगतान प्राप्त करने संबंधित मामले पकड़े गए। सभी मामलों की जांच की गई है। जांच में आस्था नर्सिंग होम, काशीपुर के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज करा दी गई है तथा दोषी चिकित्सक के विरुद्ध भी कार्रवाई की जा रही है। अब प्राथमिक स्वास्थ्य, केलाखेड़ा पर शिकंजा कसा गया है। यहां से ऊधमसिंह नगर के अधिकांश निजी अस्पतालों में मरीजों को रेफर किए जाने की जानकारी मिली थी। जबकि केलाखेड़ा में कोई भी चिकित्सक तैनात नहीं है।
अब सीएमओ से सभी अस्पतालों की सूची तलब की गई है। इस मामले में सरकारी कर्मचारियों की मिलीभगत भी सामने आई है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र केलाखेड़ा में तैनात फार्मेसिस्ट अनुराग रावत ने जांच टीम के सामने यह कबूल किया कि उसने ही रेफरल स्लिप पर हस्ताक्षर कर चिकित्साधिकारी की मुहर लगाई थी। कुछ रेफरल स्लिप बिना मरीज का नाम, बीमारी और संदर्भित अस्पताल का नाम दर्ज किए ही अपने हस्ताक्षर व चिकित्साधिकारी की मुहर लगाकर अनुसेवक गजेंद्र भंडारी को भी उपलब्ध कराई थी। हालांकि फार्मेसिस्ट में टीम को लिखित बयान देने से इन्कार कर दिया था। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से चिकित्सक तैनात न होने के बावजूद मेडिकल ऑफिसर की मुहर से 17 मरीज रेफर किए गए हैं।
मरीज की बाहर से जांच कराने पर बैठी जांच
दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय के बाहर से जांच कराने के मामले में मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने जांच कर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। अस्पताल के चिकित्सक ने मरीज को बाहर की लैब से 1300 रुपये की जांच लिखी थी। इस मामले में चिकित्सा अधीक्षक ने दो सदस्यीय टीम गठित कर एक सप्ताह में जांच रिपोर्ट मांगी है।
बता दें, सुभाष त्यागी निवासी राजपुर रोड 25 अप्रैल को अपनी बेटी का इलाज कराने दून अस्पताल गए थे। उन्होंने यहां एक चिकित्सक से परामर्श किया। आरोप है कि चिकित्सक ने कुछ टेस्ट अस्पताल के बाहर डॉ. रानू पैथोलॉजी सेंटर से कराने के लिए स्लिप थमा दी। इस जांच में 1300 रुपये लगे। इसकी शिकायत त्यागी ने गत चार मई को मुख्य चिकित्सा अधिकारी से की थी। इस पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने छह मई को चिकित्सा अधीक्षक को इस मामले में कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे।
चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा ने बताया कि उन्होंने दून मेडिकल कॉलेज के दो चिकित्सकों की टीम गठित की है और एक सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने बताया कि कुछ टेस्ट ऐसे हैं जो अस्पताल में नहीं होते हैं, जिनके बारे में वहां बोर्ड भी लगा है। जो टेस्ट दून अस्पताल में होते हैं, यदि उनमें से ही किसी टेस्ट को बाहर कराने को लिखा गया है तो निश्चित रूप से चिकित्सक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, जांच रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी।
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