13 साल बाद श्रीनगर-काशीपुर बिजली लाइन के निर्माण की जगी उम्मीद
400 केवी श्रीनगर-काशीपुर लाइन निर्माण की उम्मीद जग गई है। पिटकुल की ओर से इसके लिए टेंडर जारी करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। निर्माण कार्य 13 साल से अधर में लटका हुआ था।
देहरादून, जेएनएन। 400 केवी श्रीनगर-काशीपुर लाइन निर्माण की उम्मीद जग गई है। पिटकुल की ओर से इसके लिए टेंडर जारी करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। लाइन का निर्माण कार्य 13 साल से अधर में लटका हुआ था।
वर्ष 2006-07 में श्रीनगर काशीपुर बिजली लाइन के लिए मुंबई की एक कंपनी से सर्वे कराया गया। इसमें 152.8 किलोमीटर की लाइन का प्रस्ताव बना था। लाइन निर्माण का टेंडर कोबरा कंपनी को मिला।
कंपनी ने जब अपने स्तर से सर्वे कराया तो कंपनी की ओर से लाइन की लंबाई 190 किमी कर दी गई। इसमें से 25 किमी लंबी लाइन उत्तर प्रदेश की सीमा से होकर गुजरने की बात सर्वे में बताई गई। केंद्रीय और उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग के स्पष्ट निर्देश थे कि लाइन उत्तराखंड की सीमा में ही बनाई जाए।
अक्टूबर, 2014 में कंपनी को काम शुरू करने के लिए 53 लाख रुपये का भुगतान भी कर दिया गया। लाइन निर्माण मार्च, 2017 तक हर हाल में पूरा होना था, लेकिन लाइन के लिए एक पोल भी नहीं लगा। इसके चलते विश्व बैंक ने दिया पैसा वापस ले लिया था। जांच हुई तो पिटकुल ने कोबरा कंपनी के 106 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी भी जब्त कर ली और उससे टेंडर छीन लिया।
फिलहाल पिटकुल और कोबरा कंपनी का मामला आर्विट्रेशन में चल रहा है, लेकिन पिटकुल ने योजना के लिए 12 सौ करोड़ रुपये का प्रस्ताव तैयार किया है। इसे मंजूरी मिल चुकी है। पिटकुल के अधीक्षण अभियंता और प्रवक्ता नीरज पाठक ने कहा कि योजना के लिए आठ मार्च को टेंडर आमंत्रित किए थे। आचार संहिता के कारण फिलहाल टेंडर नहीं खोले जा सके।
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