टीम जागरण, देहरादून : Holi 2023 : उत्‍तराखंड के कुमाऊं की खड़ी और बैठकी होली के बारे में तो सब जानते हैं, लेकिन उत्‍तराखंड की ही एक जनजाति ऐसी भी जहां की होली अपने आप में अनूठी होती है। यहां दो हिस्‍सों में होली खेली जाती है। जी हां, हम बात कर रहे हैं ऊधमसिंहनगर जिले के खटीमा में थारू जनजाति (Tharu tribe) की होली के बारे में।

यहां थारू समाज के लोग जिंदा होली (jinda Holi) और मरी होली (mari Holi) खेलते हैं। होलिका दहन से पहले जिंदा होली खेली जाती है और और होलिका दहन के बाद मरी होली खेली जाती है।

कैसे मनाते हैं जिंदा होली?

जिस दिन से कुमाऊं की खड़ी होली की शुरुआत है उसी दिन से थारू समाज में जिंदा होली की शुरुआत होती है। इसे खिचड़ी होली कहते हैं। थारू समाज की इस होली में ढोल नगाड़ों के साथ पुरुष और महिलाएं भी घर-घर जाकर होली के गीत गाती हैं और नाचते हैं। होलिका दहन तक यह होली मनाई जाती है।

कैसे मनाते हैं मरी होली?

होलिका दहन के बाद मरी होली मनाई जाती है। स्‍थानीय लोगों के अनुसार ऐसी मान्यता है जिन गांवों में आपदा या बीमारियों से मौत हो जाती थी उस गांव के लोग होली का त्योहार होलिका दहन के बाद मनाते हैं। पूर्वजों के दौर से चली आ रही इस परंपरा को आज भी थारू समाज के लोग मानते आ रहे हैं।

इन गांव में होती है जिंदा-मरी होली

भूड़, सुजिया महोलिया, उमरुखुर्द, नंदन्ना, गोसीकुआ भुडिया, कुटरी, बिगराबाग, गोहरपटिया, कुटरा, आलावृद्धि, छिनकी, श्रीपुर बिछवा, बनकटिया, उइन, बिरिया मझोला, दियां, चांदपुर, देवरी, सबोरा, रतनपुर, फुलैया, सड़ासडिय़ा, झनकट आदि गांव में जिंदा होली खेली जाती है जबकि जादोपुर, बानूसी, चांदा, सैजना, चंदेली, गुरुखुडा, कुमराह, तिगरी, उल्धन।

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Edited By: Nirmala Bohra