Move to Jagran APP

रद किए टेंडर पर पुनर्विचार करे जीएमवीएन: हाईकोर्ट

गढ़वाल मंडल विकास निगम (जीएमवीएन) की ओर से रद किए गए खनन लॉटों के टेंडर पर हाई कोर्ट ने निगम को पुनर्विचार करने का आदेश दिया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 09:54 PM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 09:54 PM (IST)
रद किए टेंडर पर पुनर्विचार करे जीएमवीएन: हाईकोर्ट
रद किए टेंडर पर पुनर्विचार करे जीएमवीएन: हाईकोर्ट

जागरण संवाददाता, देहरादून: गढ़वाल मंडल विकास निगम (जीएमवीएन) की ओर से रद किए गए खनन लॉटों के टेंडर पर हाई कोर्ट ने निगम को पुनर्विचार करने का आदेश दिया है। टेंडर प्रक्रिया को लेकर सात ठेकेदारों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इनमें से एक याचिका की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने गुरुवार को उक्त आदेश जारी किया है। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में प्रबंध निदेशक को टेंडरों की जांच के लिए कमेटी गठित करने को कहा है।

loksabha election banner

बीते दिनों जीएमवीएन ने देहरादून, टिहरी और हरिद्वार में कुल 36 खनन लॉट के आवंटन के लिए टेंडर जारी किए थे। इनमें से अब तक छह खनन लॉट की टेंडर प्रक्रिया ही पूरी हो सकी है। इसी 15 से 25 सितंबर तक चली टेंडर प्रक्रिया में कुछ टेंडर कमेटी ने गलतियां होने के कारण रद कर दिए थे। ये टेंडर दोबारा जारी किए गए। इसके विरोध में कुछ ठेकेदार हाई कोर्ट चले गए। जीएमवीएन के प्रबंध निदेशक आशीष चौहान ने बताया कि टेंडर प्रक्रिया पूरी नहीं होने के कारण खनन लॉटों के आवंटन का काम पूरा नहीं हो पाया है। कुछ ठेकेदार हाई कोर्ट चले गए थे। उनमें से एक केस में हाई कोर्ट ने आदेश जारी किया है। कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए टेंडर की कमियां दूर की जाएंगी। एक नवंबर से खुलनी थी लॉट

जीएमवीएन की ओर से एक अक्टूबर से खनन लॉट पर काम शुरू करने की योजना थी, लेकिन टेंडर प्रक्रिया पूरी न होने के कारण अब तक 36 में से छह खनन लॉट का ही आवंटन हो पाया है। ठेकेदारों के हाई कोर्ट जाने से टेंडर प्रक्रिया पूरी होने में समय लग सकता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.