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अग्नि संवेदनशील वन सुरक्षा में 'हेस्को' मॉडल बेहद कारगर, पढ़िए पूरी खबर

उत्तराखंड में अग्नि संवेदनशील वनों की सुरक्षा को लेकर हिमालयी पर्यावरण अध्ययन और संरक्षण संगठन मॉडल का उपयोग होगा।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sat, 14 Dec 2019 05:33 PM (IST)Updated: Sat, 14 Dec 2019 05:33 PM (IST)
अग्नि संवेदनशील वन सुरक्षा में 'हेस्को' मॉडल बेहद कारगर, पढ़िए पूरी खबर
अग्नि संवेदनशील वन सुरक्षा में 'हेस्को' मॉडल बेहद कारगर, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, जेएनएन। प्रदेश के अग्नि संवेदनशील वनों की सुरक्षा को लेकर हिमालयी पर्यावरण अध्ययन और संरक्षण संगठन (हेस्को) मॉडल का उपयोग होगा। शुक्रवार को हेस्को के शुक्लापुर स्थित परिसर में हुई बैठक में राज्य वन विभाग की ओर से वनों की आग के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई। 

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उत्तराखंड समेत अन्य हिमालयी क्षेत्र और देश-दुनिया में वनों की आग पिछले दो दशकों में एक बड़ी विपदा के रूप में सामने आई है। केंद्र सरकार द्वारा वनों की आग के प्रति गंभीरता बरती जा रही है। वन पर्यावरण विभाग द्वारा राज्य स्तर पर समिति गठित की गई। जिससे इसके रोकथाम के लिए किए गए प्रयासों पर बातचीत हो सके। शुक्रवार को इन्हीं मुद्दों को लेकर हैस्को में विचार-विमर्श हुआ। बैठक की अध्यक्षता मुख्य वन संरक्षक गढ़वाल जीएस पांडे ने की। वक्ताओं ने कहा कि अग्नि संवेदनशील वन क्षेत्रों में हेस्को द्वारा किए गए प्रयोग कारगर साबित हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि वन क्षेत्रों में जलसंग्रहण और जनमानस की सामूहिक भागीदारी व इस पर आधारित रोजगारों को बढ़ावा दिया जाएगा। 

वैज्ञानिक पहलुओं पर शोध करेगा वन विभाग 

विगत 28 सितंबर 2019 की बैठक में मुख्य वन संरक्षक जयराज ने परामर्शदात्री समिति की बैठक में निर्णय लिया था कि वनों की आग, वर्षा व जल संग्रहण पर शोध कार्य होना चाहिए। वन विभाग व हैस्को द्वारा 2010 में जल, जंगल, जमीन को बचाने के लिए जो मॉडल तैयार किया गया था, उसका वैज्ञानिक नजरिये से अध्ययन किया जाना चाहिए। मुख्य वन संरक्षक गढ़वाल जीएस पांडे ने बताया कि दो बिलियन लोग पानी की त्रासदी से जूझ रहे हैं। हेस्को के वैज्ञानिक अनूप ने कहा कि हेस्को और वन विभाग को दून घाटी में जल संग्रहण पर कार्य करना चाहिए। 

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इस मौके पर डीएफओ वैभव सिंह, डीएफओ धीरज धीमान ने भी अपने विचार रखे। बैठक में वन विभाग के अधिकारी व हैस्को की डॉ. हिमानी पुरोहित, डॉ. लता सती, रंजना कुकरेती शर्मा, मनीष, मनमोहन नेगी, प्रेम कंडवाल, रघुबीर सिंह आदि उपस्थित रहे। 

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जल, जंगल और हवा पर टिका जीवन: डॉ. जोशी 

हेस्को के संरक्षक पद्मश्री डॉ. अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि जन, जल, जंगल, जमीन और हवा हमारे सामूहिक मुद्दे हैं। जिन पर सभी का जीवन टिका है। उन्होंने वन विभाग व हैस्को के सामूहिक प्रयोग के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि समस्याएं प्रयोगों को जन्म देती हैं। वन अनुसंधान वृत्त, संजीव चतुर्वेदी ने पानी के संरक्षण और नियोजन पर चर्चा करते हुए कहा कि पानी व जंगल एक-दूसरे के पूरक हैं। 

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