लोक कलाकारों की पीड़ा और संघर्ष पर भावुक हुईं हेमा नेगी करासी
लोकगायिका हेमा नेगी करासी ने अपने फेसबुक पेज के माध्यम से कलाकार की पीड़ा और संघर्ष के बारे में बताया।
देहरादून, जेएनएन। सरकार की ओर से लोक कलाकारों की आर्थिक सहायता को एक-एक हजार रुपये की घोषणा का विरोध कम होने का नाम नहीं ले रहा है। कुछ कलाकार सम्मान के तहत राशि की मांग कर रहे हैं, तो कुछ घोषित राशि को स्वीकार करने से मना कर रहे हैं। इसी बीच रविवार को लोकगायिका हेमा नेगी करासी ने अपने फेसबुक पेज के माध्यम से कलाकार की पीड़ा और संघर्ष के बारे में बताया। इस दौरान वह बीच में भावुक हो गईं।
दो घंटे तक लाइव रही लोकगायिका हेमा ने कहा कि कलाकारों की यह स्थिति है कि किसी भी बड़े कार्यक्रम में मंच पर मांगल, गीत आदि की प्रस्तुति के लिए उन्हें सबसे पहले बुलाया जाता है लेकिन जैसे ही वे अपनी प्रस्तुति देकर मंच से बाहर जाते हैं तो उन्हें इस तरह विदा किया जाता है जैसा कि उनका कोई वजूद ही नहीं है। उन्होंने कहा कि गरीब परिवार का कलाकार यदि आगे बढ़ना चाहता है, तो उसका मजाक बनाने की जगह मदद करनी चाहिए।
अगर हजार रुपये में कलाकारों की तुलना होगी तो प्रत्येक उस कलाकार का नाराज होना लाजिमी है। इससे यह तो स्पष्ट होता है कि उत्तराखंड की संस्कृति की पहचान दिलाने वाले कलाकारों का आकलन इस समय किस आधार पर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कलाकारों की स्थिति डामाडोल जैसी है, ऐसे में एकजुटता जरूरी है।
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सरकार और संस्कृति विभाग को लोक कलाकारों की पीड़ा के बारे में गहनता से सोचना चाहिए। कहा कि लोकगायक चंद्रसिंह राही, हीरा सिंह राणा, जीत सिंह नेगी जैसे लोक कलाकारों के निधन के बाद संस्कृति विभाग और सरकार या किसी जन प्रतिनिधि ने उनकी मदद और सम्मान जैसे कार्य नहीं किए।
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