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उत्‍तराखंड में उड़ान सेवा को नहीं लगे पंख, जानिए क्‍या है इसकी वजह

उत्‍तराखंड में हवाई सेवा की योजना को केंद्र से स्वीकृति मिली। कहा गया कि हर जिले में हेलीपैड बनेंगे और यहां से हेली सेवाएं शुरू की जाएंगी। पर सेवाएं नहीं शुरू हुई। इसका मुख्य कारण इनमें से अधिकांश स्थानों पर हेलीपैड न होना है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 25 Sep 2020 09:22 AM (IST)Updated: Fri, 25 Sep 2020 09:22 AM (IST)
उत्‍तराखंड में उड़ान सेवा को नहीं लगे पंख, जानिए क्‍या है इसकी वजह
उत्‍तराखंड में घंटों का सफर कुछ ही मिनटों में करने की योजना को नहीं लगे पंख।

देहरादून, विकास गुसाईं। प्रदेशवासियों को एक सपना दिखाया गया, सस्ती हवाई सेवा का सपना। घंटों का सफर कुछ ही मिनटों में करने की योजना। बीमारों को राहत मिलेगी, तो पर्यटकों को प्रकृति से जुड़ने का मौका। बाकायदा केंद्र से इस योजना को स्वीकृति मिली। कहा गया कि हर जिले में हेलीपैड बनेंगे और यहां से हेली सेवाएं शुरू की जाएंगी। शुरुआत में इस पर काम भी हुआ। बावजूद इसके स्थिति यह है कि अभी तक केवल नई टिहरी, चिन्यालीसौड़, गौचर, श्रीनगर व देहरादून से ही हेली सेवा शुरू हो पाई हैं। पिथौरागढ़, धारचूला, हल्द्वानी, हरिद्वार, जोशीमठ, मसूरी आदि के लिए हेली सेवा का संचालन ही नहीं हो पाया है। इसका मुख्य कारण इनमें से अधिकांश स्थानों पर हेलीपैड न होना है। कुछ जगह हेलीपैड बनाने को जमीन चिह्नित की गई है तो कहीं जमीन ही नहीं है। ऐसे में प्रदेश में सस्ती हवाई सेवाओं का सपना अभी तक पूरा नहीं हो पाया है।

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बंद हुए कौशल विकास प्रशिक्षण केंद्र 

प्रदेश में कौशल विकास केंद्रों के जरिये युवाओं का हुनर निखारने की मुहिम को झटका लगा है। इसका कारण प्रदेश में कौशल विकास केंद्रों का बंद हो जाना है। कोरोना के कारण केंद्र सरकार ने प्रदेश में स्थापित 104 कौशल विकास केंद्रों के संचालन पर रोक लगा दी है। कौशल विकास केंद्रों में 15902 प्रशिक्षु प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे थे। इससे प्रदेश सरकार की युवाओं को प्रशिक्षण देकर रोजगार उपलब्ध कराने की मुहिम भी डगमगाई है। दरअसल, कौशल विकास केंद्रों में युवाओं को 31 ट्रेड में 577 पाठ्यक्रम पढ़ाए जा रहे थे। सरकार का लक्ष्य वर्ष 2022 तक एक लाख युवाओं को प्रशिक्षण देने का था। कोरोना काल के दौरान वापस लौटे युवाओं के लिए यह योजना खासी मुफीद साबित हो सकती थी। केंद्र सरकार द्वारा इस योजना के अंतर्गत प्रशिक्षण केंद्रों के संचालन पर रोक लगा दिए जाने से सरकार की मंशा फलीभूत होने पर अड़ंगा लग गया है।

एकीकरण पर अभी तक नहीं निर्णय 

केंद्र की तर्ज पर उत्तराखंड में भी खेल एवं युवा कल्याण विभाग को एक छतरी के नीचे लाने का निर्णय अभी तक धरातल पर नहीं उतर पाया है। इसका कारण एकीकरण का लगातार हो रहा विरोध है। ऐसे में सरकार ने फिलहाल इस मसले पर चुप्पी साधना ही बेहतर समझा है। दरअसल, प्रदेश सरकार ने वर्ष 2018 में दोनों विभागों के एकीकरण का निर्णय लिया था। इसके लिए दोनों विभागों से सुझाव व आपत्तियां आमंत्रित की गईं। कहा गया कि दोनों विभागों को एक करने से युवाओं व खिलाडिय़ों को केंद्र की योजनाओं का फायदा मिलेगा। प्रदेश में अभी विभागों के अलग होने से कई बार खिलाड़ि‍यों को जरूरी अनुमति लेने के लिए दोनों ही विभागों के चक्कर काटने पड़ते हैं। सरकार ने प्रस्ताव बनाकर दोनों विभागों का एकीकरण करने का प्रस्ताव कैबिनेट के जरिये पास कराया। हालांकि, मौजूदा परिस्थितियों में एकीकरण की राह आसान नजर नहीं आ रही है।

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कोरोना ने रोके ऑनलाइन ग्रीन कार्ड 

प्रदेश में चारधाम यात्रा के लिए ऑनलाइन ग्रीन कार्ड बनाने की योजना इस वर्ष परवान चढ़ती नजर नहीं आ रही है। कोरोना के कारण चारधाम यात्रा गति नहीं पकड़ पा रही है। अब यात्रा का पीक सीजन भी चला गया है। प्रदेश में चारधाम यात्रा के दौरान यात्रा मार्ग पर संचालित होने वाले व्यावसायिक वाहनों के लिए परिवहन विभाग ग्रीन कार्ड जारी करता है। प्रतिवर्ष 15 से 20 हजार ग्रीन कार्ड जारी किए जाते हैं। ग्रीन कार्ड का अर्थ यह होता है कि संबंधित वाहन के सारे दस्तावेज पूर्ण हैं, वाहन की फिटनेस भी चेक कर ली गई है और ये पर्वतीय मार्गों पर चलने को पूरी तरह फिट हैं। यात्रा के दौरान विभिन्न आरटीओ व एआरटीओ कार्यालयों में ये कार्ड बनाए जाते हैं। यात्रा सीजन में ग्रीन कार्ड बनाने के लिए वाहनों की लंबी कतारें लगती हैं। इसे देखते हुए ऑनलाइन ग्रीन कार्ड बनाने की योजना बनाई गई थी। 

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