पहाड़ों पर हांफ गया मानव विकास
दूरदराज के विषम पर्वतीय क्षेत्रों के विकास की जिस मूल अवधारणा को लेकर अलग उत्तराखंड राज्य का गठन किया गया, 18 साल गुजरने पर भी वह अधूरा ही है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून
दूरदराज के विषम पर्वतीय क्षेत्रों के विकास की जिस मूल अवधारणा को लेकर अलग उत्तराखंड राज्य का गठन किया गया, 18 साल गुजरने पर भी वह अधूरा ही है। आमदनी और खुशहाली के मामले में पर्वतीय जिले फिसड्डी बने हुए हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य और जीवन स्तर से जुड़ी सुविधाएं पहाड़ चढ़ने के नाम पर हांफ रही हैं। नतीजतन आमदनी और खुशहाली के लिहाज से राज्य के 13 जिलों में तीन मैदानी जिले देहरादून, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर सबसे ज्यादा धनी हैं। इनकी तुलना में पर्वतीय जिले गरीब हैं। दूरस्थ जिलों चमोली, चंपावत और पिथौरागढ़ से खुशहाली दूर है। अलबत्ता, लैंगिक विकास की बात करें तो उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग और बागेश्वर जिले उक्त तीनों मैदानी जिलों से बेहतर स्थिति में हैं यानी उक्त पर्वतीय जिलों में महिलाओं की स्थिति हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर और देहरादून की तुलना में ज्यादा अच्छी है।
राज्य की पहली मानव विकास रिपोर्ट (एचडीआर) में उक्त तथ्य सामने आए हैं। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वेक्षण के आधार पर इस रिपोर्ट को तैयार किया गया है। सचिवालय में सोमवार को वित्त मंत्री प्रकाश पंत की अध्यक्षता में आयोजित कार्यशाला में उक्त रिपोर्ट पर स्टेक होल्डर्स और सलाहकार संस्थाओं के प्रतिनिधियों के साथ मंथन किया गया। एचडीआर को स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर से संबंधित सूचकों के आधार पर तैयार किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक मानव विकास में पहले, दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे जिलों देहरादून, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर की अच्छी रैंकिंग की वजह प्रति व्यक्ति उच्च आमदनी रही है। आमदनी के मामले में रुद्रप्रयाग, चंपावत और टिहरी क्रमश: 11वें, 12वें और 13वें स्थान पर रहे। आमदनी के आधार पर टिहरी जिला सर्वाधिक पिछड़ा हुआ है। वहीं पर्वतीय जिलों में प्रति व्यक्ति आमदनी के मामले में चमोली और पौड़ी जिले अपेक्षाकृत बेहतर हैं। ये दोनों ही जिले क्रमश: चौथे और पांचवें स्थान पर हैं। पिथौरागढ़ छठे, नैनीताल सातवें, बागेश्वर आठवें, अल्मोड़ा नवें और उत्तरकाशी दसवें स्थान पर रहा है।