पहाड़ों पर जीवन यापन की खराब गुणवत्ता
मानव विकास रिपोर्ट से ये भी साफ हो रहा है कि पर्वतीय क्षेत्रों में गरीबी को दूर करने के लिए काफी मशक्कत करने की जरूरत है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून
मानव विकास रिपोर्ट से ये भी साफ हो रहा है कि पर्वतीय क्षेत्रों में गरीबी को दूर करने के लिए काफी मशक्कत करने की जरूरत है। जीवन स्तर की गुणवत्ता के मामले में पर्वतीय जिलों में अपेक्षित सुधार नहीं हो पा रहा है। वित्त मंत्री प्रकाश पंत ने चिकित्सा व स्वास्थ्य के प्रमुख संकेतांकों संस्थागत प्रसव, टीकाकरण, शिशु मृत्यु दर और माध्यमिक शिक्षा में नामांकन में सुधार के लिए मिशन मोड पर कार्य करने के निर्देश दिए हैं।
बहुस्तरीय गरीबी सूचकांक (मल्टीपल पावर्टी इंडेक्स) शिक्षा, स्वास्थ्य, जीवन स्तर, संपत्ति, पक्के आवास, घरेलू ईधन, स्वच्छता, पेयजल, बिजली, संस्थागत प्रसव, शिक्षा, विद्यालयों की उपलब्धता और उनमें छात्रों व शिक्षकों की उपस्थिति से संबंधित सूचनाओं के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें चमोली, चंपावत और पिथौरागढ़ क्रमश: पहले, दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर और देहरादून क्रमश: 11वें, 12वें व 13वें स्थान पर हैं। खुशहाली से जुड़ा ये सूचकांक गवाही दे रहा है कि विषम भौगोलिक क्षेत्रों यानी पर्वतीय क्षेत्रों तक खुशहाली की पहुंच की रफ्तार सुस्त है। दूरदराज के पर्वतीय जिले लैंगिक विकास (जीडीआइ) यानी महिलाओं के विकास और स्थिति के मामले में मैदानी जिलों ऊधमसिंहनगर, देहरादून और हरिद्वार से काफी बेहतर स्थिति में हैं। उक्त तीनों जिले आश्चर्यजनक ढंग से जीडीआइ में क्रमश: 11वें, 12वें व 13वें स्थान पर हैं।
कार्यशाला में वित्त मंत्री प्रकाश पंत ने मानव विकास सूचकांक को बेहतर बनाने के लिए प्रत्येक विभाग के बजट में आउटकम बजट को तरजीह दी गई है। नियोजन विभाग को इसका नियमित अनुश्रवण करना होगा। उन्होंने कहा कि यूएनडीपी की ओर से जारी मानव विकास रिपोर्ट 2018 में देश की रैंकिंग में चार वर्षो में निरंतर सुधार दर्ज किया गया है। मानव विकास रिपोर्ट को विजन 2030 के साथ जोड़कर अपेक्षित परिणाम के लिए ठोस नीति बनानी आवश्यक है। नियोजन सचिव अमित नेगी ने कहा कि सतत विकास लक्ष्यों को लेकर जारी विजन 2030 के प्रभावी क्रियान्वयन को एचडीआर के आधार पर कार्ययोजना तैयार करने की आवश्यकता है। कार्यशाला में सचिव डॉ भूपिंदर कौर औलख, आर मीनाक्षी सुंदरम, प्रभारी सचिव बीएस मनराल, अर्थ एवं संख्या निदेशक सुशील कुमार, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन, उद्यान समेत विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, अधिकारी, कंसल्टेंट एजेंसीज के विशेषज्ञ मौजूद थे।