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इस बार हरितालिका तीज समारोह में नहीं दिखेगी नेपाली कलाकारों की प्रस्तुति, पढ़िए पूरी खबर

गोर्खाली महिला तीज कमेटी के हरितालिका तीज समारोह में इस बार नेपाल के कलाकारों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियां देखने को नहीं मिलेंगी।

By Sumit KumarEdited By: Published: Sun, 09 Aug 2020 06:51 PM (IST)Updated: Sun, 09 Aug 2020 10:08 PM (IST)
इस बार हरितालिका तीज समारोह में नहीं दिखेगी नेपाली कलाकारों की प्रस्तुति, पढ़िए पूरी खबर
इस बार हरितालिका तीज समारोह में नहीं दिखेगी नेपाली कलाकारों की प्रस्तुति, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, जेएनएन। गोर्खाली महिला तीज कमेटी के हरितालिका तीज समारोह में इस बार नेपाल के कलाकारों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियां देखने को नहीं मिलेंगी। कमेटी ने कोरोना संक्रमण के चलते इस बार तीज समारोह को सादगी से मनाने का फैसला लिया है। 

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पिछले साल तक हरितालिका तीज पर्व को लेकर व्रत और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की तैयारी महीनेभर पहले से शुरू हो जाती थी। समारोह में कमेटी सदस्यों के अलावा गोर्खाली सुधार सभा की 40 से अधिक शाखाओं से जुड़े लोग पहुंचते थे। इसके अलावा खाने के स्टॉल में अरसा, गोरखा चटनी, सेलरोट बनाने की जिम्मेदारी भी सदस्यों को दी जाती थी। गायन, नृत्य व अन्य सांस्कृतिक प्रस्तुति के लिए नेपाल से कलाकार आते थे, लेकिन इस बार 23 अगस्त को होने वाले हरितालिका तीज समारोह में यह सब देखने को नहीं मिलेगा। पदाधिकारियों का कहना है कि इस बार की व्यवस्था, जगह और कितने लोग शामिल होंगे, इस बारे में जल्द ही कोर कमेटी की बैठक में निर्णय लिया जाएगा।  गोर्खाली सुधार सभा के अध्यक्ष पदम सिंह थापा ने बताया कि कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए एहतियात बरतना जरूरी है। इसलिए इस बार घरों में ही मिट्टी के शिवलिंग या प्रतिमा की पूजा की जाएगी। गोर्खाली महिला तीज कमेटी की अध्‍यक्ष कमला थापा ने बताया कि इस बार कोरोना संक्रमण के चलते हरितालिका तीज पर्व को सूक्ष्म रूप से मनाने की तैयारी की जा रही है। कमेटी के अधिक से अधिक 50 सदस्य ही कार्यक्रम में शारीरिक दूरी के साथ शामिल हो सकेंगे। वहीं नेपाल के कलाकारों और विशेष अतिथियों को आमंत्रित नहीं किया गया है।  

पौड़ी क्रांति की वर्षगांठ पर ताजा हुई यादें 

उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच ने पौड़ी क्रांति की 26वीं वर्षगांठ पर रैली और अनशन में आंदोलनकारियों के योगदान को याद किया। साथ ही गैरसैंण को स्थायी राजधानी घोषित करने की मांग भी उठाई। शनिवार को मंच के संयुक्त सचिव राकेश नौटियाल के धर्मपुर स्थित आवास पर बैठक हुई। वक्ताओं ने कहा कि पौड़ी की भव्य रैली थी जब तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार के 27 फीसद आरक्षण के खिलाफ सभी महाविद्यालयों के छात्र नेता व वरिष्ठ लोग एकत्रित हुए। इसी दिन तत्कालीन सरकार ने पौड़ी में बेमियादी अनशन पर बैठे इंद्रमणी बडोनी व साथियों को जबरन उठा कर लाठीचार्ज किया था।  मंच के प्रदेश महासचिव रामलाल खंडूड़ी ने कहा कि कोरोना काल समाप्त होते ही शीघ्र इन सभी महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर प्रदर्शन किया जाएगा। 

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बाबा मोहन उत्तराखंडी को दी श्रद्धांजलि 

चिह्नित राज्य आंदोलनकारी समिति ने बाबा मोहन उत्तराखंडी की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। समिति के केंद्रीय मुख्य संरक्षक धीरेंद्र प्रताप ने बाबा मोहन उत्तराखंडी को राज्य आंदोलन का पुरोधा बताते हुए कहा कि वर्ष 1994 में जब वे गढ़वाल का दौरा कर रहे थे उनकी मुलाकात बाबा मोहन उत्तराखंडी से सतपुली में हुई। तभी उन्होंने उन्हें संघर्ष समिति की पौड़ी जनपद शाखा का संरक्षक नियुक्त किया था।

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