बकाया भुगतान को लेकर गन्ना किसानों का हल्ला बोल, पुलिस ने रोका
दो वर्ष से अटके गन्ना के बकाया भुगतान और न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने की मांग को लेकर प्रदेशभर के किसानों ने विधानसभा कूच किया।
देहरादून, जेएनएन। दो वर्ष से अटके गन्ना के बकाया भुगतान और न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने की मांग को लेकर प्रदेशभर के किसानों ने गुरुवार को विधानसभा कूच किया। रिस्पना के पास बेरिकेडिंग पर पुलिस ने उन्हें रोक लिया। जहां पूर्वनिर्धारित कार्यक्रम के तहत प्रदर्शनकारी धरने पर बैठ गए। यहां पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत समेत बड़ी संख्या में कांग्रेसी धरने में शामिल हुए और उपवास किया।
हरिद्वार रोड स्थित एलआइसी बिल्डिंग के पास बड़ी संख्या में गन्ना किसान और कांग्रेस कार्यकर्ता पहुंचे और यहां से विधानसभा के लिए कूच किया। रिस्पना पुल से पहले ही पुलिस ने बेरिकेडिंग पर उन्हें रोक लिया। यहां हरीश रावत के नेतृत्व में सभी प्रदर्शनकारी सड़क पर बैठ गए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। यहां पर हरीश रावत समेत मातबर सिंह कंडारी, मंत्री प्रसाद नैथानी, हीरा सिंह बिष्ट आदि के नेतृत्व में गन्ना किसान और कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उपवास शुरू कर दिया।
करीब चार घंटे तक हरीश रावत उपवास पर डटे रहे, जबकि अन्य कांग्रेसी नेता वहां आते-जाते रहे। इस दौरान कांग्रेस के नेताओं ने सरकार पर निशाना साधा। केदारनाथ से कांग्रेस विधायक मनोज रावत ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश को संवारने की बजाय पीछे धकेल रही है। न तो यहां विकास कार्य हो रहे हैं और न ही किसानों, युवाओं और महिलाओं के लिए कोई लाभकारी नीति बनाई जा रही है।
बोले, जनता में सरकार के खिलाफ आक्रोश है। हरीश रावत के पुत्र वीरेंद्र रावत भी धरने में शामिल हुए। धरना देने वालों में सुशील राठी, सुमित्रा ध्यानी, गरिमा दसौनी, प्रणीता बडोनी, विनोद चौहान, गोदावरी थापली, संग्राम सिंह पुंडीर, कमलेश रमन, प्रदीप कोठियाल, दीप वोहरा आदि शामिल थे।
हर्बल टी और गींठी से तोड़ा उपवास
करीब चार घंटे किसानों के साथ बैठने के बाद हरीश रावत ने हर्बल टी और गींठी खाकर उपवास तोड़ा। उन्होंने कहा कि वे हर्बल टी पीने के शौकीन हैं और गींठी भी उन्हें खूब पसंद है। सरकार की बुद्धि-शुद्धि को किया हवन उपवास खोलने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और अन्य कांग्रेसियों ने सरकार की बुद्धि-शुद्धि को यज्ञ भी किया। उन्होंने आहुति देते हुए कहा कि त्रिवेंद्र सरकार को उत्तराखंड की समझ नहीं है, भगवान उन्हें सद्बुद्धि दे और वे जनता की पीड़ा को समझ सकें।