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काफल पार्टी में सियासी धमक दिखाकर तीसरे मोर्चा की संभावना को हवा दे गए रावत

पूर्व सीएम हरीश रावत ने काफल पार्टी के बहाने सियासी धमक दिखाई। साथ ही विभिन्न संगठनों के लोगों को इसमें आमंत्रित कर तीसरे मोर्चे के संभावनाओं को हवा भी दे दी।

By Edited By: Published: Tue, 22 May 2018 03:00 AM (IST)Updated: Wed, 23 May 2018 05:06 PM (IST)
काफल पार्टी में सियासी धमक दिखाकर तीसरे मोर्चा की संभावना को हवा दे गए रावत
काफल पार्टी में सियासी धमक दिखाकर तीसरे मोर्चा की संभावना को हवा दे गए रावत

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत गाहे-बगाहे कांग्रेस और प्रदेश संगठन से इतर ये साबित करने से नहीं चूक रहे हैं कि वह कद्दावर नेता यूं ही नहीं हैं। हरदा ने पर्वतीय लोकजीवन व संस्कृति में रचे-बसे जंगली फल काफल की पार्टी में पारंपरिक फसल, मोटा अनाज, शिल्प, वस्त्र-आभूषण को प्रोत्साहन देने की अपनी मुहिम के जरिये एक तीर से कई निशाने साधे। 

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थराली उपचुनाव की जंग में जब सरकार और सत्तारूढ़ दल भाजपा के साथ कांग्रेस भिड़ी पड़ी है और स्वर्गीय राजीव गांधी की पुण्य तिथि पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने अपनी सक्रियता दिखाने को हाथ-पांव मारे, ऐसे में सामाजिक संगठनों, राजनीतिक दलों के साथ सरकार के खिलाफ आंदोलनरत ट्रेड यूनियनों को काफल पार्टी में जुटाकर सियासत के इस अनुभवी व माहिर खिलाड़ी ने ये भी जता दिया कि पार्टी के भीतर और बाहर वर्चस्व की जंग में उन्हें कतई नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। 

वहीं प्रचंड बहुमत से सत्ता पर काबिज भाजपा के खिलाफ विभिन्न दलों और संगठनों को एक साथ लाकर मजबूत तीसरे मोर्चे की संभावनाओं को भी रावत हवा देते दिखाई दिए। 

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत चर्चा में बने रहने के साथ ही सियासी मुद्दों को हवा देने के गुरों का रह-रहकर बखूबी इस्तेमाल करते रहते हैं। उन्होंने सुभाष रोड स्थित एक होटल में काफल चैप्टर ऑफ गढ़वाल को नए अंदाज में शुरू किया। इससे पहले वह कुमाऊं में यह पहल कर चुके हैं। 

स्वर्गीय राजीव गांधी की पुण्य तिथि पर आयोजित इस कार्यक्रम को हालांकि, कांग्रेस या फिर सियासी कार्यक्रम का रूप देने से परहेज किया गया, लेकिन इस काफल चैप्टर को पांच सूत्रों पर काम करने वाला करार देकर उन्होंने उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों को साथ लेकर अपने परोक्ष सियासी एजेंडे को सामने जरूर रख दिया। 

बीते वर्ष विधानसभा चुनाव में शिकस्त खाने के बाद रावत ने वर्षभर काफल पार्टी, आम पार्टी, आड़ू पार्टी के साथ ही कीड़ा-जड़ी चाय पार्टी के जरिये अपनी सियासी सक्रियता तो साबित की ही, चर्चा में बने रहने का मौका भी नहीं छोड़ा। 

प्रदेश संगठन पर हावी हरदा हालत ये है कि हरदा अब तक प्रदेश कांग्रेस संगठन पर भी पूरी तरह हावी नजर आए हैं। बीते दिनों केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारों के केदारनाथ पुनर्निर्माण के एजेंडे पर भी उन्होंने अपने ढंग से हमला बोला था। 

अब काफल पार्टी में हरदा ने पांच सूत्रों का खुलासा करते हुए कहा कि राज्य की आर्थिकी को मजबूत करने वाले वृक्षों अखरोट, चुल्लू, नींबू, तेजपात, आंवला, तुलसी के साथ ही रेशे वाले पेड़-पादपों में बांस, रामबांस, कंडाली आदि के संरक्षण व उपयोग पर फोकस किए जाने की आवश्यकता है। 

तीसरा सूत्र मंडुवा

कोदा, झंगोरा, बाजरा जैसे मोटा अनाजों के व्यंजनों को बढ़ावा देने का है। चौथे सूत्र में उन्होंने राज्य के पारंपरिक शिल्प को संरक्षण व पांचवें सूत्र में राज्य के पारंपरिक वस्त्रों और आभूषणों को बढ़ावा देने की पैरवी की गई, ताकि एक लाख लोग इस पुराने व्यवसाय को दोबारा शुरू कर सकें। 

संरक्षक व संयोजक मंडल नामित 

काफल चैप्टर ऑफ गढ़वाल के संरक्षक मंडल में केदारनाथ विधायक मनोज रावत, पूर्व विधायक व श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति अध्यक्ष गणेश गोदियाल, जोत सिंह बिष्ट, पृथ्वीपाल चौहान, सुरेंद्र कुमार व संदीप साहनी नामित किए गए हैं।

संयोजक मंडल में आशा मनोरमा डोबरियाल शर्मा व शांति प्रसाद भट्ट, सह संयोजक कुलबीर सिंह नेगी, संदीप पटवाल, गोदांबरी रावत, गीतू आर्य व विजयपाल रावत बनाए गए हैं। 

कई संगठनों ने की शिरकत 

इस कार्यक्रम में समाजवादी पार्टी के नेता सत्यनारायण सचान, भाकपा के समर भंडारी, माकपा के सुरेंद्र सजवाण, पदमश्री अवधेश कौशल, वैद्य बालेंदु, शिखा बालेंदु, सीटू से वीरेंद्र भंडारी, जगमोहन मेहंदीरत्ता, आरएस रजवार, डॉ महेश भंडारी, बच्चीराम कंसवाल, धाद से हर्षमणि व्यास, कर्मचारी नेता रवि पचौरी, कांग्रेस नेता जोत सिंह बिष्ट, मथुरादत्त जोशी, प्रभुलाल बहुगुणा, प्रदीप जोशी, नजमा खान, कमलेश रमन, गरिमा दसौनी, आशा टम्टा, सैयद शेभी हुसैन समेत बड़ी संख्या में मौजूद लोगों ने काफल व चाय पार्टी में शिरकत की।

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