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हरिद्वार का घोषणा पत्र, मतदाताओं को मथ रहे हैं मुद्दे

हरिद्वार संसदीय सीट का भूगोल भले ही उत्तराखंड के अन्य संसदीय क्षेत्रों की तुलना में सुगम हो। लेकिन यहां के सामाजिक समीकरण बिल्कुल भिन्न हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 09 Apr 2019 02:05 PM (IST)Updated: Tue, 09 Apr 2019 02:05 PM (IST)
हरिद्वार का घोषणा पत्र, मतदाताओं को मथ रहे हैं मुद्दे
हरिद्वार का घोषणा पत्र, मतदाताओं को मथ रहे हैं मुद्दे

हरिद्वार, जेएनएन। चुनाव प्रचार अंतिम दौर में है और मतदान का दिन भी करीब आ चुका है। पहले चरण में मतदान होने के कारण इस बार प्रत्याशियों के पास समय की कमी रही, बावजूद इसके उन्होंने हर वर्ग और हर क्षेत्र तक पहुंचने की कोशिश की। माहभर चली चुनाव प्रक्रिया के दौरान सिर्फ प्रत्याशी ही नहीं, बल्कि दैनिक जागरण की टीम ने भी पसीना बहाया। हमने मतदाता की नब्ज टटोलते हुए प्रयास किया कि वो कौन से मुद्दे हैं, जो उसे उद्वेलित कर रहे हैं, उसके दिलो-दिमाग को मथ रहे हैं। 

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ऋषिकेश, हरिद्वार, रुड़की और देहरादून तक फैली हरिद्वार सीट का भूगोल भले ही उत्तराखंड के अन्य संसदीय क्षेत्रों की तुलना में सुगम हो, लेकिन यहां के सामाजिक समीकरण बिल्कुल भिन्न हैं। भागौलिक तौर पर इस सीट का एक बड़ा हिस्सा पश्चिमी उत्तर प्रदेश से सटा है। इस सीट का मिजाज भांपना किसी के लिए भी चुनौती से कम नहीं है। बावजूद इसके दैनिक जागरण की टीम ने चुनौती को स्वीकार किया और सभी क्षेत्रों की यात्राएं कीं। 

इस दौरान किसान, श्रमिक, व्यापारी, शिक्षक-कर्मचारी, युवा, बुजुर्ग और महिलाओं समेत विभिन्न वर्गों के सैकड़ों लोगों से क्षेत्र के बड़े मुद्दों पर बात की गई। कोई किसी भी प्रत्याशी का समर्थक रहा हो, लेकिन जो मुद्दे उभरकर आए, उन पर आम जन की राय कमोबेश एक जैसी है। हमने उनसे सवाल किया कि आपके क्षेत्र के तीन बड़े मुद्दे कौन से हैं, जिन्हें आप चाहते हैं कि आपके सांसद लोकसभा में उठाएं। सड़क, शिक्षा, बिजली-पानी, स्वास्थ्य, अतिक्रमण जैसे मसले सभी जगह मिले, लेकिन जागरूक मतदाता गंगा को भी निर्मल चाहता है। जीवनदायनी गंगा में उसकी प्रबल आस्था है तो निर्मल गंगा प्राथमिकता में रहेगी ही।

वह चाहता है कि गंगोत्री से हरिद्वार तक गंगा में गिर रहे नाले टेप हों, पॉलीथिन का कचरा गंगा में न डाला जाए। वर्षों से अधूरे देहरादून-मुजफ्फरनगर हाईवे की पीड़ा भी उसे साल रही है। जिस प्रोजेक्ट को वर्ष 2010 में हरिद्वार में आयोजित महाकुंभ से पहले पूरा होना था, लेकिन उसकी राह अब भी 'अवरुद्ध' है। हरिद्वार और रुड़की में किसान गन्ने के बकाया को लेकर सवाल दाग रहे थे तो युवाओं के लिए रोजगार एक बड़ा मुद्दा दिखा। अतिक्रमण से आजिज आ चुका आम आदमी अब सुकून चाहता है। बूढ़े हों या जवान अथवा महिलाएं इस मुद्दे पर सब एकमत नजर आए कि शहरी विकास के लिए सुनियोजित योजनाएं तो बनें ही, प्रभावी रूप से अमल भी किया जाए। 

कानून-व्यवस्था भी एक बड़ा सवाल है। विशेषकर हरिद्वार जिले में यह चिंता और चिंतन का विषय बना हुआ है। लोगों को सुरक्षा चाहिए और वे बेबाकी से इस पर बहस भी करते हैं। हमारी टीम हरिद्वार के लक्सर क्षेत्र पहुंची तो यहां की बात ही अलग थी। गंगा के किनारे बसा यह क्षेत्र अक्सर बरसात में बाढ़ से त्रस्त रहता है। 

फसलें जलमग्न होने से ग्रामीणों को हर साल भारी नुकसान उठाना पड़ता है। कई बार तो गंगा की लहरें घर के आंगन में भी प्रवेश कर जाती हैं। लोगों को इसका स्थायी उपचार चाहिए। मतदाता संवेदनशील है और समझदार भी। इन मुद्दों के जरिये वह सिर्फ समस्या नहीं उठा रहा, बल्कि उम्मीद पाले हुए है कि उनके सांसद गंभीर पहल करते हुए समाधान भी करेंगे। 

ऐसे तैयार हुआ घोषणापत्र 

इतने बड़े संसदीय क्षेत्र का घोषणापत्र तैयार करना आसान नहीं था। इसके लिए दैनिक जागरण की टीम ने बस और ट्रेन के साथ ही बोट से भी यात्राएं की हीं, प्रत्याशियों के साथ प्रचार के दौरान पूरा दिन भी बिताया। इसके अलावा 12 स्थानों पर चुनावी चौपाल लगाई और देहरादून कार्यालय में तीन राउंडटेबल कांफ्रेंस कीं। गहन विचार विमर्श में आम आदमी से लेकर अपने-अपने क्षेत्र की प्रख्यात शख्सियतों ने भाग लिया। 

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