कुंभ कोरोना टेस्ट फर्जीवाड़ा: 2200 पन्नों की रिपोर्ट, विभागीय अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल
हरिद्वार के दौरान हुए कुंभ कोरोना टेस्ट फर्जीवाड़े की रिपोर्ट जिलाधिकारी हरिद्वार ने शासन को सौंप दी गई है। इस रिपोर्ट में कई विभागीय अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए गए हैं। आपको बता दें कि कुंभ बड़े पैमाने पर ये फर्जीवाड़ा हुआ था।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। हरिद्वार कुंभ में कोरोना जांच में हुए फर्जीवाड़े की रिपोर्ट जिलाधिकारी हरिद्वार ने शासन को सौंप दी है। सूत्रों की मानें तो तकरीबन 2200 पन्नों इस रिपोर्ट में कई विभागीय अधिकारियों की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए गए हैं। अब शासन में इस रिपोर्ट का अध्ययन चल रहा है। इसके बाद ही इस पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
उत्तराखंड सरकार ने कुंभ मेले के दौरान कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में तेजी से बढ़ रहे मामलों को देखते हुए सभी श्रद्धालुओं के लिए आरटीपीसीआर की निगेटिव रिपोर्ट लेकर आना अनिवार्य किया था। साथ ही हरिद्वार की सीमा पर भी कोरोना की आरटीपीसीआर और एंटीजन जांच की व्यवस्था की गई। इसके लिए 13 लैब को अधिकृत किया गया। जांच में फर्जीवाड़े की बात तब सामने आई, तब फरीदकोट (पंजाब) के एक व्यक्ति के मोबाइल पर बिना जांच किए ही जांच कराने संबंधी संदेश आया।
उसने इसकी शिकायत इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) से की। आइसीएमआर के पत्र पर स्वास्थ्य विभाग ने इसकी प्रारंभिक जांच कराई। इसमें गड़बड़ी की पुष्टि हुई। मामले की गंभीरता को देखते हुए शासन ने जिलाधिकारी हरिद्वार को जांच सौंपी। इसके बाद यह जांच एसआइटी को भी सौंपी गई। तकरीबन दो माह तक चली जांच के बाद अब जिलाधिकारी ने अपनी जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। सूत्रों की मानें तो इस रिपोर्ट में विभागीय अधिकारियों की भूमिका को भी कठघरे में किया गया है।
इसके अलावा इसमें वित्तीय अनियमितता की भी आशंका जताई गई है। तकरीबन 2200 पन्नों की पूरी रिपोर्ट के साथ ही 120 पन्नों का अलग सारांश भी शासन को सौंपा गया है। सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी ने रिपोर्ट मिलने की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि अभी इसका अध्ययन चल रहा है। इसके निष्कर्ष को सरकार के सामने प्रस्तुत किया जाएगा, जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई होगी।
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