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उम्मीदें 2021: उत्तराखंड में सुदृढ़ होते बुनियादी ढांचे ने जगाई आस, अच्छे संकेत दे रहा नया साल

Happy New Year 2021 वर्ष-2020 हर किसी के लिए बेहद संकट भरा रहा। सेहत से लेकर सामाजिक आर्थिक और मानसिक स्तर तक यह साल विचलित करने वाला रहा। पर अब नया साल कुछ उम्मीदें लेकर आया है। उम्मीद ये कि हम जल्द इस वायरस से छुटकारा पाएंगे।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Fri, 01 Jan 2021 12:45 PM (IST)Updated: Fri, 01 Jan 2021 12:45 PM (IST)
उम्मीदें 2021: उत्तराखंड में सुदृढ़ होते बुनियादी ढांचे ने जगाई आस, अच्छे संकेत दे रहा नया साल
उम्मीदें 2021: उत्तराखंड में सुदृढ़ होते बुनियादी ढांचे ने जगाई आस, अच्छे संकेत दे रहा नया साल।

जागरण संवाददाता, देहरादून। Happy New Year 2021 वर्ष-2020 हर किसी के लिए बेहद संकट भरा रहा। सेहत से लेकर सामाजिक, आर्थिक और मानसिक स्तर तक यह साल विचलित करने वाला रहा। पर अब नया साल कुछ उम्मीदें लेकर आया है। उम्मीद ये कि हम जल्द इस वायरस से छुटकारा पाएंगे। यही नहीं स्वास्थ्य के मोर्चे पर इस साल और भी काफी कुछ होना है। एक तरफ जहां सुदृढ़ होता बुनियादी ढांचा आस जगा रहा है, वहीं मानव संसाधन के लिहाज से भी अच्छे संकेत मिल रहे हैं।

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कोरोना से महायुद्ध में मिलेगी विजयश्री

कोरोना वैक्सीन की खबरों ने आने वाले साल में कोरोना से महायुद्ध पर विजयश्री की उम्मीद जगाई है। उत्तराखंड में कोरोना वैक्सीनेशन (टीकाकरण) के पहले चरण में तकरीबन 20 लाख लोगों को वैक्सीन लगाई जाएगी। इसके लिए तैयारियां पूरी हो गई हैं। स्वास्थ्य विभाग ने टीकाकरण के लिए अभी तक सरकारी और निजी क्षेत्र के 93889 स्वास्थ्य कार्यकर्त्ताओं को चिह्नित किया है। राज्य स्तरीय, जिला स्तरीय और ब्लॉक स्तरीय टास्क फोर्स का गठन किया गया है। कोराना वैक्सीन के परिवहन और भंडारण की तैयारी की जा रही है। जिन उपकरणों की कमी है, उनके लिए भारत सरकार से मांग की गई है। इसके साथ ही कोरोना वैक्सीन लगाने के लिए प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण का कार्य भी जल्द शुरू किया जा रहा है।

मानव संसाधन की कमी होगी दूर

उत्तराखंड में स्वास्थ्य के मोर्चे पर एक बड़ी चुनौती मानव संसाधन है। अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की कमी नहीं है, कमी चिकित्सक और अन्य स्टाफ की है। तमाम सरकारें अभी भी स्वीकृत पदों के सापेक्ष चिकित्सक उपलब्ध नहीं करा पाई हैं। पर अब नया साल उम्मीद की किरण लेकर आया है। प्रदेश में डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए बीते साल स्वास्थ्य विभाग में 476 डॉक्टरों को तैनाती की गई। वहीं वर्तमान में 763 डॉक्टरों और 1238 स्टाफ नर्सो की भर्ती प्रक्रिया चल रही है।

ईएसआईसी के दो अस्पताल

ईएसआईसी (एंप्लायज स्टेट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन) हरिद्वार में 300 बेड और दून में 100 बेड का अस्पताल बनाएगा। इसी के साथ देहरादून के शीशमबाड़ा में भी 100 बेड के अस्पताल का निर्माण किया जाएगा। अस्पताल बनने में बेशक अभी समय लगेगा पर इनका निर्माण इस साल पूरा हो जाएगा। इसके अलावा दून में जिला अस्पताल की नयी बिल्डिंग का भी कार्य इस साल पूरा हो जाएगा, जहां अत्याधुनिक सुविधाओं का लाभ जनता को मिलेगा। वहीं, दून के हर्रावाला में 300 बेड का महिला और कैंसर अस्पताल के निर्माण को सरकार ने वित्तीय और प्रशासनिक मंजूरी दे दी है। अस्पताल का कार्य 18 माह में पूरा किया जाएगा।

कर्मचारियों और पेंशनर को कैशलेस उपचार

प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों व पेंशनर को अटल आयुष्मान योजना के तहत शुरू की गई राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना का लाभ जनवरी से मिलना शुरू हो जाएगा। बता दें कि राज्य सरकार ने सभी राजकीय कर्मचारियों व पेंशनर को स्वास्थ्य योजना का लाभ देने का निर्णय लिया है। योजना का लाभ लेने के लिए प्रत्येक कर्मचारी, पेंशनर व उनके आश्रितों का कार्ड बनाना आवश्यक है। इस योजना का फायदा ये है कि इसमें उपचार व्यय की अधिकतम सीमा नहीं है। साथ ही लाभार्थी किसी भी सूचीबद्ध अस्पताल से सीधा उपचार करा सकता है। प्रदेश के बाहर भी सूचीबद्ध अस्पतालों में उपचार और ओपीडी में उपचार पर चिकित्सा व्यय प्रतिपूर्ति की व्यवस्था है।

बेहतर हुआ स्वास्थ्य का ढांचा

कोरोना के बहाने ही सही सरकार का पूरा फोकस इस साल स्वास्थ्य सेवाओं पर रहा। ऐसे में सुविधाओं में लगातार विस्तार होता गया। जिस कारण लाइफ सपोर्ट सिस्टम भी मजबूत हुआ है। साल की शुरुआत में सरकारी अस्पतालों में केवल 216 आइसीयू बेड थे, जिसकी संख्या अब 550 हो चुकी है। वेंटिलेटर भी 116 से बढ़कर 510 पहुंच चुके हैं। मार्च में राज्य में ऑक्सीजन का सिर्फ एक ही प्लांट था, जिसकी क्षमता 380 लीटर प्रति मिनट थी। वर्तमान में सात प्लांट हैं, जिनकी क्षमता 2276 लीटर प्रति मिनट है। इसके अलावा तीन चरणों में केंद्र के सहयोग से 17 ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किए जा रहे हैं। यह काम बेशक कोरोना के मद्देनजर हुए हैं, पर इनका लाभ भविष्य में अन्य मरीजों को भी मिलेगा।

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