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दोषी दस घंटे तक परिजनों के संग ढूंढता रही बच्ची को

मासूम से दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या कर शव छिपाने के दोषी जय प्रकाश तिवारी उस समय भी वह घटनास्थल पर ही मौजूद रहा जब परिजन बच्ची की तलाश कर रहे थे।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 29 Aug 2019 06:06 PM (IST)Updated: Thu, 29 Aug 2019 06:06 PM (IST)
दोषी दस घंटे तक परिजनों के संग ढूंढता रही बच्ची को
दोषी दस घंटे तक परिजनों के संग ढूंढता रही बच्ची को

देहरादून, जेएनएन। मासूम से दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या कर शव छिपाने के दोषी जय प्रकाश तिवारी ने घटना के समय अपराध को छिपाने की पुरजोर कोशिश की थी। यहां तक कि जब परिजन बच्ची की तलाश कर रहे थे, उस समय भी वह घटनास्थल पर ही मौजूद रहा। करीब दस घंटे तक पुलिस व परिजनों के साथ बच्ची की तलाश भी करता रहा।

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जय प्रकाश का भेद तब खुला, जब उसकी झुग्गी से बच्ची का खून से लथपथ शव बरामद किया। जब शव पर परिवार और अन्य लोगों की नजरें पड़ीं तो उसके साथ की गई हैवानियत देखकर लोगों के रोंगटे खड़े हो गए थे। इस पूरे घटनाक्रम के दौरान जय प्रकाश भागा नहीं, बल्कि वह परिजनों और बाद में आई पुलिस के साथ बच्ची की तलाश में लगा रहा। करीब दस घंटे तक चले इस सिलसिले के बाद जब शक की सुई उसकी ओर घूमने लगी तो वह वहां से भाग गया, लेकिन तिमली के जंगलों से गिरफ्तार कर लिया गया। 

 पुलिस की विवेचना में सामने आया था कि जय प्रकाश ने बच्ची को दस रुपये का लालच देकर अपनी झोपड़ी में बुलाया था। यहां उसने दस रुपये दिए, जिसके बाद वह उसके साथ दुष्कर्म करने लगा। जिस पर बच्ची चीखने लगी, इस पर जय प्रकाश ने उसकी गला दबाकर हत्या कर दी। इसके बाद शव को छिपाकर बाहर आ गया। जिस समय परिजन और पुलिस बच्ची की तलाश कर रहे थे, जय प्रकाश वहीं मौजूद रहा। शव बरामद होने के बाद बच्ची के हाथ में दस रुपये का नोट मिला और कुछ बाल भी मिले। यह बाल फोरेंसिक रिपोर्ट में जय प्रकाश के बताए गए।

एक्ट में संशोधन के बाद पहली फांसी

विशेष लोक अभियोजक भरत सिंह नेगी ने बताया कि यौन अपराधों से बच्चों का सरंक्षण करने संबंधी पोक्सो एक्ट में हाल में हुए संशोधन के बाद उत्तराखंड में फांसी की पहली सजा है। वैसे पोक्सो कोर्ट ने बीते एक साल के बाद तीन और मामलों में फांसी की सजा सुनाई है।

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एक साल के दौरान सुनाई गई फांसी की सजा

  • एक फरवरी 2019: नेहरू कॉलोनी थाना क्षेत्र में तीन साल के मासूम की कुकर्म के बाद हत्या के दोषी राजेश उर्फ जितेंद्र पुत्र शेर सिंह निवासी ग्राम अमरौली, जिला संभल, उप्र को फांसी की सजा सुनाई।
  • 24 अगस्त 2018: ऋषिकेश में छोटी बहन की दुष्कर्म के बाद व बड़ी बहन की दुष्कर्म का विरोध करने पर हत्या करने के दोषी गुरुद्वारे के सेवादार सरदार परवान सिंह निवासी समीरपुर बिजनौर को पोक्सो कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई।
  • 12 दिसंबर 2018: सहसपुर में किशोरी से दुष्कर्म के बाद हत्या कर शव को पेड़ से लटकाने के दोषी वाहन चालक मोहम्मद अजहर उर्फ अंट्रे पुत्र अहमद अली खान निवासी अंबाड़ी, डाकपत्थर को फांसी की सजा सुनाई गई थी।

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