सहयोग से समाधान: सवारियों की सुरक्षा और सुविधा का ख्याल रख दौड़ाया कारोबार का पहिया
तेजपाल सिंह बताते हैं कि वर्ष 2008 में दो-तीन टैक्सी गाड़ियों से शुरू हुए कारोबार में उनकी खुद की करीब 12 टैक्सी शामिल हैं। इसके अलावा करीब चार हजार टैक्सियों का नेटवर्क खड़ा हो चुका है। कोरोना काल में लॉकडाउन के समय कारोबार एकदम से ठप हो गया।
देहरादून, जेएनएन। कारोबार कोई भी हो, उसकी सफलता ग्राहकों के भरोसे और उम्मीद की कसौटी पर खड़ी होती है। खासकर जब मुश्किल दौर हो तो यही बातें खुद को साबित भी करनी होती है। कोरोना काल में तमाम कारोबारियों ने इसी मंत्र के सहारे न केवल अपने व्यवसाय के संजोए रखा, बल्कि ग्राहकों के साथ भरोसे और संबंध को भी मजबूत किया। ऑनलाइन टैक्सी सेवा मुहैया कराने वाले जीटीएस के मालिक तेजपाल सिंह इसके सबसे उदाहरण हैं।
तेजपाल सिंह बताते हैं कि वर्ष 2008 में दो-तीन टैक्सी गाड़ियों से शुरू हुए कारोबार में उनकी खुद की करीब 12 टैक्सी शामिल हैं। इसके अलावा करीब चार हजार टैक्सियों का नेटवर्क खड़ा हो चुका है। कोरोना काल में लॉकडाउन के समय कारोबार एकदम से ठप हो गया। सबसे बड़ी चुनौती साथ मे काम कर रहे कर्मचारियों के वेतन देने की थी, जिसे किसी तरह पूरा किया गया, क्योंकि अगर कर्मचारी खुश हैं तो कारोबार से जुड़ी किसी भी मुश्किल का हल तलाशना आसान हो जाता है। अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हुई तो टैक्सियों की बुकिंग आनी शुरू हुई।
(जीटीएस के मालिक तेजपाल सिंह)
तब ग्राहकों का पहला सवाल होता था कि वह जिस गाड़ी में उन्हें गंतव्य तक भेजेंगे, वह पूरी सैनिटाइज है या नहीं। क्योंकि सफर के दौरान कोरोना से सुरक्षित रहना जहां उनकी प्राथमिकता थी, वहीं हमे भी अपने चालक की सुरक्षा बरकरार रखनी थी। लिहाजा हर गाड़ी के साथ सैनिटाइजर और एक्स्ट्रा मास्क रखवाए गए। हर बार गाड़ी के लौटने पर उसका सैनिटाजेशन अनिवार्य कर दिया गया। तेजपाल बताते हैं कि हम हर सफर के बाद ग्राहकों का फीडबैक भी लेते रहे, ताकि उनकी उम्मीद अनुसार सेवाओं को और बेहतर बनाया जाए। यह सब प्रयास रंग लाया और धीरे-धीरे कर कामकाज चल निकला। लेकिन अभी पहले की तुलना में कामकाज बीस फीसद के ही करीब है। इसे पूरी तरह पटरी पर आने में कम से कम छह माह का समय और लगेगा।
समाधान-1: ऑनलाइन बुकिंग एप ने निभाई अहम भूमिका
तेजपाल सिंह ने कहा कि जीटीएस के नाम के ऑनलाइन बुकिंग एप ने कोरोना काल में ग्राहकों के बीच समन्वय बनाने में अहम भूमिका निभाई। जब लोग घरों से कम निकलना पसंद करते थे, उस समय वह घर पर ही बैठ कर ऑनलाइन टैक्सी बुक करने की सुविधा उन्हें मिल गईं। इसके साथ ही पेमेंट भी ऑनलाइन किये जाने का विकल्प दिया गया। ताकि नकदी के लेनदेन में संक्रमण फैलने की गुंजाइश एकदम से कम हो जाए।
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समाधान-2: सवारियों को दिलाया सुरक्षा का भरोसा
सवारियों को सुविधा देने के साथ ही उन्हें सुरक्षा का भरोसा दिलाना भी जरूरी था। इसी पर फोकस करते हुए जीटीएस ने ग्राहकों को कोरोना काल में भी जोड़कर रखा। इससे उनके कारोबार को खासा लाभ मिला। अब एक बार फिर से उन्हें बुकिंग मिल रही हैं और कारोबार सामान्य दिनों की तरह दौड़ने लगा है।
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