ग्रीन बोनस: वर्षों पुरानी साध पर भाजपा ने लगाई मुहर
भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में उत्तराखंड समेत हिमालयी राज्यों को ग्रीन बोनस देने का वायदा किया है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। तीन लाख करोड़ की सालाना पर्यावरणीय सेवाएं दे रहे उत्तराखंड को इसके एवज में ग्रीन बोनस की वर्षों से उठाई जा रही मांग पर भाजपा ने मुहर लगाई है। भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में उत्तराखंड समेत हिमालयी राज्यों को ग्रीन बोनस देने का वायदा किया है। यही नहीं, गोमुख से लेकर गंगासागर तक राष्ट्रीय नदी गंगा को स्वच्छ एवं निर्मल बनाने की बात भी इसमें शामिल है।
भाजपा की ओर से संकल्प पत्र के सिलसिले में चलाए गए अभियान के दौरान राज्यवासियों ने ग्रीन बोनस देने का सुझाव दिया था। यह किसी से छिपा नहीं है कि तमाम दुश्वारियां झेलने के बाद भी 71 फीसद वन भूभाग वाला उत्तराखंड देश के पर्यावरण में योगदान दे रहा है।
इसमें वनों की भूमिका सबसे अहम है। सरकारी आकलन पर ही गौर करें तो राज्य द्वारा सालाना दी जा रही तीन लाख करोड़ रुपये की पर्यावरणीय सेवाओं में करीब एक लाख करोड़ अकेले वनों से मिलती हैं। वह भी तब, जबकि वनों का संरक्षण यहां की परंपरा का हिस्सा होने के बावजूद वन कानूनों की बंदिशों ने दिक्कतें बढ़ाई हुई हैं। इसके साथ ही वन्यजीवों के कारण लोग दुश्वारियां झेल रहे हैं।
इस सबको देखते हुए ही राज्य की ओर से ग्रीन बोनस की मांग की जा रही है, ताकि क्षति की कुछ भरपाई हो सके। वर्ष 2009 में शिमला में हुए हिमालयी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में ग्रीन बोनस का मुद्दा उठाने वाले राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री व सांसद हरिद्वार रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि भाजपा के संकल्प पत्र में हिमालयी राज्यों को ग्रीन बोनस के रूप में वित्तीय मदद का वायदा यहां के लिए काफी अहम है। निशंक के अनुसार तब उन्होंने तत्कालीन योजना आयोग के उपाध्यक्ष के समक्ष भी यह मसला रखा था।
गंगा स्वच्छता को भी महत्व
भाजपा ने गंगा स्वच्छता को भी अपनी प्राथमिकता में रखा है। उसके संकल्प पत्र के अनुसार गोमुख से लेकर गंगासागर तक गंगा की स्वच्छता एवं निर्बाध प्रवाह सुनिश्चित करने को कदम उठाए जाएंगे। ऐसे में उत्तराखंड में भी गोमुख से लेकर हरिद्वार तक गंगा की निर्मलता के प्रयासों को गति मिलेगी।
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