राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने कहा- विश्व को चिपको आंदोलन से लेनी होगी प्रेरणा
राज्यपाल गुरमीत सिंह वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय की ओर से अंतरराष्ट्रीय जल सुरक्षा एवं जलवायु परिवर्तन सम्मेलन को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि विश्व को चिपको आंदोलन से प्रेरणा लेनी होगी।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के चुनौतीपूर्ण समय में विश्व को उत्तराखंड के चिपको आंदोलन से प्रेरणा लेनी चाहिए। युवाओं को पर्यावरण योद्धा के रूप में आगे आना होगा।
राज्यपाल गुरमीत सिंह बुधवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय की ओर से अंतरराष्ट्रीय जल सुरक्षा एवं जलवायु परिवर्तन सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में राज्य के चिपको आंदोलन और इसमें पर्वतीय महिलाओं की भूमिका सदैव प्रेरणादायक रहेगी। देवभूमि की पर्यावरणीय हितैषी संस्कृति एवं परंपराएं विश्व के लिए अनुकरणीय हैं। वन क्षेत्र बढ़ाने के लिए समुदाय आधारित प्रबंधन को बढ़ावा देना होगा।
उन्होंने कहा कि जल और जंगलों के बचाव के लिए मैकेनिज्म तैयार करना होगा। लोग समय से जागरूक नहीं हुए तो पर्यावरण के अपमान का परिणाम सभी को सामूहिक रूप से भुगतना होगा। उत्तराखंड देश को महत्वपूर्ण पर्यावरणीय सेवाएं दे रहा है। राज्य का विशाल वन क्षेत्र, गंगा व यमुना नदियां इसकी अमूल्य धरोहर हैं। हिमालय के जल स्रोतों व झीलों को पुनर्जीवित करने को ठोस योजनाओं व गंभीर प्रयासों की आवश्यकता है। युवाओं को पर्यावरण योद्धा के रूप में पौधारोपण व जल संरक्षण को महा अभियान बनाना होगा।
राज्यपाल ने कहा कि विद्यार्थियों को पर्यावरणीय विषयों के अध्ययन व शोध के लिए अधिकाधिक प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। जलवायु परिवर्तन, जल संकट व पर्यावरणीय संकट से बचने के लिए कोई लघु उपाय नहीं है। इस दिशा में सरकार, प्रशासन, सामाजिक एवं गैर सरकारी संगठनों, समाजसेवियों, पर्यावरणविदों व वैज्ञानिकों की सामूहिक भागीदारी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि नदियों के जल की गुणवत्ता का स्तर बनाए रखना बड़ी चुनौती बन गया है। जल तंत्र के स्वास्थ्य का ध्यान रखना होगा। जल प्रबंधन ढांचा विकसित करने की आवश्यकता है।
हिमालय के ग्लेशियर पर ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभाव पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि पर्वतीय पारिस्थितिकीय तंत्र की सुरक्षा के लिए गंभीर प्रयासों का समय आ गया है। हिमालय, नदी तंत्र और शहरीकरण में संतुलन बेहद जरूरी है।
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