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शीतकालीन पर्यटन पर टिकी सरकार की उम्मीदें

उत्तराखंड में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के साथ कोरोना के लिहाज से सुरक्षित उत्तराखंड का संदेश देने में सरकार कामयाब रही है। चारधाम के साथ राज्य के पर्यटक स्थलों में तीर्थयात्रियों व सैलानियों की बढ़ती आमद इसकी तस्दीक करती है। सरकार की नजरें शीतकालीन पर्यटन पर टिक गई हैं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sat, 31 Oct 2020 01:46 PM (IST)Updated: Sat, 31 Oct 2020 01:46 PM (IST)
शीतकालीन पर्यटन पर टिकी सरकार की उम्मीदें
अब सरकार की नजरें शीतकालीन पर्यटन पर टिक गई हैं।

देहरादून, राज्य ब्यूरो। अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के बाद उत्तराखंड में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के साथ ही कोरोना के लिहाज से सुरक्षित उत्तराखंड का संदेश देने में सरकार कामयाब रही है। चारधाम के साथ राज्य के पर्यटक स्थलों में तीर्थयात्रियों व सैलानियों की बढ़ती आमद इसकी तस्दीक करती है। अब सरकार की नजरें शीतकालीन पर्यटन पर टिक गई हैं। इसी के हिसाब से तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इसके तहत पर्यटक स्थलों में सैलानियों के ठहरने समेत अन्य व्यवस्थाओं पर खास फोकस किया जा रहा है। सरकार को उम्मीद है कि कोरोनाकाल में पर्यटन उद्योग को जो नुकसान हुआ है, उसकी काफी हद तक भरपाई शीतकालीन पर्यटन से हो सकेगी।

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उत्तराखंड में पर्यटन यहां की आर्थिक महत्वपूर्ण धुरी है। सामान्य परिस्थितियों में साढ़े तीन करोड़ से ज्यादा सैलानी देश के विभिन्न भागों से उत्तराखंड पहुंचते हैं। इनमें 44.2 प्रतिशत की भागीदारी तीर्थयात्रियों की है, जो चारधाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री समेत दूसरे धार्मिक स्थलों की यात्रा करते हैं। शेष पर्यटक यहां के दर्शनीय स्थलों और प्राकृतिक नजारों का लुत्फ उठाने आते हैं।

इस मर्तबा कोरोना संकट ने पर्यटन उद्योग की कमर तोड़कर रख दी थी। हालांकि, अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के बाद कोविड के नियमों का अनुपालन सुनिश्चित कराते हुए पर्यटन, तीर्थाटन गतिविधियां प्रारंभ की गईं। इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। राज्य से बाहर के व्यक्तियों को भी चारधाम के दर्शनों की इजाजत दिए जाने के बाद बड़ी संख्या में तीर्थयात्री यहां का रुख कर रहे हैं। इसके साथ ही मसूरी, नैनीताल समेत दूसरे पर्यटक स्थल भी पर्यटकों से गुलजार हो रहे हैं। इसके जरिये यह संदेश भी गया है कि पर्यटन, तीर्थाटन के लिहाज से उत्तराखंड सुरक्षित है। जाहिर है कि इससे पर्यटन व्यवसाय से जुड़े स्थानीय व्यक्तियों के चेहरों पर भी रौनक लौटी है।

अब जबकि चारधाम के कपाट बंद होने की तिथियां तय हो गई हैं तो सरकार ने पूरा फोकस शीतकालीन पर्यटन-तीर्थाटन पर केंद्रित कर लिया है। शीतकाल में जोशीमठ, ऊखीमठ, मुखबा समेत अन्य धार्मिक स्थलों के लिए तीर्थाटन के मद्देनजर व्यवस्थाएं जुटाई जा रही हैं। इसी तरह पर्यटक स्थलों की धारण क्षमता का आकलन किया जा रहा है, ताकि वहां आने वाले पर्यटकों को ठहरने आदि की दिक्कतें न होने पाएं। यही नहीं, शीतकाल में पर्यटक यहां के प्राकृतिक नजारों का लुत्फ उठा सकें, इसके लिए औली में ओपन आइस स्केटिंग रिंक तैयार कर लिया गया है। साथ ही सीमांत क्षेत्रों में भी पर्यटन गतिविधियों के मद्देनजर इन्हें इनरलाइन के दायरे से बाहर लाने की कवायद भी चल रही है।

-सतपाल महाराज (पर्यटन मंत्री उत्तराखंड) का कहना है कि‍  शीतकालीन पर्यटन के लिए सरकार ने तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया है। फिर चाहे वह औली में ओपन आइस स्केटिंग रिंक की बात हो अथवा चारधाम के शीतकालीन गद्दीस्थलों की या फिर दूसरे पर्यटक स्थलों की। सभी जगह व्यवस्थाएं चाक-चौबंद की जा रही हैं। पर्यटकों को दिक्कत न हो और कोविड के नियमों का भी पालन हो, इसी के अनुरूप कदम उठाए जा रहे हैं। 

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