पहाड़ लौटे लोग दिखाएंगे सरकार को राह, सरकार उनसे लेगी फीडबैक
जो लोग जड़ों से दूर चले गए थे अब वापस पहाड़ लौटे वही लोग सरकार को राह दिखाएंगे। रिवर्स पलायन कर मिसाल पेश करने वालों से सरकार फीडबैक लेगी।
देहरादून, केदार दत्त। पलायन का दंश झेल रहे उत्तराखंड से दशकभर पहले जो लोग जड़ों से दूर चले गए थे, अब वापस पहाड़ लौटे वही लोग सरकार को राह दिखाएंगे। रिवर्स पलायन कर मिसाल पेश करने वालों से सरकार फीडबैक लेगी, ताकि अन्य लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करने के साथ ही गांवों के विकास का खाका खींचा जा सके। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के निर्देश पर पलायन आयोग अगले वर्ष मार्च में उन लोगों का सम्मेलन करने जा रहा है, जिन्होंने पहाड़ लौटकर तरक्की की इबारत लिखी है।
उत्तराखंड से हो रहे पलायन की भयावहता का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि 1702 गांव अब तक निर्जन हो चुके हैं। ऐसे गांवों की भी बड़ी तादाद है, जहां आबादी अंगुलियों में गिनने लायक रह गई है। बेहतर भविष्य की आस में पलायन का सिलसिला अभी भी नहीं थमा है।
बावजूद इसके ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है, जो दिल्ली, मुंबई समेत अन्य शहरों से न सिर्फ वापस लौटे, बल्कि खुद के बूते पहाड़ में रोजगार भी कर रहे हैं। पहाड़ लौटे इन लोगों उस धारणा को तोडऩे का काम किया है, जिसमें कहा जाता था कि पहाड़ में कुछ नहीं हो सकता।
लंबे इंतजार के सरकार का ध्यान इनकी तरफ गया है और उसने इनके अनुभवों का लाभ उठाने की ठानी है। पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ.एसएस नेगी बताते हैं कि मुख्यमंत्री ने रिवर्स पलायन कर पहाड़ लौटे लोगों का सम्मेलन बुलाने के निर्देश दिए हैं। मार्च में होने वाले इस सम्मेलन की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं।
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डॉ.नेगी के अनुसार अभी तक ऐसे 150 लोगों की सूची तैयार कर ली गई है, जो एक दशक पहले पलायन कर गए थे और अब वापस लौटे हैं। इनमें कुछ ऐसे भी है, जो विदेश से वापस आए हैं। सम्मेलन में ये सभी अपने अनुभव साझा करेंगे। फिर इनके अनुभव व सुझावों को लेकर आगे की कार्ययोजना का खाका खींचा जाएगा। यही नहीं, इनकी सफलता की कहानी भी लोगों से साझा की जाएगी।
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