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नगर निकायों में किल वेस्ट मशीन के लिए सरकार देगी 50 फीसद अनुदान

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के तहत कूड़ा निस्तारण के लिए निकायों में किल वेस्ट मशीन लगाने पर 50 फीसद अनुदान सरकार की ओर से देने का एलान भी किया।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 17 Jan 2019 02:31 PM (IST)Updated: Thu, 17 Jan 2019 03:45 PM (IST)
नगर निकायों में किल वेस्ट मशीन के लिए सरकार देगी 50 फीसद अनुदान
नगर निकायों में किल वेस्ट मशीन के लिए सरकार देगी 50 फीसद अनुदान

देहरादून, राज्य ब्यूरो। शहरों की 'छोटी सरकारों' के अस्तित्व में आने के बाद अब इनके सशक्तीकरण को लेकर सरकार सक्रिय हो गई है। इस कड़ी में शहरी विकास विभाग की ओर से बुधवार को देहरादून में आयोजित गढ़वाल मंडल के नगर निकायों के प्रमुखों की अभिमुखीकरण कार्यशाला में उन्हें आर्थिक सशक्तीकरण के गुर सिखाए गए तो स्वच्छ भारत मिशन, प्रधानमंत्री आवास समेत कई योजनाओं की जानकारी दी गई। इस मौके पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि नगर निकाय अपने पैरों पर खड़े हों, इसके लिए उन्हें वित्तीय संसाधन बढ़ाने पर खास ध्यान देना होगा। उन्होंने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के तहत कूड़ा निस्तारण के लिए निकायों में किल वेस्ट मशीन लगाने पर 50 फीसद अनुदान सरकार की ओर से देने का एलान भी किया।

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राजपुर रोड स्थित एक होटल में आयोजित अभिमुखीकरण कार्यशाला को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि दीर्घकालीन विकास के लिए नगर निकायों का स्वावलंबी होना आवश्यक है। इस कड़ी में उन्होंने नागपुर शहर का उदाहरण दिया, जहां यूरीन से ही सालाना 85 करोड़ की आय हो रही है। उन्होंने निकाय प्रमुखों से अपेक्षा की कि वे निकायों के समुचित व सम्यक विकास के लिए गंभीरता से कार्य कर उदाहरण प्रस्तुत करें। साथ ही विकास कार्यों में इनोवेटिव आयडिया पर काम करने पर भी उन्होंने जोर दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने निकाय प्रमुखों और बोर्ड के वित्तीय व विवेकाधीन अधिकारों का दायरा बढ़ाया है, ताकि जनहित व विकास के कार्यों में कर्तव्य निर्वहन में आसानी हो। 

इसके साथ ही राज्य की परिस्थितियों के अनुरूप कई नियमों व नीतियों में नीतिगत परिवर्तन किए गए हैं। कई मानकों में शिथिलता दी गई है। आवास नीति में आमूलचूल परिवर्तन किया गया है। उन्होंने निकायों में स्वच्छता को प्राथमिकता देने पर भी जोर दिया। कहा कि राज्य के अधिकांश निकाय नदियों के किनारे हैं। लिहाजा, निकाय क्षेत्र के साथ ही नदियों की स्वच्छता व संरक्षण के प्रति भी उनका दायित्व बढ़ जाता है। उन्होने डोइवाला में सालिड वेस्ट मैनेजमेंट को लगी किल वेस्ट मशीन का उदाहरण दिया और कहा कि यदि अन्य निकाय भी इसे लगाते हैं तो राज्य सरकार मशीन की लागत का 50 फीसद अनुदान देगी। 

यह मशीन 11.50 लाख रुपये मूल्य की है। शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने निकायों में दलगत राजनीति से ऊपर उठकर कार्य करने की जरूरत बताई। कहा कि चुनाव लड़ने तक तो दलगत राजनीति ठीक है, लेकिन जीतने के बाद सारे निकाय के जनप्रतिनिधि हैं। राजनीतिक नजरिये से निकाय को ही नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि सरकार ने निकायों का बजट बढ़ाया है, अब निकायों को प्रबंधन कौशल दिखाना होगा। निकाय आमदनी बढ़ाने पर विचार कर लक्ष्य निर्धारित करें।

उन्होंने कहा कि निकायों के जनप्रतिनिधि शासन व जिला स्तरीय अधिकारियों और सरकार से समन्वय बनाकर कार्य करें। सरकार निकायों को हरसंभव सहायता व सहयोग करेगी। शहरी विकास सचिव शैलेश बगोली ने कहा कि सीमा विस्तार के फलस्वरूप निकायों में शामिल हुए नए क्षेत्रों में अवस्थापना विकास की चुनौती निकायों के सामने है। वहां आमजन को बुनियादी सेवाओं व सुविधाओं को बेहतर करने के लिए सामूहिक जिम्मेदारी से कार्य करना होगा। 

इस मौके पर नगर निगम के महापौर सुनील उनियाल गामा (देहरादून), अनीता ममगांई (ऋषिकेश) व अनीता शर्मा (हरिद्वार) के अलावा 35 निकायों (नगर पालिका परिषद व नगर पंचायत) के अध्यक्ष मौजूद थे। कार्यशाला के अन्य सत्रों में विभिन्न योजनाओं के बारे में जानकारी देने के साथ ही निकाय प्रमुखों की जिज्ञासाओं का समाधान किया गया।

कोटद्वार की महापौर नहीं रहीं मौजूद 

अभिमुखीकरण कार्यशाला में कोटद्वार नगर निगम की महापौर हेमलता नेगी की गैरमौजूदगी चर्चा का विषय रही। कांग्रेस से जुड़ी नेगी की गैरमौजूदगी को सियासी नजरिये से भी देखा गया। हालांकि, संपर्क करने पर महापौर नेगी ने बताया कि उन्हें निमंत्रण मिला था, लेकिन स्वास्थ्य खराब होने के कारण वह कार्यशाला में भाग नहीं ले पाई। बता दें कि कार्यशाला में गढ़वाल मंडल के नगर निकायों के भाजपा, कांग्रेस से जुड़े और निर्दलीय निकाय प्रमुखों ने शिरकत की।

निकाय प्रमुखों ने लिया शहरों को चमकाने का संकल्प

गढ़वाल मंडल के नगर निकायों के प्रमुखों की अभिमुखीकरण कार्यशाला में भाग लेने वाले निकाय प्रमुखों ने अपनी प्राथमिकताएं रखते हुए शहरों को चमकाने का इरादा जाहिर किया। साथ ही इसमें सरकार और शासन से सहयोग का आग्रह भी किया। उन्होंने आय के स्रोत बढ़ाने और विभिन्न योजनाओं को लेकर तस्वीर साफ करने के मकसद से कार्यशाला के आयोजन को बेहतर पहल बताया। मसूरी नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष अनुज गुप्ता ने कहा कि निकाय प्रमुखों की समझ बढ़ाने में ऐसे आयोजन मददगार साबित होते हैं। उन्होंने कहा कि पहाड़ों की रानी मसूरी की देश-दुनिया में पहचान है। वहां सैलानियों के लिए और बेहतर सुविधाएं जुटाने के साथ ही स्थानीय नागरिकों को सहूलियत देने को वह पुरजोर प्रयास करेंगे। नगर पालिका परिषद विकासनगर की अध्यक्ष शांति जुवांठा ने कहा कि विकासनगर में सीवरलाइन बहुत पुरानी है, जबकि आबादी काफी बढ़ गई है। सीवर लाइन का पुनर्गठन और जलभराव की दिक्कत से निजात दिलाना उनकी पहली प्राथमिकता है। नगर पंचायत सतपुली की अध्यक्ष अंजना वर्मा ने कहा कि सतपुली कस्बे और नयार नदी की स्वच्छता को लेकर वह कार्य करेंगी। नगर पंचायत मुनिकी रेती के अध्यक्ष रोशन रतूड़ी ने कहा कि अपने शहर को सुंदर बनाने के साथ ही रोजगार के अवसर सृजित करना उनका लक्ष्य है। अन्य निकायों के प्रमुखों ने भी अपनी-अपनी योजनाओं व प्राथमिकताओं को शासन व विभाग के अफसरों के समक्ष रखा।

यूजर चार्जेज की दरें बढ़ा सकते हैं निकाय

उत्तराखंड के 101 नगर निकायों में से 96 में यूजर चार्जेज की दरें पूर्व में तय हो चुकी हैं। बदली परिस्थितियों में आय के स्रोत बढ़ाने के मद्देनजर निकाय इन दरों में बढोतरी कर सकते हैं। गढ़वाल मंडल के निकाय प्रमुखों की अभिमुखीकरण कार्यशाला में स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) की प्रगति से संबंधित प्रस्तुतीकरण के दौरान अधीक्षण अभियंता शहरी विकास रवि पांडेय ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यदि निकायों को लगता है कि दरें कम हैं तो वे इन्हें बढ़ा सकते हैं। पांडेय ने यह भी कहा कि सार्वजनिक शौचालयों के रखरखाव के मद्देनजर निकाय इसके लिए व्यावसायिक प्रतिष्ठानों और कॉलोनियों में अपने हिसाब से दरें तय कर सकते हैं। उन्होंने सेफ्टिक प्रोटोकाल के बारे में कहा कि सेफ्टिक टैंकों की सफाई करने वाले वाहनों का निकायों में पंजीकरण अनिवार्य है। सफाई के लिए भी निकाय दरें तय कर सकते हैं। उन्होंने मिशन की प्रगति पर भी विस्तार से रोशनी डाली।

नए क्षेत्रों में भी करें चिह्नीकरण 

कार्यशाला में प्रधानमंत्री आवास योजना पर शहरी विकास विभाग के सामाजिक विकास विशेषज्ञ नरेश मठपाल ने प्रस्तुतीकरण दिया। इस दौरान निकायों में शामिल नए क्षेत्रों में आवास मांग सर्वेक्षण आयोजित कर लाभार्थियों का चिह्नीकरण करने, भूमि चयन और सीमांकन कर भागीदारी में किफायती आवास परियोजनाओं की संभावनाएं तलाशने, मलिन बस्तियों के विस्थापन को प्रोत्साहन देने की दिशा में कार्य करने की अपेक्षा निकायों के नए बोर्ड से की गई। 

विभिन्न योजनाओं की जानकारी 

कार्यशाला के विभिन्न सत्रों में राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन, अमृत मिशन, मुख्यमंत्री शहरी अवस्थापना विकास योजना, निकायोंकी स्वनिर्भरता को वित्तीय सशक्तता, स्वच्छता सर्वेक्षण, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, ई-नगर सेवा पर प्रस्तुतीकरण के जरिये इनसे संबंधित जानकारियां निकाय प्रमुखों को दी गई। साथ ही उनकी जिज्ञासाओं का निदान भी किया गया। ये प्रस्तुतीकरण परियोजना अधिकारी सूडा राजीव पांडे, अधीक्षण अभियंता शहरी विकास रवि पांडेय, च्वाइस कंसलटेंसी सर्विसेज के हर्ष सर्वागी, गति फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल, एमआइएस शहरी विकास चंद्रप्रकाश रावत ने दिए। 

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