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उत्तराखंड में किसानों को मिलेगी राहत, फसल बीमा कंपनी बनाएगी सरकार

राज्य सरकार ने अब फसल बीमा के क्षेत्र में भी कदम बढ़ाने की ठानी है। प्रथम चरण में इसमें सेब समेत अन्य फलोत्पादकों को शामिल किया जाएगा।

By BhanuEdited By: Published: Mon, 16 Oct 2017 08:35 AM (IST)Updated: Mon, 16 Oct 2017 10:51 PM (IST)
उत्तराखंड में किसानों को मिलेगी राहत, फसल बीमा कंपनी बनाएगी सरकार
उत्तराखंड में किसानों को मिलेगी राहत, फसल बीमा कंपनी बनाएगी सरकार

देहरादून, [केदार दत्त]: विषम भूगोल वाले उत्तराखंड में किसानों की आय दोगुना करने की कोशिशों में जुटी राज्य सरकार ने अब फसल बीमा के क्षेत्र में भी कदम बढ़ाने की ठानी है। इसके लिए अपनी बीमा कंपनी बनाने पर सरकार मंथन कर रही है। इसके जरिये मौसम आधारित बीमा को बढ़ावा दिया जाएगा और प्रथम चरण में इसमें सेब समेत अन्य फलोत्पादकों को शामिल किया जाएगा। इसके बाद अन्य फसलों को शामिल कर किसानों को राहत प्रदान की जाएगी।

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राज्य में कृषि एवं बागवानी पूरी तरह से इंद्रदेव की कृपा पर निर्भर है। कुल 95 विकासखंडों में से 71 में कृषि रेनफेड, यानी वर्षा आधारित है। ऐसे में वक्त पर मौसम की मेहर हो गई तो ठीक, अन्यथा बिन बारिश व हिमपात के फसल का दाना तक नसीब नहीं हो पाता। यही नहीं, कई मर्तबा तो अतिवृष्टि, ओलावृष्टि व बड़े पैमाने पर हिमपात फसलोत्पादन के लिहाज से बड़ी क्षति का सबब बन जाता है।

हालांकि, किसानों को राहत देने के लिए फसल बीमा की व्यवस्था है, लेकिन यह लाभ कुछ ही किसानों को मिल पाता है। यही नहीं, केंद्र की मौजूदा सरकार ने भी फसल बीमा योजना में संशोधन करते हुए हुए बीमा के प्रीमियम को घटाया है। बावजूद इसके बीमा का लाभ उठाने वाले किसानों की संख्या उंगलियों में गिनने लायक है। 

कारणों की तह में जाएं तो प्रचार-प्रसार का अभाव और बीमा कंपनियों की कुछ ही इलाकों तक पहुंच के कारण यह संख्या कम रहती है। इसे देखते हुए सरकार ने अब खुद की फसल बीमा कंपनी बनाने का निर्णय लिया है।

कृषि मंत्री सुबोध उनियाल के मुताबिक सरकार को अपनी बीमा कंपनी बनाने का अधिकार है और इस पर गंभीरता से विचार कर रही है।

कृषि मंत्री ने बताया कि सरकार मौसम आधारित इंश्योरेंस पर जोर देगी। इसमें अतिवृष्टि, ओलावृष्टि, तूफान, भूस्खलन, जंगल की आग जैसी आपदाओं से तबाह होने वाली फसलों को बीमा के दायरे में लाया जाएगा।

कंपनी के अस्तित्व में आने पर सबसे पहले सेब समेत अन्य फलोत्पादकों पर फोकस किया जाएगा। वजह यह कि फलोत्पादकों पर मौसम की सबसे अधिक मार पड़ती है और क्षति का मुआवजा भी इसकी प्रतिपूर्ति नहीं कर पाता। ऐसे में इन्हें बीमा का लाभ मिलने से राहत मिलेगी। फलों के बाद अन्य फसलों को भी बीमा के दायरे में लाकर किसानों को राहत पहुंचाई जाएगी।

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