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डिग्री शिक्षकों पर सख्ती, स्कूली पर चुप्पी; कांग्रेस ने जताई आपत्ति

सरकारी डिग्री कॉलेजों में प्राचार्यों और शिक्षकों को मुख्यालय में मौजूदगी का फरमान जारी करने वाली सरकार विद्यालयी शिक्षा में भी यही व्यवस्था लागू करने का साहस नहीं जुटा पाई है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 01 May 2020 08:45 AM (IST)Updated: Fri, 01 May 2020 08:45 AM (IST)
डिग्री शिक्षकों पर सख्ती, स्कूली पर चुप्पी; कांग्रेस ने जताई आपत्ति
डिग्री शिक्षकों पर सख्ती, स्कूली पर चुप्पी; कांग्रेस ने जताई आपत्ति

देहरादून, राज्य ब्यूरो। सरकारी डिग्री कॉलेजों में प्राचार्यों और शिक्षकों को मुख्यालय में मौजूदगी का फरमान जारी करने वाली सरकार विद्यालयी शिक्षा में भी यही व्यवस्था लागू करने का साहस नहीं जुटा पाई है। वर्तमान में जिलों, मंडलों और राज्यस्तरीय कैडर वाले शिक्षक, प्रधानाध्यापक और प्रधानाचार्य अपने मूल तैनाती स्थल से दूर गृह स्थानों पर हैं। हालत ये है कि जिलों में मुख्य शिक्षाधिकारियों से लेकर खंड शिक्षाधिकारी शिक्षकों और प्रधानाचार्यों को बुलाने का साहस तक नहीं जुटा पा रहे हैं। वहीं डिग्री शिक्षकों व प्राचार्यों के लिए सरकार के फरमान पर कांग्रेस ने तीखी आपत्ति जताई है।

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शासन ने बीते रोज डिग्री शिक्षकों व प्राचार्यों को मुख्यालय में उपस्थित रहने और गैरहाजिर रहने की स्थिति में उनका अप्रैल माह का वेतन काटने के आदेश जारी किए हैं। शासन के इस कदम से उच्च शिक्षा में हड़कंप है। दरअसल, लॉकडाउन में कॉलेज बंद होने के बाद अधिकतर महिला शिक्षिकाएं मुख्यालय को छोड़कर अपने घर लौटीं। लॉकडाउन में बाद में सख्ती बढ़ने और वाहनों की आवाजाही बंद होने के साथ ही एक दूसरे जिलों में प्रवेश पर लगी पाबंदी के चलते शिक्षकों के लिए कॉलेजों में वापसी के रास्ते बंद हो गए।

यही नहीं, उच्च शिक्षा में शासन ने उक्त कदम उठा दिया, लेकिन विद्यालयी शिक्षा में इस पर दो दिन बाद भी कदम आगे नहीं बढ़ाया जा सका। 

दरअसल, विद्यालयी शिक्षा में शिक्षकों की संख्या और शिक्षक संगठनों के दबाव को साफतौर पर महसूस किया जा रहा है। शासन ने ऑनलाइन शिक्षा के लिए फीडबैक शिक्षकों के माध्यम से जुटाने के आदेश मुख्य शिक्षाधिकारियों को दिए हैं। मुख्य शिक्षाधिकारियों की ओर से गुरुवार तक शिक्षकों और प्रधानाचार्यो के लिए आदेश जारी नहीं हो सके थे। शासन की ओर से भी आदेश जारी नहीं किए गए हैं।

वहीं, कांग्रेस ने कोरोना के खतरे के बीच राज्य सरकार के दोहरे रवैये पर सवाल खड़े किए हैं। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा कि सरकार डिग्री प्राचार्यों और शिक्षकों को आतंकित करने की कोशिश कर रही है। महामारी के भय से विभिन्न क्षेत्रों में किराए पर रह रहे शिक्षक खासतौर पर शिक्षिकाएं घर लौटीं। उन्होंने फैसले पर पुनर्विचार की मांग की।

सचिव के आदेश, एजुकेशन पोर्टल का छात्रों को दें लाभ

सरकार ने प्रदेश के छात्र-छात्रओं को एजुकेशन पोर्टल पर उपलब्ध शिक्षण सामग्री का ज्यादा से ज्यादा लाभ दिलाने को महकमे के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। खास बात ये है कि पोर्टल के डैशबोर्ड पर ई-लर्निग स्कूल के तहत कक्षा और विषय के चुनाव की सुविधा भी मुहैया कराई गई है।

शिक्षा सचिव और समग्र शिक्षा राज्य परियोजना निदेशक आर मीनाक्षी सुंदरम ने दोनों मंडलों गढ़वाल व कुमाऊं के अपर निदेशकों, सभी जिलों के मुख्य शिक्षाधिकारियों, जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों के प्राचार्यो और माध्यमिक व प्रारंभिक के जिला शिक्षा अधिकारियों को गुरुवार को उक्त संबंध में आदेश जारी किए हैं। आदेश में कहा गया कि कोविड-19 संक्रमण देखते हुए राज्य स्तर पर लॉकडाउन जारी है। इससे छात्र-छात्रओं के पठन-पाठन में व्यवधान होना स्वाभाविक है। 

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ऐसे में सरकार और शिक्षा महकमे के स्तर से छात्र-छात्रओं को घर पर ही शिक्षण को सुगम बनाने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। आदेश में यह भी बताया गया कि विद्यालयी शिक्षा से संबंधित एजुकेशन पोर्टल पर शिक्षकों व छात्र-छात्रओं के इस्तेमाल को शिक्षण सामग्री उपलब्ध है।

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