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मलिन बस्तियों पर मेहरबान सरकार

प्रदेश की मलिन बस्तियों पर सरकार मेहरबान है। मलिन बस्तियों में तोड़फोड़ और अतिक्रमण हटाने से राहत देने के उद्देश्य से जुलाई में लाए गए अध्यादेश को विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन मंगलवार को सदन के पटल पर रखा गया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Sep 2018 09:14 PM (IST)Updated: Tue, 18 Sep 2018 09:14 PM (IST)
मलिन बस्तियों पर मेहरबान सरकार
मलिन बस्तियों पर मेहरबान सरकार

राज्य ब्यूरो, देहरादून: प्रदेश की मलिन बस्तियों पर सरकार मेहरबान है। मलिन बस्तियों में तोड़फोड़ और अतिक्रमण हटाने से राहत देने के उद्देश्य से जुलाई में लाए गए अध्यादेश को विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन मंगलवार को सदन के पटल पर रखा गया। इसके तहत तीन साल के भीतर मलिन बस्तियों व झुग्गी झोपड़ियों के रूप में हुए अनधिकृत निर्माण और अतिक्रमण के समाधान के लिए सरकार तीन वर्ष के भीतर प्रयास करेगी। इसके पीछे मंशा नगर निकायों के सतत एवं नियोजित विकास की है। यह भी साफ किया गया है कि 11 मार्च 2016 के बाद किसी भी अतिक्रमण पर यह व्यवस्था लागू नहीं होगी।

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हाईकोर्ट के आदेश के बाद अतिक्रमण को लेकर मुहिम चली तो इसकी जद में मलिन बस्तियां व झुग्गी-झोपड़ियां भी आई। वहां बाकायदा मार्किंग तक की गई। इसे लेकर उठे विरोध के बाद सरकार की ओर से मलिन बस्तियों को राहत देने के मद्देनजर जुलाई में उत्तराखंड (नगर निकायों एवं प्राधिकरणों हेतु विशेष प्रावधान) अध्यादेश-2018 लाया गया। राज्यपाल से अनुमोदन मिलने के बाद 26 जुलाई को इसका गजट नोटिफिकेशन हुआ।

इस अध्यादेश को सरकार ने मंगलवार को विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन सदन के पटल पर रखा। राज्य के सभी नगर निगम, नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों में लागू इस अध्यादेश में साफ है कि सरकार तीन साल के भीतर मलिन बस्तियों के रूप में हुए अनधिकृत निर्माण व अतिक्रमण के समाधान को सभी संभव प्रयास करेगी।

इसमें 11 मार्च 2016 की स्थिति के अनुसार यथास्थिति बनायी रखी जाएगी। यह भी कहा गया है कि अनधिकृत निर्माण से संबंधित प्रकरणों में किसी भी स्थानीय निकाय व प्राधिकरण की ओर से दिए गए नोटिस के फलस्वरूप होने वाली किसी भी दंडात्मक कार्यवाही को अध्यादेश लागू होने की तिथि से तीन साल के लिए स्थगित रखा जाएगा।

इन पर लागू नहीं होंगे प्रावधान

-11 मार्च 2016 के पश्चात प्रारंभ किए गए और निर्माणाधीन किसी भी प्रकार के अनधिकृत निर्माण कार्य

-सार्वजनिक सड़क, पैदल मार्ग, फुटपाथ और गलियों व पटरियों पर किए गए अतिक्रमण, अनिधकृत निर्माण व विकास

-सार्वजनिक भूमि पर किया गया कोई भी अतिक्रमण जो कि धारा-चार की उपधारा एक से आच्छादित न हो

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अब सरकार के हाथ में आई चाबी

उत्तराखंड (नगर निकायों एवं प्राधिकरणों हेतु विशेष प्रावधान) अध्यादेश-2018 के जरिये सरकार ने मलिन बस्तियों के मामले में चाबी अपने हाथ में ली है। नगर निकायों व प्राधिकरणों को निर्देश हैं कि वे अध्यादेश का अनिवार्य रूप से पालन करेंगे। साथ ही सरकार समय-समय पर निकायों व प्राधिकरणों को निर्देश दे सकेगी। असल में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने मलिन बस्तियों के सुधार, विनियमितीकरण, पुनर्वासन, पुन‌र्व्यवस्थापना और उससे संबंधित व्यवस्थाओ एवं अतिक्रमण निषेध नियमावली 2016 लागू की थी। इसमें मलिन बस्तियों का नियमितीकरण भी होना था, लेकिन इसमें कुछेक घर ही कवर हो पा रहे थे। जब मौजूदा सरकार ने इस दिशा में कदम बढ़ाए हैं और जुलाई में लाया गया अध्यादेश, जो कि अब अधिनियम बनने की ओर अग्रसर है, इसी का नतीजा है।


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