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दून के सरकारी स्कूलों पर नहीं लगेगा प्रापर्टी टैक्स Dehradun News

शहर के तमाम सरकारी और अर्ध-सरकारी प्रतिष्ठानों पर प्रापर्टी टैक्स के नोटिस जारी कर चुके नगर निगम ने सरकारी स्कूलों को इससे मुक्त रखने का फैसला लिया है।

By BhanuEdited By: Published: Mon, 26 Aug 2019 12:34 PM (IST)Updated: Mon, 26 Aug 2019 12:34 PM (IST)
दून के सरकारी स्कूलों पर नहीं लगेगा प्रापर्टी टैक्स Dehradun News
दून के सरकारी स्कूलों पर नहीं लगेगा प्रापर्टी टैक्स Dehradun News

देहरादून, अंकुर अग्रवाल। शहर के तमाम सरकारी और अर्ध-सरकारी प्रतिष्ठानों पर प्रापर्टी टैक्स के नोटिस जारी कर चुके नगर निगम ने सरकारी स्कूलों को इससे मुक्त रखने का फैसला लिया है। अब सिर्फ निजी, मिशनरी, ट्रस्ट व अर्ध सरकारी स्कूलों से ही टैक्स वसूला जाएगा। 

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महापौर सुनील उनियाल गामा ने बताया कि शहर में शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार छोटे व बड़े तकरीबन 500 निजी स्कूल हैं। इनमें निजी स्कूलों समेत केंद्रीय, मिशनरी व ट्रस्ट के स्कूल भी शामिल हैं। पूर्व में नगर निगम ने कुछ बड़े स्कूलों पर टैक्स लगाया था पर मामले में स्कूल अदालत पहुंच गए। आधा दर्जन बड़े स्कूलों का वाद अभी लंबित है। निगम ने लंबित वाद को निबटाने की तैयारी शुरू कर दी है। शेष सभी स्कूलों पर टैक्स का सर्वे भी शुरू कर दिया है। 

नगर निगम क्षेत्र में भवन कर के दायरे में आमजन, व्यापारियों के बाद विधानसभा व सचिवालय को शामिल करने के बाद नगर निगम ने स्कूलों पर नजरें दौड़ाई हैं। महापौर सुनील उनियाल गामा ने जब कर अनुभाग की बैठक ली तो उनका मुख्य फोकस स्कूलों के प्रापर्टी टैक्स पर ही रहा। उन्होंने अधिकारियों को सभी निजी स्कूलों की सूची को बनाकर उनके समक्ष रखने का निर्देश दिया है। 

निगम क्षेत्र में भवन कर की दो श्रेणियां हैं। आवासीय एवं व्यवसायिक। महापौर गामा के अनुसार व्यवसायिक कर में भी अलग-अलग श्रेणियां हैं। इनमें एक श्रेणी गैर-आवासीय की है, जिसमें सरकारी कार्यालयों को शामिल किया गया है। साथ ही जो सरकारी भवन आवास में इस्तेमाल हो रहे हैं, उनसे आवासीय श्रेणी का भवन कर वसूला जाएगा। 

भवन कर के दायरे में सरकारी स्कूलों को इसलिए बाहर रखने का फैसला लिया गया है कि वहां गरीब तबके के छात्रों की संख्या बेहद अधिक है। फीस भी बेहद कम है और पूरा खर्च सरकार ही वहन कर रही। ऐसे में अब निगम ने निजी स्कूलों को व्यावसायिक श्रेणी का मानकर कर वसूली की तैयारी की है। 

नगर निगम ने वर्ष 2016-17 से ही व्यवसायिक भवन कर की वसूली शुरू की है, लिहाजा सभी स्कूलों से पिछले तीन वर्ष एवं इस वर्ष का भवन कर एकसाथ लिया जाएगा। 

बता दें कि, गत दिनों निगम की ओर से भवन कर वसूली को विधानसभा प्रशासन और सचिवालय को नोटिस भेजा गया था। इसके साथ-साथ राज्य संपत्ति विभाग एवं पुलिस मुख्यालय को भी नोटिस भेज भवन कर चुकाने को कहा गया है। शहरी क्षेत्र में बने राज्य संपत्ति विभाग के कार्यालयों के साथ सचिवालय कालोनी, ट्रांजिट हॉस्टल, गेस्ट हाउसों और पुलिस के सभी अफसरों के कार्यालयों व थाने-चौकियों को भी इस दायरे में शामिल किया गया है। 

नगर निगम को इनसे करीब चार करोड़ रुपये सालाना भवन कर मिलने की उम्मीद है। निगम क्षेत्र में करीब 200 राजकीय व केंद्रीय प्रतिष्ठान हैं। इन सभी को भी व्यवसायिक भवन के दायरे में लिया है। महापौर ने जानकारी दी कि सेंट जोजेफ्स स्कूल का विवाद कोर्ट से निगम में ट्रांसफर हो गया है, जबकि कांवेंट ऑफ जीजस एंड मैरी, वेल्हम ब्वॉयज व दून स्कूल का विवाद कोर्ट में लंबित है।

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बड़े बकायेदारों की होगी कुर्की

निगम द्वारा तय भवन कर व व्यवसायिक कर नहीं चुकाने पर अब कुर्की की कार्रवाई झेलनी पड़ सकती है। नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत में ही निगम ने बड़े बकायदारों की सूची बनाकर डिमांड नोटिस भेजने की बात कही है। नोटिस के बावजूद अगर कर नहीं चुकाया गया तो ऐसे लोगों के विरुद्ध कुर्की की कार्रवाई भी होगी। नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय ने कर निरीक्षक को बकायदारों की सूची बना नोटिस भेजने के निर्देश दिए हैं।

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