बिना आरक्षण दिए पदोन्नति से रोक हटाए सरकार
पदोन्नति में आरक्षण को लेकर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को कर्मचारी संगठनों ने ऐतिहासिक बताते हुए खुशी जाहिर की। उत्तराखंड जनरल-ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानचंद बनाम सरकार व अन्य एसएलपी पर दिए गए नैनीताल हाईकोर्ट के निर्णय को खारिज कर दिया है।
जागरण संवाददाता, देहरादून : पदोन्नति में आरक्षण को लेकर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को कर्मचारी संगठनों ने ऐतिहासिक बताते हुए खुशी जाहिर की। उत्तराखंड जनरल-ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानचंद बनाम सरकार व अन्य, एसएलपी पर दिए गए नैनीताल हाईकोर्ट के निर्णय को खारिज कर दिया है। अब सरकार को चाहिए कि वह बिना आरक्षण दिए पदोन्नति से रोक हटाए। जिससे सेवानिवृत्त होने जा रहे अधिकारियों व कर्मचारियो को पदोन्नति का लाभ मिल सके।
एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष दीपक जोशी ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से आदेश दिया है कि संविधान के तहत राज्य सरकार को मिले अधिकारों के तहत पदोन्नति में आरक्षण के संबंध में निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है। पदोन्नति में आरक्षण लागू कराने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की ओर से वर्ष 2012 में नैनीताल हाईकोर्ट में दायर विनोद नौटियाल के वाद के क्रम में पदोन्नति में आरक्षण व्यवस्था समाप्त किए जाने का निर्णय लिया जा चुका है। जिसे हाईकोर्ट द्वारा खारिज किए जाने को विधिक रूप से अमान्य कर दिया गया है। प्रांतीय महासचिव वीरेंद्र सिंह गुसाई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा है कि जब उत्तराखंड में आरक्षण दिए जाने के संबंध में कोई नीति लागू नहीं की गई है, तो आरक्षित वर्ग के प्रतिनिधित्व के लिए आंकड़े जुटाए जाने को भी बाध्य नहीं किया जा सकता है। फैसले में स्पष्ट किया गया है कि राज्य में पांच सितंबर 2019 से पदोन्नति में आरक्षण व्यवस्था को समाप्त किया जाना विधिक रूप से उचित है।