सरकार के इस कदम से बंद होगी ऑटो संचालकों की 'लूट'
राज्य सरकार ने ऑटो चालकों की मनमानी पर सख्त रुख अपना लिया है। अब बिना मीटर किसी भी ऑटो को चलने नहीं दिया जाएगा।
देहरादून, [जेएनएन]: यात्रियों से मनमाफिक किराया लेकर 'लूट-खसोट' मचा रहे ऑटो संचालकों को सरकार राहत देने के मूड में नहीं है। सरकार ने एक मई से दून शहर में सभी ऑटो पर मीटर लगाने के आदेश दिए हैं। ऑटो संचालक सरकार पर दबाव बना रहे थे, लेकिन सरकार की ओर से स्पष्ट चेतावनी दे दी गई है कि एक मई के बाद बिना किराया मीटर कोई ऑटो चलने नहीं दिया जाएगा।
स्मार्ट सिटी के मद्देनजर यहां परिवहन सुविधाओं में भी सुधार किया जा रहा है। गत 20 फरवरी को हुई संभागीय परिवहन प्राधिकरण की बैठक में फैसला लिया गया था कि डीजल-पेट्रोल ऑटो शहर से बाहर होंगे और सिर्फ इलेक्ट्रिक ऑटो के परमिट को ही मंजूरी मिलेगी। इसके साथ ही एक मई से सभी ऑटो में मीटर लगाने का भी आदेश दिया गया। ऑटो संचालक इसका विरोध करते रहे। दून ऑटो रिक्शा यूनियन के अध्यक्ष बालेंद्र तोमर ने तो परेड ग्राउंड में कई दिन अनशन भी किया।
इसके बाद परिवहन अधिकारियों ने मामला शासन तक ले जाने का भरोसा दिया था। शुक्रवार रात सचिवालय में परिवहन सचिव डी. सेंथिल पांड्यिन व आरटीओ सुधांशु गर्ग के साथ ऑटो यूनियन के पदाधिकारियों की बैठक हुई। जिसमें सचिव ने स्पष्ट कर दिया कि किराये में हो रही 'लूट-खसोट' रोकने को सरकार बैठफुट पर नहीं आएगी। एक मई से बिना किराया मीटर कोई ऑटो शहर में नहीं चलेगा।
उन्होंने चेतावनी दी है कि फिटनेस का प्रमाण-पत्र भी तभी दिया जाएगा, जब ऑटो में किराए का मीटर लगा होगा तथा चालू होगा। सचिव के सख्त तेवर देखकर यूनियन संचालक वहां से खिसक लिए।
ये हैं ऑटो चालकों के हाल
पुलिस व परिवहन विभाग के द्वारा तय सख्त निर्देशों को धता बताते हुए शहर में ऑटो चालक यातायात व परिवहन नियमों को ठेंगा दिखा रहे हैं। चालक बिना वर्दी में ऑटो चलाते हैं तो मनमाफिक किराया लेना और जहां-तहां ऑटो खड़ा कर देना इनका शगल बन चुका है। इनकी मनमानी कहीं न कहीं पुलिस व परिवहन विभाग की कार्यशैली पर भी सवाल उठाती है।
स्थिति यह है कि यात्रियों से मनमाना किराया लेने के साथ ही कई दफा चालक अपनी दबंगई दिखाकर यात्रियों से अभद्रता भी करते हैं। रात में यात्रियों की मजबूरी का फायदा उठा तय किराये से कई गुना ज्यादा किराया लेते हैं और यात्री अधिक किराया देने को मजबूर हो जाते हैं। जितने किराए में यात्री दिल्ली से बस में देहरादून आता है, उतना किराया ये लोकल में हड़प लेते हैं।
वर्दी में बिना रहते हैं चालक
परिवहन विभाग द्वारा ऑटो चालकों के लिए भूरे रंग की वर्दी निर्धारित की गई है। इसके साथ ही वर्दी पर नेम प्लेट भी लगी होनी अनिवार्य है, लेकिन शहर में एक भी ऑटो चालक वर्दी में नहीं दिखता। ऐसे में किसी आपराधिक घटना में ऑटो चालक की पहचान कर पाने में दिक्कत होती है।
...दौड़ रहे पांच हजार ऑटो
आरटीओ में पंजीकृत ऑटो की संख्या भले 2387 हो, लेकिन विभागीय सूत्रों की मानें तो शहर में 5000 से भी ज्यादा ऑटो दौड़ रहे हैं। इसका खुलासा अकसर होता रहता है। चेंकिंग में कई दफा फर्जी नंबरों एवं फर्जी परमिट पर दौड़ रहे ऑटो पकड़े जाते हैं। दो साल पूर्व परिवहन विभाग व पुलिस ने फर्जी ऑटो रोकने के लिए शहर के सभी ऑटो पर एक स्टीकर चस्पा किए थे, लेकिन विभागों की लापरवाही के चलते ये स्टीकर गायब हो गए। परिवहन विभाग चालकों का वेरिफिकेशन कर उन्हें कोड नंबर देने पर विचार कर रहा। कोड संख्या की वजह से यात्रियों को ऑटो पहचानने में आसानी होगी।
फेल हो चुकी है प्रीपेड व्यवस्था
वर्ष 2010 और 2013 में यातायात पुलिस ने रेलवे स्टेशन और आइएसबीटी से प्रीपेड ऑटो की व्यवस्था शुरू की थी लेकिन पुलिस और ऑटो संचालकों के गठजोड़ के चलते व्यवस्था ध्वस्त हो गई। वर्ष 2016 में पुलिस ने फिर यह व्यवस्था लागू की, लेकिन इसका पालन वर्तमान में भी पूरी तरह नहीं हो रहा। ऑटो चालक यात्री से सीधे मनमाने किराए की डील कर रहे हैं। ऐसे में मीटर व्यवस्था लागू करना परिवहन विभाग के लिए चुनौती होगा।
एलपीजी ऑटो को मिली छूट
शहर में सिर्फ इलेक्ट्रिक ऑटो संचालन के पुराने आदेश में सरकार ने दो संशोधन किए हैं। अब शहर में इलेक्ट्रिक के साथ ही एलपीजी ऑटो भी दौड़ सकेंगे। डीजल व पेट्रोल ऑटो का परमिट नवीनीकरण भी दो माह बढ़ा दिया है। पहले तय हुआ था कि एक मई से डीजल-पेट्रोल के ऑटो में परमिट नवीनीकृत नहीं होगा, लेकिन ऑटो संचालकों की मांग पर ये समय-सीमा एक जुलाई कर दी गई है।
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