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उत्तराखंड का बढ़ा राजस्व घाटा, उधार चुकाने को उधार लेने को मजबूर सरकार

प्रदेश की मौजूदा भाजपा सरकार को आर्थिक मोर्चे पर दिक्कतों से जूझना पड़ रहा है। राज्य सरकार को उधार लिए गए धन पर ब्याज भुगतान करने के लिए भी धन उधार लेने की जरूरत है।

By BhanuEdited By: Published: Wed, 11 Dec 2019 12:58 PM (IST)Updated: Wed, 11 Dec 2019 08:38 PM (IST)
उत्तराखंड का बढ़ा राजस्व घाटा, उधार चुकाने को उधार लेने को मजबूर सरकार
उत्तराखंड का बढ़ा राजस्व घाटा, उधार चुकाने को उधार लेने को मजबूर सरकार

देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश की मौजूदा भाजपा सरकार को आर्थिक मोर्चे पर दिक्कतों से जूझना पड़ रहा है। सरकार के पहले वित्तीय वर्ष 2017-18 में राजस्व घाटा पिछले कई सालों की तुलना में बहुत ज्यादा बढ़कर 1978 करोड़ हो गया, जबकि राजकोषीय घाटा मानक लक्ष्य सकल घरेलू उत्पाद के 3.25 फीसद से बढ़कर 3.65 फीसद हो गया। हालत ये है कि राज्य सरकार को उधार लिए गए धन पर ब्याज भुगतान करने के लिए भी धन उधार लेने की जरूरत हुई। नतीजतन कुल 7526 करोड़ में से 3987 करोड़ उधार लेने को मजबूर होना पड़ा है। 

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कैग की रिपोर्ट के दायरे में अब प्रदेश की भाजपा सरकार भी आ गई है। वर्ष 2017-18 की वित्तीय स्थिति पर कैग की समीक्षा रिपोर्ट आंखें खोलने वाली है। राज्य में 2013-14 से 2017-18 की अवधि के दौरान प्रत्येक वित्तीय वर्ष में राज्य का प्राथमिक घाटा हुआ था। 

खास बात ये है कि ये प्राथमिक घाटा 2016-17 में 3124 करोड़ से घटकर 1744 करोड़ हो गया था। वर्ष 2017-18 में यह बढ़कर 3948 करोड़ हो गया। इस वजह से सरकार उधार लिए गए धन पर ब्याज का भुगतान करने के लिए भी उधार लेने को मजबूर है। 

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राज्य की खराब वित्तीय हालत देखिए, आकस्मिकता निधि से ली गई 231.51 करोड़ की धनराशि जिसमें 2016-17 के दौरान 156.07 करोड़ व 2017-18 के दौरान 75.44 करोड़ शामिल है, की प्रतिपूर्ति अगस्त 2018 तक नहीं हो पाई। उक्त धनराशि की पूर्ति संबंधित वित्तीय वर्ष में ही होनी चाहिए। वर्ष 2005-06 से 2016-17 तक अधिक खर्च की राशि 20780.77 करोड़ को अभी तक राज्य विधानमंडल ने नियमित नहीं किया।

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