उत्तराखंड में सरकारी महकमे रजिस्ट्री-स्टांप से कन्नी काटकर लगा रहे राजस्व का चूना
सरकारी महकमे सरकार को ही राजस्व का चूना लगाने से चूक नहीं रहे हैं। महकमों की ओर से बनाई जाने वाली दुकानें भवनों और ठेकों-अनुबंध की रजिस्ट्री नहीं कराई जा रही है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। कोरोना संकटकाल में सरकार पाई-पाई का जुगाड़ करने में ताकत झोंक रही है, वहीं सरकारी महकमे सरकार को ही राजस्व का चूना लगाने से चूक नहीं रहे हैं। महकमों की ओर से बनाई जाने वाली दुकानें, भवनों और ठेकों-अनुबंध की रजिस्ट्री नहीं कराई जा रही है। साथ में तहबाजारी, नुमाईश, खनन के ठेकों में स्टांप शुल्क अदा नहीं किया जा रहा है। इससे खफा सरकार ने सभी अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों और सचिवों और विभागाध्यक्षों को आदेश जारी कर राजस्व वसूली की हिदायत दी है। ऐसा नहीं होने पर संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही तय करने की चेतावनी दी गई है।
वित्त सचिव अमित नेगी की ओर से जारी आदेश में कहा गया कि अनिवार्य रूप से रजिस्ट्रीकरण के दायरे में आने वाले प्रकरणों में रजिस्ट्री करने ओर इसके लिए स्टांप शुल्क वसूली को लेकर महकमे जानकारी देने से बच रहे हैं। स्टांप व निबंधन विभाग के अधिकारियों को विभिन्न महकमों और दफ्तरों से संपर्क करने के बाद भी अपेक्षित सहयोग नहीं मिलने की बात कही गई है।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि विभिन्न प्रकार के कार्य आवंटन शपथ पत्र, समझौता पत्र, अनुबंध पत्र, सहमति पत्र, बैंक गारंटी, लीज, रिलीज डीड समेत विभिन्न कार्यवाहियों के लिए उपयुक्त मूल्य का स्टांप प्रयुक्त करना आवश्यक है। राजस्व वसूली के प्रति जागरूकता की कमी, नियमों की जानकारी न होने के चलते स्टांप का इस्तेमाल ही नहीं किया जा रहा है। इससे राजस्व हानि हो रही है।
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महकमों को तत्काल अपने जिले के सहायक महानिरीक्षक निबंधन या महानिरीक्षक निबंधन मुख्यालय से संपर्क कर प्रभार्य स्टांप शुल्क का निर्धारण कराने की हिदायत दी गई है। साथ ही रजिस्ट्रीकरण के कार्य में विभागों को सहयोग करने को कहा गया है। किसी भी असहयोग की स्थिति में जवाबदेही तय की जाएगी।
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