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उत्तराखंड में लापरवाह महकमे बने विकास में बाधक, पढ़िए पूरी खबर

विकास योजनाओं को परवान चढ़ाने के लिए जिम्मेदार महकमों की सुस्ती दम तोड़ने को मजबूर कर देती है।

By Edited By: Published: Sun, 13 Oct 2019 03:02 AM (IST)Updated: Sun, 13 Oct 2019 02:21 PM (IST)
उत्तराखंड में लापरवाह महकमे बने विकास में बाधक, पढ़िए पूरी खबर
उत्तराखंड में लापरवाह महकमे बने विकास में बाधक, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, रविंद्र बड़थ्वाल। प्रदेश के सालाना बजट के जिस बड़े आकार को लेकर जनता की हसरतों को गुलाबी सब्जबाग दिखाए जाते हैं, उन्हें विकास योजनाओं को परवान चढ़ाने के लिए जिम्मेदार महकमों की सुस्ती दम तोड़ने को मजबूर कर देती है। चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 की पहली छमाही यानी 30 सितंबर को बजट खर्च के आंकड़े कुछ यही बयानी कर रहे हैं।

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ऑनलाइन व्यवस्था ने बजट के बड़े हिस्से करीब 66 फीसद को महकमों तक पहुंचा तो दिया, लेकिन जब इस्तेमाल की बात आई तो दम फूलने की नौबत है। बजट प्रावधान का सिर्फ 41 फीसद ही उपयोग हो पाया है। अब बचे हुए छह महीने के भीतर बजट में किए गए वायदों के मुताबिक नई सड़कें, स्कूल-डिग्री कॉलेजों के नए भवनों, पेयजल-सिंचाई की योजनाओं को पूरा करने और आम जनता को जरूरी स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने की चुनौती है।
प्रदेश सरकार ने वर्ष 2019-20 के लिए 48663.90 करोड़ को मंजूरी दी थी। इस बजट राशि की तुलना में पहली छमाही में सरकार ने करीब 32 हजार करोड़ बजट की राशि तमाम योजनाएं पूरी करने के लिए महकमों को आवंटित की है। इस राशि में करीब 20 हजार करोड़ ही खर्च हो पाया है। कुल बजट का यह मात्र 41.09 फीसद है, जबकि आवंटित बजट का यह 62.5 फीसद है। बजट मिलने के बावजूद महकमे करीब करीब 12 हजार करोड़ खर्च नहीं कर पाए हैं। 
वित्तीय व्यवस्था ऑनलाइन होने का परिणाम ये हुआ कि अब बजट जारी करने में सरकार की गति तेज हो चुकी है। ऐसे में महकमों पर बजट खर्च कर सरकार की विकास और कल्याणकारी योजनाओं को जमीन पर उतारने की जिम्मेदारी बढ़ चुकी है। इस सबके बावजूद हालत ये है कि महकमे पल्ले में पड़े पैसे को खर्च करने में फिसड्डी साबित हो रहे हैं। आवंटित बजट का बड़ा हिस्सा अब तक खर्च नहीं हो पाया है। हालांकि इस वित्तीय वर्ष में पहले लोकसभा चुनाव और फिर पंचायत चुनाव की आचार संहिता लागू होने का असर विकास योजनाएं लागू करने पर दिखा है। 
बजट आवंटित करने के बाद उसे खर्च करने की नौबत से पहले आचार संहिता ने हाथ बांध दिए, वहीं बरसात ने निर्माण कार्यों पर पानी फेरे रखा है। वित्त सचिव अमित नेगी का कहना है कि बजट महकमों को आवंटित करने में तेजी आई है। चुनावों की आचार संहिता से भी बाधा पड़ी। अब अगली छमाही में विकास योजनाओं पर तेजी से अमल दिखाई पड़ेगा। 

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