गोवर्धन पूजा: इसदिन भगवान के साथ गोवर्धन पर्वत और गाय की पूजा का होता है खास महत्व
गोवर्धन पूजा पर भगवान श्री कृष्ण को छप्पन भोग लगाए जा रहे हैं। साथ ही गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा की जा रही है।
देहरादून, [जेएनएन]: दीपावली के ठीक बाद यानी दूसरे दिन गोवर्धन (अन्नकूट) और गौ पूजा का खास महत्व होता है। इस दिन छप्पन प्रकार के पकवान बनाकर भगवान श्रीकृष्ण को भोग लगाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान कृष्ण ने इन्द्र देव के घमंड को चूर-चूर कर गोवर्द्धन पर्वत की पूजा की थी। ये भी मान्यता है कि इस दिन गौ पूजा करने और गाय को अन्न, वस्त्र उपहार स्वरूप देने से घर में सुख-समृद्धि आती है। उत्तराखंड के अलग-अलग हिस्सों में भी गोवर्धन पूजा धूमधाम से की जा रही है। साथ ही भगवान श्रीकृष्ण को छप्पन भोग लगाए जा रहे हैैं।
उत्तराखंड में दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा की धूम है। तीर्थ नगरी में गोवर्धन पूजा महोत्सव श्रद्धा पूर्वक मनाया गया। श्री जयराम आश्रम में संस्था के अध्यक्ष ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी महाराज के सानिध्य में कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें गोवर्धन भगवान को छप्पन भोग लगाए गए। इस दौरान गोवर्धन पूजा का महत्व बताया गया। इसके साथ ही तीर्थनगरी के अन्य हिस्सों में भी गोवर्धन पूजा की धूम रही।
रुड़की और आसपास के क्षेत्रों में मंदिरों से लेकर घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन बनाए गए हैं। रामनगर स्थित राम मंदिर में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत उठाए भगवान कृष्ण की प्रतिमा बनाई गई है। मंदिर में विधिविधान के साथ गोवर्धन पूजा की गर्इ। इस दौरान काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। इसके अलावा शहर के अन्य मंदिरों में भी गोवर्धन पूजा पर धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।
राज्यपाल ने दी गोवर्धन पूजा की शुभकामनाएं
राजपाल बेबी रानी मौर्य ने हरिद्वार के कनखल स्थित हरिहर आश्रम में जूना पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी से आशीर्वाद लिया और पति संग अन्नकूट की पूजा अर्चना की। इस अवसर पर उनके साथ उनके परिजन भी मौजूद रहे। उन्होंने दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज पर भी सभी को शुभकामनाएं दी। साथ ही उन्होंने राज्य स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर सभी राज्य वासियों को शुभकामना दी और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।
गोवर्धन पूजा की मान्यता
भगवान श्री कृष्ण ने इसदिन इंद्रदेव का घमंड तोड़ा था। भगवान कृष्ण ने इंद्र के क्रोध से लोगों की रक्षा करने के लिए अपनी तर्जनी उंगली पर गोवर्धन पर्वत पर उठा लिया था। इसके बाद सभी लोग अपनी गायों को लेकर पर्वत के नीचे आ गए और सभी इंद्रदेव के क्रोध स्वरूपी बारिश से बच गए। काफी समय बीतने के बाद इंद्रदेव को उनकी भूल का एहसास हुआ कि भगवान श्रीकृष्ण को साधारण इंसान नहीं हैं और उन्होंने उनसे क्षमा याचना की। इंद्रदेव ने कृष्ण की पूजा कर उन्हें भोग लगाया। इसदिन से गोवर्धन पूजा की जाने लगी। मान्यता है कि इसदिन गोवर्धन के साथ ही गायों की पूजा करने से भगवान कृष्ण खुश होते हैं।
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