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उत्तराखंड का ये शख्स रॉयल भूटान आर्मी को सिखाएगा बैंड की धुन, जानिए

उत्तराखंड के दूरस्थ गांव घेस के रिटायर सूबेदार मेजर गोपाल सिंह बिष्ट रॉयल भूटान आर्मी में बैंड की धुन सिखाएंगे।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Mon, 15 Oct 2018 02:57 PM (IST)Updated: Mon, 15 Oct 2018 02:57 PM (IST)
उत्तराखंड का ये शख्स रॉयल भूटान आर्मी को सिखाएगा बैंड की धुन, जानिए
उत्तराखंड का ये शख्स रॉयल भूटान आर्मी को सिखाएगा बैंड की धुन, जानिए

देहरादून, [जेएनएन]: सैन्य इतिहास में उत्तराखंडी सैनिकों के साहस और पराक्रम के असंख्य किस्से दर्ज हैं। आजादी के समय उन्होंने हर मोर्चे पर दुश्मनों के दांत खट्टे कर दिए थे। सिर्फ युद्ध कौशल ही नहीं बल्कि गीत-संगीत और कला के क्षेत्र में भी उनका कोई सानी नहीं है। इसकी मिसाल पेश की है प्रदेश के दूरस्थ गांव घेस के रिटायर सूबेदार मेजर गोपाल सिंह बिष्ट ने। 

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भारतीय सेना की गढ़वाल राइफल्स में करीब 30 साल की सैन्य सेवा के दौरान उन्होंने बैंड की हर उस धुन पर महारत हासिल की, जो न सिर्फ रणभूमि में उतरने के लिए सैनिकों में जोश व जुनून भरती है, बल्कि आमजन को भी मंत्रमुग्ध कर जाती है। शायद यही वजह की भारतीय सेना से सेवानिवृत्त होने के तुरंत बाद रॉयल भूटान आर्मी ने इन्हें सेवा में ले लिया। सूबेदार मेजर गोपाल सिंह बिष्ट बीती जून को भारतीय सेना से रिटायर हुए थे। 

कुछ दिन पहले उन्हें रॉयल भूटान आर्मी से अप्वाइंटमेंट लेटर मिल चुका है। रॉयल भूटान आर्मी ने उन्हें बतौर बैंड मास्टर सेना मुख्यालय मैं तैनात किया है। उन्होंने भी रॉयल भूटान आर्मी के इस ऑफर को सहर्ष स्वीकार किया और जल्द ही वह भूटान के लिए रवाना होंगे। 

बताया जा रहा है कि पिछले वर्ष भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक और रॉयल भूटान आर्मी के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल बातों शेयरिंग गंलोन जब भारत दौरे पर आए थे तो वह भारतीय सेना के सूबेदार मेजर गोपाल सिंह बिष्ट के नेतृत्व वाली सैन्य बैंड टुकड़ी की प्रस्तुति देखकर बेहद मंत्रमुग्ध हुए। 

उन्होंने तब ही ठान लिया था कि भारतीय सेना से रिटायरमेंट होने के बाद वह सूबेदार मेजर गोपाल सिंह के अनुभव का लाभ रॉयल भूटान आर्मी को भी जरूर दिलाएंगे। सूबेदार मेजर गोपाल संभवत: भारतीय सेना के अकेले ऐसे जूनियर कमीशन ऑफिसर होंगे जिन्हें पड़ोसी देश भूटान से यह ऑफर मिला है। अब वह रॉयल भूटान आर्मी मुख्यालय में तैनात रहते हुए वहां के सैन्य बैंड को धुन बजाना सिखाएंगे। 

रॉयल भूटान आर्मी में उन्हें सैन्य अधिकारी की तरह सभी सुविधाएं मिलेंगी, साथ ही सैन्य नियमों के अनुसार अवकाश व अन्य शर्तें भी लागू होंगी। बता दें कि घेस गांव उत्तराखंड में  विकासखंड चमोली के अंतर्गत देवाल ब्लॉक में सबसे दूरस्थ गांव है। इस गांव में हर दूसरे परिवार से कोई ना कोई व्यक्ति फौज में तैनात है। इनमें से रिटायर सूबेदार मेजर गोपाल सिंह बिष्ट भी एक है, जो अब रॉयल भूटान आर्मी का हिस्सा बन रहे हैं। 

सैन्य भर्ती पूर्व प्रशिक्षण के लिए 57 युवाओं का चयन 

वहीं, यूथ फाउंडेशन की ओर से तपोवन स्थित पीआरडी मैदान में भर्ती पूर्व प्रशिक्षण के लिए 57 युवाओं का चयन किया गया। शिविर में देहरादून समेत आसपास के 682 युवाओं ने हिस्सा लिया। 

अप्रैल में गढ़वाल राइफल सेना भर्ती आयोजित करने जा रहा है। ऐसे में भर्ती रैली में शामिल होने वाले युवाओं की पूर्व तैयारी के लिए यूथ फाउंडेशन राज्य भर में जगह-जगह शिविर लगा रहा है। कर्नल अजय कोठियाल की ओर से गठित फाउंडेशन में शामिल प्रशिक्षक युवाओं को शारीरिक और मानसिक रूप से पारंगत बनाते हैं। फाउंडेशन की ओर से प्रशिक्षित किए गए साढ़े सात हजार से अधिक युवा अब तक सेना के साथ ही अर्धसेना और पुलिस बल में भर्ती हो चुके हैं।

यूथ फाउंडेशन के चयनकर्ता कैप्टन बलबीर सिंह रावत ने बताया कि सेना के मापदंड के आधार पर ही 57 युवाओं का चयन कैंप के लिए किया गया हैं। इस दौरान मीडिया प्रभारी अखिल जोशी, यशवंत सिंह रावत, बिक्रम चौधरी, मुकेश कुमार, सतीश शर्मा, रमेश, अंजू चंदेला मौजूद रहे।

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